भिलाई। जिले में भाजपा के कई कद्दावर नेता मौजूद हैं, बावजूद इसके पार्टी ने एक ऐसे उम्मीदवार को दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र से मैदान में उतारा है, जिसके बारे में आमराय अच्छी नहीं है। इस विधानसभा क्षेत्र से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नंबर 2 माने जाने वाले नेता ताम्रध्वज साहू चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी के साथ ही साहू समाज और स्थानीय मतदाताओं में ताम्रध्वज साहू की छवि साफ-सुथरी है। इसके विपरीत भाजपा प्रत्याशी का अक्खड़पन और कड़कमिजाजी उन्हें मतदाताओं के सामने कमजोर साबित करती है। भाजपा के ही कई नेताओं का साफ कहना है कि पार्टी ने शेर के शिकार के लिए मेमना उतार दिया। जबकि पार्टी में कद्दावर नेताओं की भरमार है।
दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र से दूसरी बार प्रत्याशी बनाए गए ताम्रध्वज साहू को निर्विवाद और स्वच्छ छवि वाला माना जाता है। 2018 के चुनाव में वे सीएम पद के प्रमुख दावेदार थे। हालांकि पार्टी की आंतरिक नीतियों की वजह से वे मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। इसके बाद उन्हें गृह, पीडब्ल्यूडी समेत कई अन्य विभाग सौंपकर सरकार में नंबर 2 का दायित्व सौंपा गया। पिछले 5 वर्षों में ताम्रध्वज साहू ने दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र का नक्शा बदलकर रख दिया है। रिसाली नगर निगम उन्हीं की देन है, जिसका वायदा उन्होंने विगत चुनाव से पहले किया था। गली-गली, गाँव-गाँव में उनके द्वारा कराए गए काम नजर आते हैं। दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं को इन वर्षों में वो सब कुछ मिला है, जिसके वे हकदार थे। लेकिन श्री साहू का कहना है कि क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उनके मुताबिक, किसी भी क्षेत्र की समस्याएं महज एक पंचवर्षीय कार्यकाल में पूरी नहीं की जा सकती। क्योंकि जब तक किसी एक समस्या का निदान होता है, तब तक दूसरी जन्म ले लेती है।
गौरतलब है कि दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैे। श्री साहू इससे पहले भी धमधा व बेमेतरा से विधायक, मंत्री व सांसद रह चुके है। श्री साहू स्वभाव से बेहद सरल, सहज और विनम्र है। छोटा हो या बड़ा, हर किसी के साथ सामान्य रूप से मुलाकात करके हालचाल पूछते है और कोई समस्या से पीडि़त रहता है तो उसका निराकरण भी करते है। मतदाताओ के प्रति सम्मान की भावना उनके भीतर कूट-कूट कर भरी हुई है। इसी वजह से अपने क्षेत्र में वे बाबूजी के नाम से लोकप्रिय है। श्री साहू की लोकप्रियता का पैमाना बहुत बड़ा है। इसका मुख्य कारण यह है कि लोकसभा के चुनाव में पहली बार जब मोदी लहर का दौर चला था तब छत्तीसगढ की एक मात्र दुर्ग लोकसभा सीट में श्री साहू ने कांग्रेस को जीत दिलाई थी और भाजपा की कद्दावर नेत्री और पूर्व सांसद सरोज पांडे को पराजित किया था। श्री साहू लोकसभा का सांसद बनने के बाद दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में आए और अपने व्यवहार से सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी के बीच अपनी खास पहचान बनाई। परिणामस्वरूप कांग्रेस ने उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद श्री साहू ने पिछड़ा वर्ग के हित के कई कल्याणकारी काम किए। उनकी लगन और समर्पण को देखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में शामिल किया है।

बहाई विकास की गंगा
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा का विधायक व गृह व लोक निर्माण मंत्री बनने के बाद श्री साहू ने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में विकास की गंगा बहाकर ग्रामीण क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है। विकास से अछूते रहे रिसाली व आसपास के क्षेत्र को विकसित करने के लिए रिसाली में नगर निगम की स्थापना की। दुर्ग ग्रामीण के विभिन्न क्षेत्रो में जनपद व ग्राम पंचायत के माध्यम से हर जरूरतों को पूरा किया। सड़क, बिजली, पानी की सुविधा उपलब्ध कराई। दुर्ग से अंडा तक सड़क का निर्माण पूर्णता की ओर है। श्री साहू ग्रामीण क्षेत्र के हर मतदाताओ व कार्यकर्ताओ के छोटे से बड़े हर कार्यक्रम में शामिल होते रहे हैं। उन्होने कभी भी क्षेत्र के लोगों को मंत्री बनने के बाद भी अहसास नही होने दिया बल्कि सामान्य रूप से सरल और सहज है। श्री साहू की यह उपलब्धि उनकी जीत का एक मजबूत आधार बनकर सबके सामने है। बल्कि पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार ज्यादा मतों से जीत का दावा उनके समर्थक कर रहे हैं।
भाजपा ने उतारा नौसिखिया
वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी ललित चंद्राकर के साथ उपलब्धि का कोई नाम नही है। श्री चंद्राकर खेरथा विधानसभा के बाद परिसीमन के उपरांत दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से पिछले दो दशक से भाजपा से टिकट की मांग करते रहे हैं। चंद्राकर ने इससे पहले कभी भी कोई चुनाव नही लड़ा है। इस लिहाज से उनके पास चुनाव लडऩे का कोई अनुभव नही हैै। श्री चंद्राकर क्षेत्र में बीस वर्षो से सक्रिय जरूर है और रामायण, क्रिकेट समितियों व अन्य धार्मिक आयोजनों में चंदा देते रहे हैं। लेकिन इसे वोट के रूप में बदलना चुनौती है। चंद्राकर के साथ सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि उनकी समाज में पकड़ बेहद कमजोर है। समाज की गतिविधियों में उनकी उपस्थिति कभी नही रही है। स्वभाव से अक्खड़ पन उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। उनमें विनम्रता का भी अभाव है, जिससे काम रहता है उसके साथ ही बात करते है बाकी न ही किसी से बात करते है और न ही व्यवहारिकता है। क्षेत्र के मतदाता भी व्यक्तित्व को लेकर उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू के काफी मुकाबले कमजोर मान रहे है। कार्यकर्ताओ का कहना है कि चंद्राकर को गलत समय में प्रत्याशी बनाया गया है। ताम्रध्वज साहू से बड़े और कद्दावर नेता के सामने वे कैसे टिक पाएंगे, इसे लेकर कार्यकर्ताओं में संशय है।