भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने परिवर्तन यात्रा में पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों का छत्तीसगढ़ तांता लगा हुआ है। भाजपा इस परिवर्तन यात्रा के दम पर छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने का दावा कर रही है। मंगलवार को पार्टी की परिवर्तन यात्रा बस्तर से 400 किलोमीटर का सफर तय कर राजधानी रायपुर पहुंची। रायपुर में 80 जगह बीजेपी की परिवर्तन यात्रा का स्वागत किया गया। जगह जगह बुलडोजर में बीजेपी के नेताओं का स्वागत हुआ। पार्टी छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त दिख रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ समेत सभी चुनावी राज्यों में पार्टी द्वारा सीएम प्रोजेक्ट नहीं करने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। यहां तक कि मध्यप्रदेश जैसे राज्य में जहां शिवनाथ सिंह चौहान भाजपा का लम्बे समय से चेहरा रहे हैं, वहां भी पार्टी ने सीएम चेहरे को लेकर चुप्पी साध रखी है।
दरअसल, पिछले एक पखवाड़े से लगातार केंद्रीय नेताओं का छत्तीसगढ़ आने का सिलसिला जारी है। किसी दिन दो, किसी दिन तीन, किसी दिन चार मंत्री यहां आ रहे हैं। इसके अलावा परिवर्तन यात्रा के समापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा बिलासपुर में होने वाली है। पीएम मोदी इस दौरान रतनपुर में महामाया माता मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद अगले महीने तीन अक्टूबर को पीएम मोदी बस्तर दौरे पर आने वाले हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा की केंद्रीय टीम कोई कसर नहीं छोडऩे वाली है। वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था और सड़कों की दुर्दशा का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस की सरकार पर निशाना साधा है।
परिवर्तन यात्रा के जवाब में भरोसा यात्रा
प्रदेश भाजपाध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि सरकार यहां पिछले पौने पांच साल में न तो शहरी क्षेत्रों को और न ही ग्रामीण क्षेत्र की जनता को मूलभूत सुविधाएं दे सकी है। सरकार यहां एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं बना पाई। पिछले 5 सालों से छत्तीसगढ़ की जनता परेशान है। एक तरफ सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया। ऊपर से छत्तीसगढ़ को अपराध का गढ़ बना दिया। वहीं परिवर्तन यात्रा को लेकर उन्होंने कहा कि यात्रा में लगातार केंद्रीय मंत्रियों सहभागिता बनी हुई है। लगातार स्वागत सभा और बड़ी सभाएं हो रही हैं। अब तक 43 सभाएं हो चुकी हैं। बता दें कि भाजपा की परिवर्तन यात्रा के जवाब में कांग्रेस भी अगले महीने से भरोसे की यात्रा निकालने वाली है। वहीं कैबिनेट मंत्री मोहन मरकाम ने रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा की परिवर्तन यात्रा को फ्लॉप शो बताया है।

केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे से जनता को क्या मिला
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व केबिनेटमंत्री मोहन मरकाम ने कहा कि बीजेपी की परिवर्तन यात्रा को जनता ने नकार दिया। परिवर्तन यात्रा में भीड़ नहीं एकत्रित हो रही। इसलिए अमित शाह भी दंतेवाड़ा नहीं आए। भाजपा की तथाकथित परिवर्तन यात्रा में जो प्रदेश के बाहर के नेता आ रहे हैं, उसमें नुक्कड़ सभाओं के बराबर भी भीड़ नहीं इक_ा हो रही। तमाम कोशिशों लाखों रुपये खर्च करने के बाद भाजपा की परिवर्तन यात्रा फ्लाप हो गई। परिवर्तन यात्रा का असफल होना इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ की जनता प्रदेश में परिवर्तन नहीं चाहती है। भाजपा के परिवर्तन यात्रा में 15 दिन में प्रधानमंत्री से लेकर दर्जनों केंद्रीय मंत्री आए और चले गए। इनके आने से छत्तीसगढ़ की जनता को क्या मिला?
बहुमत आया तो संसदीय बोर्ड तय करेगा सीएम
वर्षांत में छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, इनमें से सिर्फ मध्यप्रदेश में ही भाजपा की सरकार है, बावजूद इसके पार्टी ने किसी भी राज्य में सीएम प्रोजेक्ट नहीं किया है। दरअसल, पार्टी इस बार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लडऩा चाह रही है। जिस तरह से मध्यप्रदेश जैसे राज्य में अपनी सरकार और मुख्यमंत्री रहने के बाद भी कई शीर्षस्थ नेताओं को टिकट दी गई है, उसके बाद वहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी भी खतरे में बताई जा रही है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सीएम भूपेश बघेल हैं तो राजस्थान में अशोक गहलोत कांग्रेस के मुख्यमंत्री हैं। बघेल व गहलोत दोनों ही कांग्रेस आलाकमान के काफी करीब माने जाते हैं इसलिए भाजपा दोनों ही राज्यों में कांग्रेस को चुनाव में हराने की पुरजोर कोशिश कर रही है, ताकि गांधी परिवार को झटका दिया जा सके। इन सबके बीच भाजपा ने इन प्रमुख राज्योंछत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्यप्रदेश की जमीनी राजनीतिक स्थिति को समझते हुए सैद्धांतिक तौर पर यह तय कर लिया है कि किसी भी राज्य में सीएम पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया जाएगा। पार्टी छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में पीएम नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर सामूहिक नेतृत्व के आधार पर चुनाव लड़ेगी और चुनाव पश्चात बहुमत मिलने पर भाजपा संसदीय बोर्ड संबंधित राज्यों के विधायकों के साथ विचार-विमर्श कर सीएम का नाम तय करेगा। भाजपा ने मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव के मद्देनजर सोमवार को अपने 39 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में 3 केंद्रीय मंत्रियों सहित 7 सांसदों और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तक को विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं, क्योंकि भाजपा ने जिन केंद्रीय मंत्रियों- नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रल्हाद पटेल के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है, उनमें से तीन मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। इसके साथ ही पार्टी ने लोकसभा के जिन सांसदों- रीति पाठक, राकेश सिंह, गणेश सिंह और उदय प्रताप सिंह को विधान सभा के चुनावी मैदान में उतारा हैं, उनमें से एक भाजपा आलाकमान के काफी करीबी माने जाते हैं। इन दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतार कर पार्टी ने सीएम शिवराज के साथ-साथ आम वोटरों को भी संदेश दे दिया है कि उसके पास मुख्यमंत्री पद के लिए कई विकल्प है। छत्तीसगढ़ में भाजपा आलाकमान बदलाव का फैसला काफी पहले ही कर चुका है, इसलिए रमन सिंह की बजाय अन्य नेताओं को ज्यादा आगे किया जा रहा है। राजस्थान में प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की लगातार कोशिशों और मांग के बावजूद पार्टी ने अभी तक चुनावों में उनकी भूमिका तय नहीं की है। वसुंधरा राजे सिंधिया के विरोधी गुट के कई दिग्गज यहां तक कि केंद्रीय मंत्री भी सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के योग्य कई व्यक्ति है और मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव बाद भाजपा का संसदीय बोर्ड तय करेगा।