-दीपक रंजन दास
ठग हर युग में हुए हैं. ठगी पर ही महाभारत हो गया था। कुख्यात ठगों के बारे में, उनके काम करने की शैली के बारे में लोगों को बता कर उन्हें जागरूक करने की कोशिश भी की जाती रही है। पर ठग हमेशा ठगे जाने वालों और उन्हें बचाने की कोशिश करने वालों से चार कदम आगे ही रहे हैं। घर पहुंच सेवा की आड़ में नया धंधा रोड साइड असिस्टेंस का है। यह सुविधा वाहन चालकों को वाहन कंपनियों की ओर से दी जाती है। कंपनी दावा करती है कि आपकी गाड़ी सड़क पर कहीं भी खराब हो तो एक फोन कॉल पर तत्काल आपके पास सहायता पहुंचा दी जाती है। आपकी गाड़ी को ऑन द स्पॉट ठीक करने से लेकर उसे ‘टोÓ करके या क्रेन से उठाकर सर्विस स्टेशन पहुंचाया जाता है। मौजूदा दौर में सभी प्रकार की सेवाओं के लिए फोन कॉल का ही उपयोग किया जाता है। स्कूल-कॉलेज में दाखिले से लेकर चिकित्सा और बीमा तक के लिए फोन आते हैं। लोगों को भी अच्छा लगता है कि ‘मोबाइल की कृपा से, सब काम हो रहा हैÓ। देश में आज 120 करोड़ मोबाइल फोन यूजर हैं। इनमें से अधिकांश के पास स्मार्टफोन है। सिक्यूरिटी फीचर के नाम पर लोग महंगे से महंगा मोबाइल फोन खरीद रहे हैं। पर ठग इन सबको चकमा देने में सफल हो जाते हैं। उन्हें अपने शिकार के फोन के सिक्यूरिटी फीचर्स के बारे में सोचने की ज्यादा जरूरत नहीं है। वो तो अपने शिकार के दिमाग से खेलते हैं। ठग फोन करता है, नाम पता कन्फर्म करता है और फिर अपनी डील की जानकारी देता है। ठगों के प्रति आपको आगाह करते हुए आपका विश्वास जीतता है और फिर आप खुद ही अपनी पूरी जानकारी, तश्तरी पर सजाकर उसे परोस देते हैं। उसके बताए लिंक पर क्लिक करते हैं, उसके बताए गए नम्बर डायल करते हैं। तमाम सिक्यूरिटी फीचर्स धरे के धरे रह जाते हैं। लुट-पिटकर आप पुलिस के पास पहुंचते हैं तो अपने जैसों की लंबी कतारें देखते हैं। इनमें ज्यादातर पढ़े-लिखे, वेल सेटल्ड लोग ही होते हैं। दरअसल, सिक्यूरिटी फीचर्स हमारे यहां केवल प्रदर्शन का विषय है। तमाम डिजिटल सिक्यूरिटी फीचर्स का तोड़ वीडियो ट्यूटोरियल के रूप में यू-ट्यूब पर उपलब्ध है। फोन पर एक से शून्य, स्टार और हैश मिलाकर कुल बारह कुंजियों का उपयोग करके फोन की तमाम सिक्यूरिटी को कम्प्रोमाइज किया जा सकता है। आज मार्कशीट से लेकर जमीन के नक्शे तक लगभग सभी तरह की जानकारियां ऑनलाइन स्टोर्ड है। गाड़ी के नम्बर से ही घर का पता चुटकियों में लगाया जा सकता है। उसके लिए रिस्क उठाकर किसी का पीछा करने की जरूरत नहीं। ह्वाट्सअप ग्रुप से फोन नंबर हासिल किये जा सकते हैं। फोन नंबर और नाम का पता लगते ही ठगों के लिए एक रूमानी दुनिया के दरवाजे खुल जाते हैं। फोन तो स्मार्ट हो गए, यूजर कब स्मार्ट होगा।
Gustakhi Maaf: ठगी का धंधा – हम डाल-डाल, वो पात-पात
