-दीपक रंजन दास
आम आदमी का रक्षा बंधन भले ही ‘भद्रा’ की भेंट चढ़ गया हो पर राजनीति में राखी का महत्व अभी कम नहीं हुआ है। भाजपा की राज्यसभा सदस्य सरोज पाण्डेय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को रक्षाबंधन पर राखी भेजी। मुख्यमंत्री ने भी पूर्ण प्रेमभाव के साथ ‘रक्षासूत्र’ को स्वीकार किया और बदले में सरोज बहन को रिटर्न गिफ्ट भी भेजा। सही भी है, राजनीति में मतभेद हो सकते हैं पर मनभेद नहीं होना चाहिए। भूपेश की तरह सरोज भी छत्तीसगढ़ की ही बेटी हैं। दोनों का ताल्लुक दुर्ग जिले से है। दोनों ही भारत माता की संतानें हैं और देश की पर्व-परम्पराओं का हृदय से सम्मान करते हैं। पर इस एक छोटी सी घटना ने सरोज को सुर्खियों में ला दिया। पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद सरोज को छत्तीसगढ़ में प्रभार दिया गया है। हालांकि, उन्हें उनके कार्यक्षेत्र दुर्ग से फिलहाल दूर ही रखा गया है पर इससे अंचल की राजनीति में सरोज की पकड़ पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। इधर, भाजपा ने बिहार और झारखंड समेत पांच राज्यों से अपने 57 विधायकों को छत्तीसगढ़ भेज रखा है। ये यहां पर लोगों की नब्ज टटोल रहे हैं और उन्हें चुनाव जीतने के तरीके सिखा रहे हैं। इनमें बिहार के खजौली विधायक अरुण शंकर प्रसाद, चटपटिया विधायक उमाकांत सिंह सहित छह विधायकों ने दुर्ग में डेरा डाल रखा है। भाजपा में राष्ट्रीय संगठन महासचिव को भाजपा संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच की कड़ी माना जाता है। राज्य के स्तर पर यह भूमिका प्रदेश संगठन महासचिव निभाते हैं। भाजपा ने अपने दो प्रदेशों के संगठन महासचिवों को छत्तीसगढ़ के अलग-अलग संभागों में तैनात किया हुआ है। इनमें झारखंड प्रदेश भाजपा के संगठन महासचिव कर्मवीर को बस्तर संभाग और पश्चिम बंगाल के प्रदेश भाजपा संगठन महासचिव सतीश धोंड को बिलासपुर संभाग का दायित्व सौंपा गया है। बस्तर संभाग के 7 जिलों में 12 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटें हैं जबकि बिलासपुर संभाग के 8 जिलों में 25 विधानसभा और 4 लोकसभा की सीटें हैं। बिहार भाजपा के कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल जहां रायपुर संभाग के 6 जिलों के 19 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों को देख रहे हैं वहीं विधायक संजीव चौरसिया को दुर्ग संभाग का दायित्व सौंपा है। बहरहाल, यहां बात चल रही थी रक्षा सूत्र की। छत्तीसगढ़ न केवल भारत के हृदयस्थल में स्थित है बल्कि यह पूर्ण रूप से सनातन भारत का प्रतिनिधित्व करता है। यहां सनातन के राजनीतिक हथकंडों का ज्यादा असर नहीं होता। यही कारण है कि बिहार से आए विधायक जहां यहां कोई सुर्खी नहीं बटोर पाए, वहीं सरोज की यह छोटी सी पेशकश लोगों को गुदगुदा गई। खासकर इसलिए कि फिलहाल छत्तीसगढ़ की सरकार खुद संकट में है। ईडी और आईटी ने ऐसा जाल बिछा रखा है कि किसी की भी गिरफ्तारी महज वक्त की बात है। इसलिए राजनीतिक पंडित इस एकाएक बहनापे की वजह तलाश रहे हैं।