भिलाई। टिकट के दावेदारों ने कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्षों की सिरदर्दी बढ़ा दी है। हालांकि ज्यादातर दावेदारों को प्रभावशाली नहीं माना गया है। जिले की 6 विधानसभा सीटों में कुल 153 लोगों ने टिकट का दावा ठोका है। इनमें भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पाटन सीट पर इकलौता आवेदन स्वयं सीएम ने जमा कराया है। सबसे ज्यादा आवेदन वैशाली नगर क्षेत्र के लिए आए हैं। यहां कुल 71 लोगों ने टिकट की मांग की है। उसके बाद सतनामी समाज के गुरू रूद्रकुमार को चुनौती मिली है। उनकी अहिवारा सीट से 32 लोगों ने आवेदन किया है। जबकि भिलाई नगर से 22 और दुर्ग शहर सीट से 21 की दावेदारी सामने आई है।
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के क्षेत्र से भी 12 लोगों ने दावेदारी के आवेदन जमा कराए हैं। हालांकि इन सीटों से कुछ लोगों ने बाद में अपने नाम वापस ले लिए। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार कुल 23 महिलाओं ने भी टिकट के लिए दावेदारी जताई है। जिले की कम से कम 1 सीट पर महिला प्रत्याशी उतारे जाने की पूरी संभावना है। ब्लाक अध्यक्षों को कल जिला कमेटी को 5-5 नामों का पैनल बनाकर सूची सौंपनी है। जिसके बाद जिला कमेटी 29 अगस्त तक नामों पर विचार करेगी फिर 31 अगस्त तक प्रदेश कमेटी को अपनी अनुशंसा के साथ नाम भेज देगी।
कांग्रेस की टिकट के लिए आवेदन करने की तारीख तो समाप्त हो गई है, लेकिन ब्लाक अध्यक्षों की उलझनें थमी नहीं है। खबर है कि कई ब्लाक अध्यक्षों ने जिला और प्रदेश कमेटी से मार्गदर्शन मांगा था। आवेदन की तारीख खत्म होने के बाद ब्लाक अध्यक्षों को 2 दिन का वक्त दिया गया था। यह वक्त आज खत्म हो रहा है। उन्हें आवेदनों की छँटनी कर 5-5 नामों का पैनल बनाकर सूची को जिला कांग्रेस कमेटी को देना है। जिला कमेटी 3-3 नामों का पैनल बनाकर प्रदेश कमेटी को सौंपेगी। प्रदेश से 1 या 2 नाम हाईकमान को भेजे जाएंगे। वहीं से प्रत्याशियों का ऐलान होगा। कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में पहली बार ब्लाक अध्यक्षों के जरिए आवेदन लेने की पहल की थी।

इसका सबसे सकारात्मक नतीजा यह निकला था कि कार्यकर्ताओं को चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ी। उनमें उत्साह भी आया और काम करने का जोश भी। इसका सीधा असर नतीजों पर पड़ा था। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत आवेदन करने और टिकट वितरण से कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति भरोसा भी बढ़ा। इन सबके चलते इस बार भी पार्टी ने उसी प्रक्रिया को अपनाया है। हालांकि इस बार स्थितियां विगत चुनाव से बिलकुल अलग है। 2018 में भाजपा की सरकार थी और कांग्रेस विपक्ष में थी, इसलिए सत्ता का वनवास खत्म करने के लिए कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता ने जी तोड़ मेहनत की थी। किन्तु इस बार पार्टी सत्ता में है। शायद यही वजह है कि इस बार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से बड़ी संख्या में आवेदन आए हैं। पार्टी में आवेदनों की प्रक्रिया 17 अगस्त से शुरू हुई थी।
वैशाली नगर में क्यों टूट पड़े कांग्रेसी
2008 में अपने गठन के बाद से ही भाजपा के लिए जिले की सबसे सुरक्षित सीट रही वैशाली नगर से कांग्रेस में सबसे ज्यादा आवेदन आए हैं। यहां से कुल 71 कांग्रेसियों ने दावेदारी की है। दरअसल, इस सीट पर अब तक हुए 4 चुनावों में 3 बार भाजपा को जीत मिली है। भाजपा में भी यहां टिकट दावेदारों की भरमार है, क्योंकि हर भाजपाई को लगता है कि यहां से टिकट मिलते ही जीत पक्की हो जाएगी। हालांकि पार्टी में टिकट वितरण के लिए किसी प्रक्रिया को अपनाए जाने के बजाए सीधे दिल्ली से प्रत्याशियों की घोषणा हो रहे है। इधर, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद क्षेत्र के हालात बदले हैं। स्थानीय नागरिक क्षेत्र में विकास नहीं होने और मूलभूत सुविधाओं के अभाव को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने भी वैशाली नगर में अपनी जड़ें मजबूत की है। ऐसे में कांग्रेस के भीतर भी यह हवा चल निकली है कि इस बार वैशाली नगर की फतह तय है। कई दावेदारों ने वैशाली नगर के साथ ही भिलाई नगर सीट के लिए भी आवेदन दिया है। आवेदनों की संख्या बढऩे की एक वजह यह भी है। वर्तमान में यह सीट इसलिए रिक्त है, क्योंकि हाल ही में भाजपा विधायक विद्यारतन भसीन का निधन हो गया था। 2018 के चुनाव में जिले की यही इकलौती सीट थी, जिस पर भाजपा को जीत मिली थी।
पार्टी के अध्यक्ष भी दावेदार
यूं तो चुनाव लडऩे पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने जमकर दावेदारी की है, लेकिन कई क्षेत्रों में संगठन प्रमुख स्वयं भी टिकट के दावेदार के रूप में उभरे हैं। दुर्ग जिला ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष निर्मल कोसरे ने अहिवारा क्षेत्र से टिकट की मांग की है। यहां से वर्तमान में सतनामी समाज के गुरू व पीएचई मंत्री रूद्रकुमार विधायक हैं। भिलाई जिला कांग्रेस के अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर ने वैशाली नगर सीट के लिए आवेदन किया है। वहीं पूर्व जिलाध्यक्ष तुलसी साहू ने भी वैशाली नगर से दावेदारी ठोकी है। वैसे अहिवारा क्षेत्र से रिटायर्ड पुलिस अफसर कविलाश टंडन ने भी आवेदन किया है। वैशाली नगर क्षेत्र से पिछला चुनाव हारे पूर्व राज्यमंत्री बीडी कुरैशी ने भिलाई के साथ ही वैशाली नगर में भी आवेदन किया है। दुर्ग ग्रामीण सीट से 2013 में चुनाव हार चुकीं प्रतिमा चंद्राकर ने भी चुनाव लडऩे में दिलचस्पी दिखाई है। वहीं पूर्व महापौर नीता लोधी ने भी दावेदारी की है। इधर, पार्टी ने 50 फीसद सीटें युवाओं को देने का ऐलान किया है। इसलिए भी युवा कांग्रेस से लेकर एनएसयूआई के नेताओं तक ने टिकट का दावा ठोंक दिया है। दुर्ग शहर से एनएसयूआई नेता और दुर्ग ग्रामीण से युवा कांग्रेस के नेता की दावेदारी को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। हालांकि ये दावेदारी कद्दावर नेताओं के सामने की गई है।
पूरे प्रदेश में मच-मच
ऐसा नहीं है कि दुर्ग जिले में ही दावेदारों की भरमार है, पूरे प्रदेश में यही हाल है। आश्चर्य की बात है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा आवेदन अंबिकापुर सीट से आए हैं, जहां से उपमुख्यमंत्री व धाकड़ नेता टीएस सिंहदेव विधायक हैं। यहां से 100 लोगों ने टिकट मांगी है। वैसे, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा प्रदेश में कई और भी नेता हैं, जिनके सामने दूसरा दावेदार नहीं है। इनमें आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उच्चशिक्षामंत्री उमेश पटेल आदि के नाम शामिल हैं। साजा क्षेत्र में रविन्द्र चौबे के सामने जरूर एक दावेदार सामने आया है। चौबे के अलावा बाकी के मंत्रियों को भी दावेदारों की चुनौती मिली है। इनमें सबसे ज्यादा दावेदार पीएचई मंत्री रूद्रकुमार के सामने हैं। यहां से कुल 26 आवेदन आए हैं। उसके बाद खाद्यमंत्री अमरजीत भगत के सामने 15 लोगों ने टिकट मांगी है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के क्षेत्र से एक दर्जन दावेदार तो नगरीय प्रशासन मंत्री शिवकुमार डहरिया के क्षेत्र से 10 टिकटार्थी सामने आए हैं। वनमंत्री अमर अग्रवाल को 7, राजस्वमंत्री जयसिंह अग्रवाल को 5 तो महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा को 6 कांग्रेसियों ने टिकट की चुनौती दी है।




