-दीपक रंजन दास
भाजपा ने छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने पर सभी विवाहिताओं को 12 हजार रुपए सालाना देने का वायदा किया है। यह रकम क्यों दी जाएगी, किसलिए दी जाएगी इस पर पार्टी चुप है। इसे महतारी वंदन योजना का नाम दिया गया है। वहीं कांग्रेस ने गृहलक्ष्मी योजना लाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने दीपावली पर इसकी घोषणा करते हुए कहा कि गृहलक्ष्मी योजना के तहत सभी महिलाओं को 15 हजार रुपए प्रति वर्ष दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पिता के लिए बेटी, पति के लिए पत्नी और पुत्र के लिए माता ही गृहलक्ष्मी होती है। जाहिर है कि कांग्रेस की घोषणा की जद में ज्यादा महिलाएं आने वाली हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इसपर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण के मतदान के बाद कांग्रेस घबरा गई है इसलिए महतारी वंदन योजना के मुकाबले वह छत्तीसगढ़ गृहलक्ष्मी योजना लेकर आई है। उनका आरोप एकदम सही है। जब चुनावी रेवडिय़ां एक पार्टी बांटेगी तो दूसरे को भी रेवड़ा बांटना ही पड़ेगा। कांग्रेस ने भी कह दिया कि भाजपा महतारी वंदन योजना के फार्म भरवा रही है। उसकी गारंटी की भी कोई गारंटी नहीं है। वैसे इस चुनाव के आरंभ में धान खरीदी को लेकर कांग्रेस ने बड़ी घोषणा की थी। धान का मौजूदा समर्थन मूल्य 2023-24 के लिए 2183 रुपए है। भूपेश सरकार ने अपना वायदा पूरा करने के लिए पिछला चुनाव जीतने के बाद राजीव गांधी कृषक न्याय योजना शुरू की और धान पर 700 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देना शुरू किया। इस बार इस राशि को और बढ़ाने की घोषणा की गई। भाजपा ने इसकी काट ढूंढी और सरकार बनने पर 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने का वायदा कर दिया। कांग्रेस ने इसे बढ़ाकर 3200 प्रति क्विंटल कर दिया। साथ ही यह वायदा भी किया कि प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदा जाएगा। फिलहाल प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान खरीदा जाता है जो भाजपा को ज्यादा लगता रहा है। पिछले चुनाव से पहले मोदी सरकार ने 86 लाख मीट्रिक टन चावल के कोटे को घटाकर 61 लाख कर दिया था। अब उसे लगता है कि छत्तीसगढ़ की उसकी सरकार केवल इसी एक मुद्दे पर चल गई थी। धान को लेकर तो फिर भी समझ में आता है कि चलो किसानों को उनकी मेहनत और हक के पैसे मिल रहे हैं। सवाल उठता है कि जिस शराब को लेकर भाजपा साल भर हंगामा करती रही, वह एकाएक अमृत कैसे बन गई। अगर दारू की गंगा इसी तरह बहती रही तो महिलाओं के हाथ में जाने वाला पैसा वैसे भी उनके जी का जंजाल बनने वाला है। सरस्वती साइकिल योजना की साइकिलें भी दारू भट्टियों के आसपास गिरवी पाई जाती रही हैं। पत्नी की कमाई छीनने वाले मर्दों की भी कमी नहीं है। वैसे अब महिलाएं भी शराब पीने में पुरुषों को टक्कर दे रही हैं।
Gustakhi Maaf: रेवड़ी नहीं अब रेवड़ा बंट रहा
