भिलाई। छत्तीसगढ़ में किसकी सरकार बनने जा रही है? अब तक 75 प्लस का नारा देने वाली कांग्रेस पार्टी को चुनाव के बाद समीक्षा बैठक बुलाकर एक-एक प्रत्याशी से पूछना पड़ा कि जीत-हार की क्या स्थिति है। वहीं भाजपा के शीर्ष नेता मतदान के बाद मिले फीडबैक से उत्साहित हैं और सरकार बनाने का दावा करने लगे हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब दोनों दल बहुमत के साथ सरकार बनाने को आश्वस्त हैं तो राज्य के चुनाव नतीजों की वास्तविक स्थिति क्या है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जुलाई महीने में सर्वे करवाया था। इस सर्वे में छत्तीसगढ़ की 90 में से 34 सीटें भाजपा को मिलती बताई गई थी। लेकिन मतदान के बाद अब यह आंकड़ा 48 तक पहुंच गया है। मतदान के बाद पार्टी की समीक्षा बैठकों में यह बात सामने आई है। बूथ स्तर पर किए गए सर्वे से मिले फीडबैक के आधार पर भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रही है। सरकार बनाने के लिए कुल 46 सीटें की दरकार है, इसलिए जो आंकड़े भाजपा ने जुटाए हैं, उससे उसके नेता उत्साहित हैं। आरएसएस के आंतरिक सर्वे में भी भाजपा को 55 सीटें मिलती बताई गई है। हालांकि इनमें से 17 सीटों पर कड़े मुकाबले के आसार भी जाहिर किए गए हैं।
पार्टी नेताओं का कहना है कि 34 से 48 सीटें तक पहुंचने की मूल वजह तीन महीने पहले 21 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान करना, चुनावी घोषणा पत्र और पीएम, गृहमंत्री समेत अन्य नेताओं के दौरे के साथ ही दीगर राज्यों के विधायकों की कड़ी निगरानी रही। गौरतलब है कि कि 2018 के चुनाव में भाजपा को कुल 15 सीटें ही मिल पाई थीं, जबकि कांग्रेस को 68 सीटों के साथ भारी बहुमत मिला था। बाद में उपचुनाव के बाद यह आंकड़ा 71 पहुंच गया। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि हमने बूथ स्तर पर समीक्षा की है। अभी आंकड़ों पर नहीं जाते हुए इतना तो दावा है कि भाजपा सरकार बनाने जा रही है।
रिपोर्ट लेकर मांडविया दिल्ली पहुंचे
मतदान खत्म होने के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा के चुनाव सह प्रभारी मनसुख मांडविया की बेसब्री बढ़ती जा रही थी। वे उस निजी एजेंसी के फीडबैंक के इंतजार में थे, जिसे क्षेत्रानुसार अपनी रिपोर्ट देनी थी। यह रिपोर्ट आई तो मांडविया के चेहरे खुशी से खिल उठा। रिपोर्ट में स्पष्ट था कि भाजपा को 90 में से कुल 48 सीटें मिल सकती है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री और चुनाव के सह प्रभारी मांडविया यह रिपोर्ट लेकर दिल्ली उड़ गए। इसके बाद हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का बयान सामने आया। इस बयान में डॉ. रमन ने अपने फीडबैक के आधार पर 50 से 55 सीटें मिलने का दावा किया। राज्य में सरकार दल की बनती है, यह कहना को फिलहाल जल्दबाजी होगी, लेकिन भाजपा का उत्साह देखते ही बन रहा है। दरअसल, कांग्रेस के ऐसे प्रत्याशी जिनकी जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी, वह अचानक ही कड़े संघर्ष में फंसते दिखे। महिलाओं ने भी इस बार बढ़-चढ़कर वोटिंग की। यही वजह है कि कांग्रेस के सीनियर नेताओं को अपने जिलाध्यक्षों और प्रत्याशियों को बुलाकर वन टू वन पूछना पड़ा कि आखिर उनकी चुनावी स्थिति क्या है?
समीक्षा के बाद कांग्रेस ने किया सरकार बनाने का दावा
भाजपा की रिपोर्ट जाहिर होने के बाद कांग्रेस ने शनिवार और रविवार को रायपुर में बड़ी बैठक की। इस बैठक में पार्टी के जिलाध्यक्षों और प्रत्याशियों से उनके क्षेत्र की स्थिति जानने की कोशिश की गई। बताते हैं कि ज्यादातर प्रत्याशियों ने अपनी जीत के प्रति आश्वस्ति दिखाई। हालांकि कई प्रत्याशियों ने भीतरघात को लेकर शिकायतें भी की। कांग्रेस की छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा व पीसीसी चीफ दीपक बैज ने यह भी जानने की कोशिश की कि भीतरघात का चुनाव के नतीजों पर क्या असर होगा। जानकारियों के मुताबिक, कई क्षेत्रों में भीतरघातियों और बागियों के चलते कांग्रेस को नुकसान होने की संभावना है। ऐसे लोगों की पूरी सूची तैयार की जा रही है। जल्द ही उन पर कार्रवाई भी की जाएगी। पीसीसी चीफ बैज ने कहा कि दो दिनी समीक्षा बैठक में प्रत्याशियों से चर्चा की गई है। हम राज्य में फिर से सरकार बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ शिकायतें आई है, जिन्हें गम्भीरता से लिया गया है। इन शिकायतों का परीक्षा कराया जाएगा। यदि गलत हुआ है तो कार्रवाई जरूर होगी। प्रत्याशियों से लिखित में शिकायत करने को भी कहा गया है।
नतीजों का बेसब्री से इंतजार
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण की वोटिंग के बाद सबको नतीजों का इंतजार है। कांग्रेस और भाजपा अपने-अपने स्तर पर सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं। इससे मतदाताओं की उत्सुकता भी बढ़ गई है। राज्य में 7 और 17 नवम्बर को दो चरणों में वोटिंग हुई है। जबकि मतगणना 3 दिसम्बर को होनी है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में महिलाओं को 12000 रूपए सालाना देने का वायदा किया है, जबकि इससे आगे बढ़कर कांग्रेस ने 15000 रूपए देने का वायदा कर दिया। इस बार महिलाओं के वोट बढऩे की एक प्रमुख वजह यह भी मानी जा रही है। अब दोनों ही दल यह जानने की कोशिश में हैं कि महिलाओं ने किसके वायदे पर ज्यादा भरोसा जताया है। कांग्रेस की समीक्षा बैठक में कुमारी सैलजा ने यही जानने की कोशिश भी की। उन्होंने प्रत्याशियों से पूछा कि महिलाओं की ज्यादा वोटिंग का क्या मतलब निकाला जाए? इधर, भाजपा ने कांग्रेस की समीक्षा बैठक पर तंज कसा है। पार्टी नेताओं ने पूछा कि जो कांग्रेस 75 प्लस का नारा दे रही थी, उसे अचानक नतीजों को जानने की इतनी अधीरता क्यों हो गई? कांग्रेस की समीक्षा ही चुनाव नतीजों का एक्जिट पोल है।