बिलासपुर। बिलासपुर के अरपा नदी में डूबकर तीन बच्चियों की मौत हुई थी। मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव के साथ ही माइनिंग सेक्रेटरी से भी जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए शासन को शपथपत्र पेश करने कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि अवैध उत्खनन रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि सिर्फ पेनाल्टी से काम नहीं चलेगा। एफआईआर भी दर्ज कराई जाए।
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले महीने सेंदरी के पास अरपा नदी में बने रेत के गड्डों में डूबकर तीन बच्चियों की मौत हो गई थी। इस मामले में शासन ने 12 लाख का मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। लोगों में इसे लेकर गुस्सा तो है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है। न तो खनिज विभाग और न ही राजस्व अमला मामले की जांच कर रहा है। हालांकि जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। अब इस मामले को हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया था। खनिज विभाग की ओर से मामले में उपसंचालक दिनेश मिश्रा ने जवाब पेश करते हुए कहा कि अवैध उत्खनन और परिवहन के मामले में कुल 655 प्रकरण दर्ज करते हुए गाडिय़ों की जब्ती बनाई गई थी। इन सभी मामलों में लाखों रुपए की पेनाल्टी लगाई है। इसके साथ ही 6 मामलों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। हाईकोर्ट ने इस पर सवाल किया कि दर्ज एफआईआर की संख्या इतनी कम क्यों है।
मामले में सामाजिक संगठन अरपा अर्पण ने भी जनहित याचिका दायर की है। दोनों याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट में एक साथ हो रही है। जनहित याचिका में अरपा अर्पण की ओर से कहा गया है कि अरपा नदी में अवैध उत्खनन जानलेवा साबित हो रहा है। गर्मी के मौसम में अरपा सूखी रहती है, इसलिए गड्ढे दिख जाते हैं। बारिश में इन गड्डों में पानी भर जाता है, जल भराव के दौरान गड्ढों का पता नहीं चलता। ऐसी स्थिति में अगर बच्चे या फिर मवेशी गड्ढों में समा जाएं तो जानलेवा साबित होता है। रेत उत्खनन में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों का खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। याचिका में अरपा के किनारे पौधरोपण करने, अवैध घाटों को बंद करने की भी मांग की गई है।