रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के इस प्रबोधन कार्यक्रम में आप सभी को मेरा अभिवादन, जय जोहार। छत्तीसगढ़ प्रदेश अपनी प्राकृतिक सम्पदा, सौंदर्य, यहाँ की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक रहा है। प्रदेश छोटा है लेकिन विविधताएं बहुत हैं, यहाँ के पुरातत्व, संस्कृति, जनजातीय, लोकाचार पूरे देश को प्रभावित करते हैं।
छत्तीसगढ़ की विशेष रूप से जीवंत कला, यहां के शिल्प, लोकगीत और नृत्य पूरे देश के लिए आकर्षण है, छत्तीसगढ़ और यहां के पुरातत्व संपत्ति को देखने के लिए देश भर और कई देशों के लोग यहां आते हैं। आप सभी का सौभाग्य है कि आपको इस विधानसभा के सदस्य होने का मौका मिला है। मैं आप सभी सदस्यों को शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि जनता ने जिस विश्वास और आकांक्षाओं के साथ आपको चुनकर भेजा है, आप उनके विश्वास और भरोसे को कायम रखेंगे और उनकी अपेक्षाओं को इस विधान मंडल के माध्यम से पूरा करने का प्रयास करेंगे।
दो दिवसीय प्रबोधन कार्यकम हमें संसदीय परम्पराओं, नियमों, संविधान को जानने और किस तरीके से हम अपने संवैधानिक दायित्वों को निभाते हुए इस विधान मंडल के माध्यम से इस राज्य में समृद्धि और खुशहाली ला सकते हैं, इसका ज्ञान मिलेगा। दो दिन का यह प्रबोधन निश्चित रूप से हमारे जीवन में सार्थक होगा। इस विधानमंडल का सौभाग्य है कि यहां के विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह, जो तीन बार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहे, केंद्र में मंत्री रहे, सांसद रहे हैं, उनके लम्बे अनुभव का लाभ भी मिलेगा।
ओम बिड़ला ने कहा कि जो भी यहाँ की नियम प्रक्रिया है, उन्हें ध्यान में रखकर हमें जनता की बात रखनी है। दो दिन के इस प्रबोधन कार्यक्रम में विभिन्न विषयों और नियमों का ज्ञान होगा। मैं नवनिर्वाचित सदस्यों से कहना चाहता हूँ कि आप सभी ज्यादा से ज्यादा विधानसभा में बैठने की आदत डालिए। इससे आपको पुराने सदस्यों के अनुभव और ज्ञान का लाभ मिलेगा, नये सदस्यों के विचारों को जानने का मौका मिलेगा। मेरा यह विचार है कि जो विधायक सदन में ज्यादा देर बैठता है वह अच्छी तरह अपने विचार रख पाता है।
आप सभी टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें, बेहतर विचार लाएं ताकि क्षेत्र के विकास के लिए अधिक से अधिक काम हो सके। लोकतंत्र के सदन को हम यदि मंदिर मानते हैं तो इसकी गरिमा के अनुकूल आचरण करने की जरुरत है। पिछड़े क्षेत्र के विधायको की जवाबदारी ज्यादा बढ़ जाती है, उन क्षेत्रों में विकास अच्छी तरह हो सके और जो विधायक ऐसे क्षेत्र के हैं जो पिछड़े नहीं हैं, उन क्षेत्रों में भी विशेष कार्य करने की आवश्यकता होती है। विधान मंडलों का उपयोग आपको करना चाहिए, इस छोटे राज्य में सारी सम्भावनाओं को समझकर देश और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हम कैसे राज्य को आगे बढ़ा सके। हम सभी सदस्य मिलकर इस प्रदेश को भव्य और विकसित बनाने की पहल को साकार करें।