भिलाई। यूं तो सोशल मीडिया में भाजपा प्रत्याशियों की कई तरह की सूचियां घूम रही है, लेकिन एक सूची को पूरी तरह से विश्वसनीय और सीईसी द्वारा प्रामाणित बताया जा रहा है। हालांकि इस सूची में भी अधिकांश नाम वही है जो सोशल मीडिया में तैर रहे हैं, लेकिन कई नामों में जरूर हेरफेर दिखता है। पार्टी की पहली सूची में जिले की एक सीट पाटन से प्रत्याशी घोषित किया गया था, जबकि इस दूसरी कथित विश्वसनीय सूची में जिले की बाकी की 5 सीटों को शामिल किया गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि यही सूची फायनल होती है भाजपा का 2018 का रिकार्ड बरकरार रहेगा। 2018 में भाजपा को जिले की 6 में से सिर्फ 1 सीट पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि संभावित प्रत्याशी को देखकर इस बार उस जीती हुई सीट को लेकर भी राजनीतिक पंडितों का भरोसा डगमगा रहा है।
भाजपा की जो संभावित सूची सामने आई है, उसे जिले के भाजपाई पचा नहीं पा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग एक दूसरे को सांत्वना भी दे रहे हैं कि यह सिर्फ संभावित सूची है। हालांकि ‘श्रीकंचनपथÓ के पास जो सूची पहुंची है, वह दिल्ली के बड़े नेता के यहां से आई हुई बताई जा रही है। इसीलिए इस सूची को ज्यादा भरोसेमंद कहा जा रहा है। पार्टी ने पहली सूची में 21 नाम घोषित किए थे। इसमें जिले की एकमात्र सीट पाटन को शामिल किया गया था, जहां से वर्तमान सांसद विजय बघेल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ उतारा गया है। अब बाकी की 5 सीटों पर आए नामों को देखें तो पार्टी के ही नेता सिर धुनने को मजबूर हो रहे हैं। भिलाई नगर सीट से प्रेमप्रकाश पाण्डेय की टिकट पहले से ही तय थी। इसलिए यह नाम अप्रत्याशित नहीं है। भिलाई नगर का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां हर बार प्रत्याशी बदल जाता है। पार्टी के भीतर सर्वाधिक बवाल दुर्ग शहर, दुर्ग ग्रामीण व वैशाली नगर की सीटों पर सामने आ रहा है। हालांकि एक महत्वपूर्ण बात यह भी आ रही है कि जो दूसरी संभावित सूची जारी हुई है, वह स्वयं भाजपा के बड़े नेताओं ने कार्यकर्ताओं को परखने के हिसाब से जारी की है। कहा जा रहा है कि यदि कार्यकर्ता इन नामों को स्वीकार कर लेते हैं तो इसी सूची के नाम फायनल होंगे।
दुर्ग शहर और ग्रामीण पर विवाद
भाजपा की संभावित दूसरी सूची में दुर्ग शहर सीट से गजेन्द्र यादव का नाम आया है, वहीं दुर्ग ग्रामीण सीट से ललित चंद्राकर को प्रत्याशी बनाए जाने की बात कही जा रही है। इन दोनों नामों को लेकर विवाद की स्थिति बनती दिख रही है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि गजेन्द्र यादव का दुर्ग की राजनीति में कोई योगदान नहीं रहा है। उनकी पहचान बस इतनी है कि वे छत्तीसगढ़ के आरएसएस प्रमुख रहे बिसराराम यादव के पुत्र हैं। हेमचंद यादव के निधन के पश्चात 2018 के चुनाव में भी उन्हें दावेदार बताया गया था। हालांकि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी थी। दरअसल, दुर्ग शहर सीट पिछड़ा वर्ग बाहुल्य है और यहां से भाजपा के कद्दावर नेता हेमचंद यादव तीन बार विधायक रहे हैं। इसीलिए पिछड़ा वर्ग और यादव के आधार पर गजेन्द्र का नाम सामने आने की बातें कही जा रही है। गजेन्द्र यादव के बारे में पार्टी के आम कार्यकर्ताओं की राय भी सही नहीं है। दुर्ग ग्रामीण सीट की बात करें तो यहां से ललित चंद्राकर का नाम सामने आया है। ललित चंद्राकर ने पिछले चुनाव में भी क्षेत्र में खूब दौरे किए थे। खेल समितियों, महिला समितियों, जस गायन-फाग मंडलियों समेत इसी तरह के समूहों को खूब सहयोग किया था। हालांकि पार्टी ने उन्हें टिकट के योग्य नहीं माना। इस बार उनका नाम इसलिए आया है, क्योंकि दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र में कुर्मी समाज की बाहुल्यता है। इस सीट पर 2018 में कांग्रेस ने अंतिम समय में सांसद ताम्रध्वज साहू को टिकट दी थी, जो वर्तमान में प्रदेश के गृहमंत्री हैं। यहां से भाजपा के कार्यकर्ता किसी कद्दावर नाम की अपेक्षा कर रहे थे।

कहीं अपनों का शिकार न हो जाए वैशाली नगर
2018 में भाजपा ने जिले से एकमात्र सीट पर जीत हासिल की थी। यह सीट वैशाली नगर की थी, जिसे भाजपा माइंड सीट भी माना जाता है। यहां के विधायक विद्यारतन भसीन का कुछ माह पूर्व निधन हो गया, जिसके चलते पार्टी को यहां से नया प्रत्याशी तलाशने की जुगत लगानी पड़ी है। इस सीट से जो संभावित नाम सामने आया है, उसने स्थानीय भाजपाइयों को उद्वेलित कर दिया है। वैशाली नगर से संभावित सूची में पार्षद रिकेश सेन को प्रत्याशी बताया गया है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि रिकेश सेन का जनाधार एक-दो वार्डों तक सीमित है। उनकी छवि को लेकर भी उंगलियां उठती रही है। पार्टी के ही नेता उन पर कांग्रेस के एक बड़े नेता के साथ मिलकर काम करने का आरोप भी लगाते रहे हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि यदि संभावित सूची पर मुहर लगती है तो पिछली बार जीती हुई इस इकलौती सीट से भी भाजपा को हाथ धोना पड़ सकता है। जिले की यह इकलौती सीट है, जहां दावेदारों की बड़ी फौज है। यहां जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी और दीगर दावेदारों का रिएक्शन काफी मायने रखेगा। पार्टी के बड़े नेता जरूर यह कहते रहे हैं कि एक बार टिकट तय हो जाने के बाद कार्यकर्ताओं की नाराजगी खत्म हो जाती है। इसलिए इस महत्वपूर्ण सीट के प्रत्याशी पर सबकी निगाहें होंगी।
अहिवारा में कोर्सेवाड़ा की चुनौती
संभावित सूची में अहिवारा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा का नाम सभी की जुबान पर था। संभावित सूची में भी इस सीट से कोर्सेवाडा का ही नाम है। यह सीट जिले की इकलौती एससी आरक्षित सीट है। 2018 में कांग्रेस ने यहां से पैराशूट प्रत्याशी दिया था। सतनामी समाज के गुरू रूद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया गया था, जिन्होंने भाजपा के सांवलाराम डाहरे को हराया था। रूद्र कुमार गुरू को सरकार में पीएचई जैसे महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बनाया गया। इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस में बेहद कश्मकश की स्थिति है। दरअसल, स्थानीय नागरिकों में गुरू रूद्रकुमार को लेकर बेहद आक्रोश है। शायद इसीलिए रूद्र गुरू ने अहिवारा को छोड़कर बेमेतरा जिले की नवागढ़ से टिकट की मांग की थी। लेकिन वहां भी उनका खेल बिगड़ गया। नवागढ़ में भी उनका विरोध शुरू हो गया। इसके बाद उन्होंने फिर से अहिवारा से ही चुनाव लडऩे का निर्णय लिया, लेकिन वर्तमान में उनकी चुनावी स्थिति अच्छी नहीं बताई जा रही है। रूद्र गुरू पर सबसे बड़ा आरोप यही लगा कि चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कभी क्षेत्र की सुध नहीं ली। इसके विपरीत भाजपा के संभावित उम्मीदवार डोमनलाल कोर्सेवाड़ा की छवि यहां रूद्र कुमार गुरू से बेहतर बताई जा रही है। गौरतलब है कि रूद्र गुरू सतनामी समाज के गुरू है, वहीं डोमनलाल कोर्सेवाड़ा समाज के महंत हैं।
एक भी महिला प्रत्याशी नहीं
भाजपा की संभावित दूसरी सूची में जिले से एक भी महिला प्रत्याशी का नाम नहीं है। शायद इसीलिए इस सूची को फर्जी बताया जा रहा है। पार्टी के लोगों का तर्क है कि जिस भाजपा ने संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल को पास करवाने में अहम् भूमिका निभाई, यह कैसे संभव है कि वह टिकट देने में महिलाओं की उपेक्षा करे? दुर्ग जिले की 2 सीटों दुर्ग शहर और दुर्ग ग्रामीण पर महिला दावेदार सामने आईं थीं। वहीं वैशाली नगर सीट से कई महिलाओं ने दावेदारी प्रस्तुत की थी। इन तीनों सीटों पर टिकट की दावेदार महिलाएं काफी समय से सक्रिय भी हैं। इन तीनों सीटों का नाम महिला प्रत्याशी के लिए इसलिए भी लिया जा रहा था क्योंकि पार्टी ने पाटन से विजय बघेल को पहले ही प्रत्याशी घोषित कर रखा है। वहीं भिलाई नगर से कद्दावर नेता प्रेमप्रकाश पाण्डेय की दावेदारी को शीर्ष स्तर पर भी नकारा नहीं जा सकता। अहिवारा सीट के लिए पार्टी के पास कोई बड़ा महिला चेहरा नहीं है। इसलिए महिलाओं के लिए यदि टिकट की गुजाइश बनती है तो वे दुर्ग शहर, दुर्ग ग्रामीण व वैशाली नगर की सीटें ही हैं। इनमें से दुर्ग ग्रामीण सीट पर महिलाओं की स्थिति सदैव अच्छी मानी गई है। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई दुर्ग ग्रामीण सीट में अब तक 3 चुनाव हुए हैं, जिसमें 2 बार महिलाएं जीतीं है। 2018 के चुनाव में दोनों ही दलों ने यहां से पुरूष प्रत्याशी उतारे थे।