-दीपक रंजन दास
छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले, मतदान के दौरान और यहां तक कि मतगणना के दिन भी सुबह साढ़े आठ बजे तक कांग्रेस ही जीत रही थी। जिताने वालों में राजनीतिक पंडितों से लेकर चुनावों का विश्लेषण करने वाले और एक्जिट पोल का डंका बजाने वाले सभी शामिल थे। सुबह के रुझानों के बाद भूपेश अपनी टीम और मतदाताओं को बधाई भी दे रहे थे। फिर जो पत्ते खुले तो खुलते ही चले गए और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के आंकड़े ही सही साबित होते चले गए। हालांकि, खुद रमन भी मतगणना से पहले भाजपा के लिए इससे कम सीटों की उम्मीद जताने लगे थे। आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस पिछली बार के मुकाबले आधी सीटों पर सिमट गई। उसके एक-दो नहीं बल्कि 9 मंत्री चुनाव हार गए। इसमें वो भी शामिल थे जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और अंत-पंत उपमुख्यमंत्री बनकर माने थे। दरअसल, कांग्रेस फीलगुड फैक्टर का शिकार हो चली थी। कांग्रेस के प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने चुनावों को सीरियसली लिया ही नहीं। जिसने सीरियसली लिया, वह तमाम विसंगतियों के बावजूद चुनाव जीत गए। ऐसे नेताओं में भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। ईडी के छापों और शराब की कालिख के बावजूद देवेन्द्र और उसकी टीम पूरी शिद्दत से लगी रही। इसका लाभ उसे मिला। भाजपा पहले ही चुनावी रणनीति बना चुकी थी। समय से पहले प्रत्याशियों की घोषणा करना तो एक छलावा था जिसने कांग्रेस सहित चुनाव विश्लेषकों तक को ठग लिया। उसने जीतने वाले और हारने वाले दोनों प्रत्याशी खड़े किये। भाजपा का टारगेट ही 50 से 60 सीटें थीं। कुछ सीटों को उसने पहले ही राइटऑफ कर दिया था। सरकार बनाने के लिए 70 सीटों का होना जरूरी तो नहीं है। उसकी यह रणनीति काम कर गई और हारने वाले प्रत्याशी भी अपने जातिगत समीकरणों के कारण आसपास की सीटों को प्रभावित कर गए। भूपेश को भरोसा था कि किसान और ग्रामीण उनके साथ हैं। धान खरीदी कांग्रेस का ट्रंप कार्ड थी जिसे भाजपा ने छीन लिया। साथ ही महिलाओं को साधने का ट्रंपकार्ड दिखाकर भाजपा ने आधी आबादी को अपनी तरफ कर लिया। कांग्रेस के पास छोटी-छोटी ढेर सारी बातें थीं जबकि भाजपा के पास मोटी-मोटी दो-चार बातें थीं। भाजपा ने खुद को समेटा और कांग्रेस बिखर गई। इसके साथ ही भाजपा की आंखों की वह किरकिरी निकल गई जो पिछले पांच सालों से उसे परेशान किये हुए थी। भाजपा के रणनीतिकारों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मजबूत सरकार, देश में भाजपा के लिए खतरे की घंटी थी। यही कारण था कि भाजपा के केन्द्रीय नेताओं ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों को हाईजैक कर लिया था। यह चुनाव भूपेश बनाम रमन होने की बजाय भूपेश बनाम मोदी हो चुका था। मोदी निश्चित तौर पर भूपेश से बड़े नेता हैं और मोदी की गारंटी – मोदी की गारंटी होती है।