भिलाई। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 20 सीटों पर कल मंगलवार को वोट डाले जाएंगे। इन 20 सीटों पर रविवार शाम चुनाव प्रचार का शोर थम गया और अब उम्मीदवार मतदाताओं के घर-घर जाकर संपर्क कर रहे हैं। पहले दौर की 20 सीटों पर 223 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है, जिसमें 198 पुरुष और 25 महिला प्रत्याशी मैदान में हैं। पहले चरण का चुनाव नक्सल प्रभावित वाले बस्तर और दुर्ग संभाग की सीटों पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अग्निपरीक्षा होनी है। पहले चरण की 20 सीटों में से 19 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि महज एक सीट पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की सीट ही बीजेपी के पास है। इस तरह से कांग्रेस के लिए अपनी सीटों को बचाए रखने की बड़ी चुनौती होगी जबकि बीजेपी को सत्ता में वापसी के लिए अग्निपथ के गुजरना होगा। इस तरह पहले चरण में दोनों ही पार्टियों की साख दांव लगी हुई है। यही वजह है कि कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तो बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा तक प्रचार में उतरे थे।
पहले चरण की 20 सीटों का गणित
छत्तीसगढ़ के पहले चरण में नक्सल प्रभावित संभाग बस्तर की 12 सीटों और दुर्ग संभाग के राजनांदगांव, कवर्धा और खैरागढ़ की 8 सीटों पर मंगलवार को वोट डाले जाएंगे। पहले चरण की 20 सीटों में से 13 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं जबकि 7 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं। इस तरह से आदिवासी बहुल इलाके में कांग्रेस का दबदबा पिछले चुनाव में दिखा था और पार्टी ने 20 में से 19 सीटों पर कब्जा जमाया था। बस्तर संभाग की सभी 12 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं तो वह दुर्ग संभाग की एक सीट छोड़कर बाकी 7 सीटें जीतने में सफल रही थी। बीजेपी महज एक सीट राजनांदगांव जीती थी, जहां से रमन सिंह विधायक हैं। बस्तर की सभी 12 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमा रखा है। इतना ही नहीं, बस्तर की लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस का ही सांसद है। इससे पहले तक बीजेपी यहां मजबूत रही थी। 2013 के चुनाव में यहां की 8 सीटों पर कांग्रेस और 4 सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी। 2008 के चुनाव में बीजेपी को 10 सीटों पर जीत मिली थी तो कांग्रेस को एक सीट और एक सीट अन्य के खाते में गई थी। 2003 के चुनाव में बस्तर की 12 में से 9 सीटें बीजेपी और 3 सीटें कांग्रेस जीतने में सफल रही थी, लेकिन 20 साल बाद बस्तर का क्षेत्र अब कांग्रेस का मजबूत गढ़ बन चुका है। पहले दौर की वोटिंग वाले इलाके में दुर्ग संभाग की 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें राजनांदगांव, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, खुज्जी, मोहला-मानपुर, कबीरधाम-कवर्धा, पंडरिया और खैरागढ़ सीट शामिल है। बीजेपी 2018 के चुनाव में राजनांदगांव सीट ही जीत सकी थी, जहां से पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम डा. रमन सिंह को जीत मिली थी जबकि शेष 7 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं। इस तरह से देखा जाए तो पहले चरण में बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन सत्ता में वापसी का यही एक रास्ता है। बीजेपी अगर बस्तर और दुर्ग संभाग के इलाके में अपने खोए हुए सियासी जनाधार को वापस हासिल नहीं कर पाती है तो उसके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
पहले चरण की हाईप्रोफाइल सीटें
छत्तीसगढ़ के पहले चरण में कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं बल्कि दोनों ही पार्टी के दिग्गज नेताओं की भी अग्निपरीक्षा होगी। पूर्व सीएम और बीजेपी के दिग्गज नेता डा. रमन सिंह एक बार फिर से राजनांदगांव सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं। यह सीट रमन सिंह की परंपरागत सीट मानी जाती है और वे 2008 से लगातार यहां से जीत दर्ज कर रहे हैं। यहां से कांग्रेस गिरीश देवांगन को उतारकर मुकाबले को खासा रोचक बना दिया है। इसके अलावा बीजेपी के दिग्गज नेताओं में नारायणपुर सीट पर पूर्व मंत्री केदार कश्यप, कोंडागांव सीट पर पूर्व मंत्री लता उसेंडी, बीजापुर सीट पर पूर्व मंत्री महेश गागड़ा और भानुप्रतापपुर सीट पर पूर्व मंत्री विक्रम उसेंडी की साख दांव पर है। पहले चरण में ही कांग्रेस के मुस्लिम चेहरा और बघेल सरकार में मंत्री मोहम्मद अकबर का असल इम्तिहान होना है। कवर्धा सीट से एक बार फिर से अकबर उतरे हैं जबकि 2018 से पहले इस सीट पर बीजेपी का कब्जा था। चित्रकोट सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक बैज की साख दांव पर लगी है। कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावा कोंडागांव से मंत्री मोहन मरकाम, कोंटा सीट पर मंत्री कवासी लखमा की साख दांव पर है। इस तरह से पहले चरण में बघेल सरकार के 3 मंत्रियों और प्रदेश अध्यक्ष की साख दांव पर लगी है।
जंगल से ही तय होगा प्रदेश का राज
छत्तीसगढ़ की सियासत में जंगल से ही प्रदेश का तख्त और ताज तय होता है। पहले चरण में जिन 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव है, वो घनघोर जंगल और पहाड़ी क्षेत्र से घिरा हुआ है। बस्तर संभाग का 60 फीसदी हिस्सा जंगल क्षेत्र है तो इसी तरह से दुर्ग संभाग के जिलों को भी जंगल और नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। बीजेपी छत्तीसगढ़ में आदिवासी बहुल इलाकों से जीतकर सत्ता पर विराजमान होती रही है, लेकिन उसकी जैसे ही यहां पर पकड़ धीली पड़ी तो उसके हाथों से सत्ता निकल गई। आदिवासी बहुल बस्तर और दुर्ग संभाग में राजनीतिक दलों के लिए चुनाव काफी कठिन माना जा रहा है। यहां कांग्रेस-बीजेपी के अलावा बसपा, सीपीआई, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी), आम आदमी पार्टी और आदिवासी नेता अरविंद नेताम की हमर राज पार्टी भी चुनावी मैदान में उतरी है। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने पहले चरण की सीटों के लिए पूरी ताकत लगाई।
पहले चरण दिग्गजों ने लगाई ताकत
पहले चरण की 20 सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने जमकर पसीने बहाए हैं। महारथियों ने चुनाव प्रचार किया उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी तक के नाम शामिल हैं। पीएम मोदी ने कांकेर, दुर्ग और राजनांदगांव जैसी हाईप्रोफाइल सीटों पर प्रचार करके आसपास की सीटों को प्रभावित करने की कोशिश की है। इसके अलावा बीजेपी की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य नेताओं ने चुनावी जनसभा करके पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। दूसरी ओर, कांग्रेस की ओर से राहुल और प्रियंका गांधी ने इस बार मोर्चा संभाल रखा था। राहुल गांधी ने जहां बस्तर और रायगढ़ में प्रचार किया तो प्रियंका गांधी ने खरसिया, जगदलपुर और बिलासपुर में प्रचार कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। कांग्रेस की ओर से तीसरे दिग्गज नेता पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सुकमा और महासमुंद में कांग्रेस के लिए प्रचार किया। इसके अलावा भूपेश बघेल ने सभी 20 विधानसभा सीटों पर चुनावी प्रचार करके सियासी माहौल बनाने की कोशिश की है। ऐसे में अब देखना है कि पहले चरण में कांग्रेस और बीजेपी में कौन इस बार बाजी मारता है?