-दीपक रंजन दास
केन्द्र सरकार ने भले ही महिला आरक्षण विधेयक को 2023-24 के चुनावों से पहले पारित कर लीड लेने की कोशिश की हो पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस इस मामल में फिर बाजी मार गई है. कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर इस बार भी सर्वाधिक महिलाओं को चुनाव मैदान में मौका दिया है. भाजपा ने पिछले चुनाव में 13 महिला उम्मीदवार उतारे थे जबकि कांग्रेस ने 14 महिला प्रत्याशी दिये थे. पिछले चुनाव में 10 महिला प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कर विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. इस बार कांग्रेस ने भाजपा के 15 के मुकाबले 18 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है. दोनों दलों ने मिलाकर कुल 33 महिला प्रत्याशियों को मौका दिया है. कांग्रेस ने कई सीटों पर विधायकों की टिकट काट कर महिला प्रत्याशी उतारे हैं. जाहिर है कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं अब सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से ज्यादा सक्रिय और सशक्त हैं. कांग्रेस ने रायपुर संभाग से सबसे ज्यादा छह महिला प्रत्याशी उतारे हैं जबकि दुर्ग संभाग से चार, बस्तर संभाग से एक और बिलासपुर संभाग से पांच महिला प्रत्याशियों को मौका दिया गया है. वहीं भाजपा ने सर्वाधिक सात महिला प्रत्याशी सरगुजा संभाग से उतारे हैं. इसके अलावा दुर्ग संभाग से दो, बस्तर संभाग से एक, बिलासपुर संभाग से दो तथा रायपुर संभाग से तीन महिला प्रत्याशी उतारे हैं. कांग्रेस के टिकट वितरण में जनसंख्या में विभिन्न जातियों के अनुपात का भी ध्यान रखा गया है. यह कांग्रेस के जातिगत जनगणना और आरक्षण के भी अनुरूप है. महासमुन्द जिले की चारों विधानसभा सीटों पर उतारे गए प्रत्याशियों में इसकी झलक साफ दिखाई देती है. कांग्रेस ने इन चारों सीटों को पिछले चुनाव में भाजपा से छीना था. इन चारों सीटें में पिछड़ा वर्ग की बहुलता है. कांग्रेस ने महासमुंद से कुर्मी, बसना के कोलता-अघरिया एवं आदिवासी बहुल क्षेत्र में आदिवासी-महाल, सरायपाली के गांड़ा बहुल आरक्षित सीट पर इसी गांड़ा समाज के अभ्यर्थी को चुनावी मैदान में उतारा है. एक सीट पर कांग्रेस का समीकरण उलट है, खल्लारी-बागबाहरा के आदिवासी-साहू-अघरिया बहुल क्षेत्र में यादव समाज के उम्मीदवार को टिकट दिया है. भाजपा ने कुर्मी बहुल महासमुंद से कलार समाज के अभ्यर्थी तो खल्लारी-बागबाहरा के आदिवासी-साहू-अघरिया बहुल क्षेत्र में कुर्मी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. बसना के कोलता-अघरिया एवं आदिवासी बहुल क्षेत्र में अग्रवाल अभ्यर्थी को टिकट दिया है, तो सरायपाली के गांड़ा बहुल आरक्षित सीट पर सतनामी समाज के अभ्यर्थी को मैदान में उतारा है. वहीं धमतरी जिले की बात करें तो यहां की तीनों सीटों धमतरी, कुरुद और सिहावा में जातिगत समीकरणों को न्यूट्रलाइज कर दिया गया है. कुरुद में अजय चंद्राकर की टक्कर तारिणी नीलम चंद्राकर से है. धमतरी में रंजना साहू का ओंकार साहू से तो सिहावा में अंबिका मरकाम की टक्कर श्रवण मरकाम से है. कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में हो रहे प्रयोग राष्ट्रीय स्तर जारी बहस को नई दिशा देने में सफल होंगे.