-दीपक रंजन दास
हनुमानजी जन्म से ही अत्यधिक शक्तिशाली और साहसी थे. श्रीहनुमान चालीसा में भी उल्लेख मिलता है कि बाल्यकाल में ही उन्होंने सूर्य को अपने मुंह में दबा लिया था जिससे तीनों लोकों में अंधेरा छा गया था. शिव के अंश हनुमान पवनपुत्र के रूप में ज्यादा जाने जाते हैं. उनके वेग और शक्ति के आगे मायावी राक्षसों की भी नहीं चलती थी. इसलिए आज भी भूत-प्रेत-पिशाच का भय मिटाने के लिए लोग हनुमान चालीसा का ही पाठ करते हैं. जैसा कि पहले ही बताया गया है कि हनुमानजी बलशाली तो थे ही नटखट भी थे. बाल्यकाल में वे अपनी असीम शक्तियों का उपयोग कर सभी को परेशान किया करते थे. उनकी शरारतों से ऋषि मुनि भी त्रस्त हो चले थे. रामायण के अनुसार हनुमानजी की शरारतों से परेशान होकर भृगुवंशी ऋषियों ने उन्हें श्राप दे दिया था. अंगिरा और भृगुवंश के मुनियों ने हनुमानजी को श्राप दिया था कि, “आप अपने बल और तेज को तब तक के लिए भूल जाएं जब तक कि कोई आपको उनका पुनः स्मरण न करा दे’. शास्त्रों में उल्लेखित यह प्रसंग सभी युगों के लिए प्रासंगिक है. आप चाहे कितने भी शक्तिशाली और प्रभावशाली क्यों न हों, यदि आप लोगों की परेशानी का कारण बनते हैं तो आपको इसका परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना होगा. हमारे यहां पुलिस लीपापोती की स्पेशलिस्ट मानी जाती है. पुलिस को लगता है कि कानून की प्रक्रिया में उनको मिले अधिकार असीमित हैं. वह चाहे तो गुण्डे पैदा कर दें और चाहे तो बड़े से बड़े गुण्डे की नकेल कस दे. रायपुर के खम्हारडीह थाने में एक वारदात हुई. हमलावरों ने यहां एक व्यक्ति के घर पर धावा बोला, जमकर तोड़फोड़ की और विरोध करने पर मारपीट भी की. वाहनों के साथ ही मकान की खिड़कियों के भी शीशे चटकाए और प्रार्थी पर जानलेवा हमला किया. यह उपद्रव की पराकाष्ठा है पर पुलिस ने यहां भी काउंटर केस दर्ज किया और ऐसी धाराएं लगाई कि आरोपी जमानत पर छूट गए. दूसरी तरफ इस मामले को जातिगत संघर्ष का रूप देते हुए बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद इसमें कूद पड़े. पुलिस पर दबाव बनाने के लिए उन्होंने थाने के सामने ही धरना दे दिया और ट्रैफिक जाम कर दिया. सड़क पर बैठकर ही वे हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे. उपद्रव के बदले उपद्रव का यह सिलसिला अगर यूं ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब चारों तरफ अराजकता का बोलबाला होगा. संख्याबल के आधार पर उपद्रव करने वाले भूल रहे हैं कि धर्म और अधर्म संख्या बल के आधार पर नहीं चला करते. यदि ऐसा ही होता तो कौरवों की कभी पराजय नहीं होती. यह घटना उसी दिन की है जब देश गणतंत्र दिवस मनाकर अपने संविधान को याद कर रहा था. बेहतर होगा कि सभी संगठन संवैधानिक उपचारों पर भरोसा करें. यूं सड़क छेंककर धरना देना, हनुमान चालीसा पढ़ना अनुचित है.
Gustakhi Maaf: जब हनुमान जी को लगा था श्राप
