सोशल मीडिया में घूम रही कांग्रेस की सूची में कई बड़े नेताओं के नाम गायब
भिलाई। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशियों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है, इस बीच सोशल मीडिया पर कांग्रेस की एक सूची वायरल हो रही है। सूची में सभी 90 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम हैं। यदि वायरल सूची के आधार पर बात करें तो दुर्ग जिले की 6 में से 4 सीटों पर नए चेहरों को अवसर दिया गया है। कांग्रेस में आमतौर पर इस तरह के क्रांतिकारी कदम शायद ही उठाए जाते हैं। इसलिए ज्यादातर संभावना यही है कि यह सूची वास्तविक नहीं है। हालांकि इससे पहले जब भाजपा की सूची वायरल हुई थी, तब भी कुछ ऐसा ही कहा गया था। बाद में जब सूची आई तो उन्हीं प्रत्याशियों को टिकट दिया गया, जिनके नाम वायरल हुए थे। इसी आधार पर सवाल किए जा रहे हैं कि क्या भाजपा की ही तरह कांग्रेस की सूची भी वायरल हो गई है?
जो-जो नेता क्षेत्र में सक्रिय हैं, पार्टी उन्हें टिकट देने जा रही है। प्रदेश कांग्रेस के एक शीर्षस्थ नेता की यह टिप्पणी इस ओर भी इशारा करती है कि सोशल मीडिया में आई सूची वास्तविकता से काफी दूर है। उक्त नेता की बातों पर यकीन करें तो दुर्ग शहर क्षेत्र में वर्तमान विधायक अरुण वोरा तैयारियों में काफी समय लगे हुए हैं। बताते हैं कि उन्हें ऊपर से हिंट मिल चुका है। इसी तरह वैशाली नगर क्षेत्र में इंद्रजीत सिंह छोटू के साथ स्थानीय संगठन खड़ा दिखता है। छोटू भी क्षेत्र में काफी समय से सक्रिय हैं। अहिवारा क्षेत्र में निर्मल कोसरे को हरी झंडी दिखाए जाने की खबर है। वहीं भिलाई में देवेन्द्र यादव की सक्रियता पूरे 5 सालों से बनी हुई है। ऐसे में कहा जा सकता है कि पार्टी की ओर से इन नेताओं को चुनाव की तैयारियां करने का आदेश मिल चुका है। लेकिन सोशल मीडिया में जो सूची वायरल हो रही है, उसमें इन चारों क्षेत्रों से नए चेहरों को मौका मिलना बताया गया है। दुर्ग शहर सीट से नगर निगम के सभापति राजेश यादव का नाम वायरल हो रहा है तो वैशाली नगर से दीपक दुबे का नाम अंकित है। इसी तरह अहिवारा से निर्मल कोसरे तो भिलाई नगर से जिला कांग्रेस के अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर का नाम है। बाकी बची दो सीटों पाटन और दुर्ग ग्रामीण से क्रमश: भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू के नाम हैं। कहा जा रहा है कि सीएम भूपेश, पूरे प्रदेश, खासकर दुर्ग जिले में युवाओं को तैयार कर रहे हैं। वायरल सूची को इस नजरिए से भी देखा जा रहा है।
चक्रव्यूह तोडऩे में महारत
राजेश यादव छात्र राजनीति से ही कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थक माना जाता है। लम्बे समय के बाद उन्होंने भूपेश बघेल के कहने पर ही नगर निगम का चुनाव लड़ा था। वे महापौर पद के लिए प्रबल दावेदार थे, लेकिन स्थानीय स्तर पर राजनीतिक लामबंदी के चलते वे महापौर नहीं बन पाए। इसके बाद सभापति पद के लिए जब उनका नाम चला तब भी स्थानीय स्तर पर खूब लामबंदी हुई। हालांकि तब इस लामबंदी को तोडऩे में राजेश यादव कामयाब रहे। कांग्रेस ने जब टिकट की कवायद शुरू की तो सभापति राजेश यादव ने भी ब्लाक स्तर पर आवेदन किया था। भाजपा ने दुर्ग शहर सीट से गजेन्द्र यादव को प्रत्याशी बनाया है। जो पिछड़ा वर्ग से आते हैं। दुर्ग सीट पिछड़ा वर्ग बाहुल्य है। संभवत: इसीलिए कांग्रेस में राजेश यादव का नाम चर्चा में है। यादव को चक्रव्यूह तोडऩे में महारत है। यहां के कांग्रेस विधायक अरुण वोरा सामान्य वर्ग से आते हैं। कांग्रेस ने पिछले एक साल में कई स्तरों पर सर्वे करवाया था, जिसमें दुर्ग में कांग्रेस की स्थिति को अच्छा नहीं पाया गया था। उसी के बाद से यह चर्चा जोरों पर रही है कि पार्टी इस सीट पर नया चेहरा उतार सकती है। हालांकि विधायक अरुण वोरा के समर्थकों का दृढ़ विश्वास है कि टिकट उन्हें ही मिलेगी।

हमेशा निष्ठावान रहे दीपक
वैशाली नगर सीट से वायरल सूची में दीपक दुबे का नाम उल्लेखित है। साइंस कालेज दुर्ग का अध्यक्ष बनने के बाद दीपक दुबे का नाम अचानक छा गया था। उन्हें युवाओं का अपार समर्थन भी हासिल हुआ। कई बार वे टिकट के दावेदार भी बने, लेकिन हर बार उनकी उपेक्षा की गई। अपने राजनीतिक आका ज्योर्तिरादित्य सिंधिया के भाजपा में चले जाने के बाद दीपक दुबे और ज्यादा अलग-थलग पड़ गए। हालांकि उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन नहीं छोड़ा और हमेशा पार्टी के प्रति निष्ठावान बने रहे। सिंधिया के जाने के बाद उनका राजनीतिक जीवन मंद पड़ा रहा, लेकिन युवाओं का समर्थन उन्हें लगातार हासिल रहा। प्रदेश में सरकार बनने के बाद उन्हें संगठन में अहम् पद दिए गए। दीपक दुबे सदैव स्थानीय राजनीति का शिकार होते रहे। कतिपय नेताओं की वजह से हर बार उनका रास्ता रोका गया। इस बार दीपक दुबे ने वैशाली नगर क्षेत्र से टिकट के लिए आवेदन किया था, क्योंकि दुर्ग शहर में कांग्रेस का ही विधायक है।
गुरू के पलायन से बनी संभावना
अहिवारा सीट पर निर्मल कोसरे का नाम आने पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वायरल सूची सही हो या न हो, लेकिन अहिवारा से निर्मल की टिकट तय है। इसकी सबसे प्रमुख वजह स्थानीय विधायक रुद्रकुमार गुरू का क्षेत्र से पलायन है। गुरू रूद्रकुमार ने संगठन के समक्ष अहिवारा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के प्रति अनिच्छा जाहिर की गई थी। इसकी बजाए उन्होंने बेमेतरा जिले की नवागढ़ सीट से आवेदन दिया था। ऐसे में कांग्रेस के पास स्थानीय स्तर पर कोई बड़ा नाम भी नहीं था। निर्मल कोसरे वर्तमान में भिलाई-3 चरोदा नगर निगम के महापौर हैं। उन्हें भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बेहद करीबी माना जाता है। भाजपा ने इस सीट से डोमनलाल कोर्सेवाड़ा को टिकट दी है। उनके मुकाबले निर्मल युवा हैं और सबसे बड़ी बात, क्षेत्र में उनका खासा जनाधार भी है।
अहिवारा के बाद बात भिलाई नगर की करें तो यहां का नेतृत्व युवा नेता देवेन्द्र यादव कर रहे हैं। वे सीएम भूपेश बघेल के सबसे करीबी लोगों में हैं। लेकिन कुछ तकनीकी कारणों के चलते पार्टी के समक्ष पसोपेश के हालात हैं। संभवत: यही कारण है कि इस सीट से वायरल सूची में मुकेश चंद्राकर का नाम आया है। बता दें कि मुकेश चंद्राकर को भी सीएम भूपेश के करीबी लोगों में शुमार किया जाता है। वे भिलाई जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और काफी समय से क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि यदि देवेन्द्र यादव को किन्हीं कारणों से टिकट नहीं भी मिलती तो सरकार बनने की स्थिति में उन्हें निगम-मंडल में अडजस्ट किया जा सकता है।
प्रतिमा का नाम गुंडरदेही से
2018 के चुनाव में दुर्ग ग्रामीण सीट से प्रतिमा चंद्राकर को टिकट दे दी गई थी, लेकिन अंतिम समय में उनकी टिकट काटकर ताम्रध्वज साहू को प्रत्याशी बनाया गया। उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें वरीयता दी, लेकिन प्रतिमा चंद्राकर चुनाव हार गई। इस बार भी उन्हें किसी क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा थी। प्रतिमा चंद्राकर को सीएम भूपेश बघेल अपनी बहन मानते हैं। वे जिले की राजनीति के चाणक्य स्व. वासुदेव चंद्राकर की पुत्री हैं, जो सीएम बघेल के राजनीतिक गुरू रहे हैं। दुर्ग जिले में उनके लिए कहीं संभावना नहीं बन पाई। शायद इसीलिए वायरल सूची में उन्हें बालोद जिले की गुंडरदेही सीट से प्रत्याशी बताया गया है।
(नोट : श्रीकंचनपथ समाचार पत्र वायरल सूची की पुष्टि नहीं करता। यह लेख सिर्फ वायरल सूची से उपजी संभावनाओं पर आधारित है।)




