नई दिल्ली (एजेंसी)। रक्षा निर्माण में मेक इन इंडिया के तहत देश ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइजेशन) द्वारा विकसित पी-7 हैवी ड्रॉप सिस्टम की मदद से अब युद्ध के मैदान में सात टन तक वजनी साजो सामान को पैराशूट के जरिए आसानी से पहुंचाया जा सकता है। भारतीय वायुसेना ने हाल ही में डीआरडीओ की सहयोगी इकाई एरियल डिलिवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADRDE) द्वारा डिजाइन और विकसित हैवी ड्रॉप सिस्टम का सफल परीक्षण किया।
The Indian Air Force recently carried out successful trials of the Heavy Drop System, designed and developed by the Aerial Delivery Research & Development Establishment: IAF pic.twitter.com/AwkOuehmsp
— ANI (@ANI) August 19, 2023
क्या होता है हैवी ड्रॉप सिस्टम?
हैवी ड्रॉप सिस्टम का उपयोग सात टन वजन वर्ग के सैन्य भंडार (वाहन/गोला-बारूद/उपकरण) को पैराशूट से नीचे गिराने के लिए किया जाता है। आईएल-76 विमान के लिए हैवी ड्रॉप सिस्टम (पी-7 एचडीएस) में एक प्लेटफॉर्म और विशेष पैराशूट सिस्टम शामिल होता है। पैराशूट सिस्टम एक मल्टी-स्टेज पैराशूट सिस्टम है, जिसमें पांच मुख्य कैनोपी, पांच ब्रेक शूट, दो सहायक शूट, एक एक्सट्रैक्टर पैराशूट शामिल हैं। इसका प्लेटफॉर्म एल्यूमीनियम और स्टील के मिश्रण से बना एक धातु संरचना है। इस सिस्टम को 100 फीसदी स्वदेशी संसाधनों के साथ सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। पी-7 एचडीएस को सेना में शामिल कर लिया गया है। पी-7 हैवी ड्रॉप सिस्टम का निर्माण एलएंडटी कंपनी कर रहा है जबकि इसके लिए पैराशूट का निर्माण ऑर्डनेंस फैक्टरी कर रही है।
पैराशूट पर तेल और पानी का असर नहीं होगा
पैराशूट पर तेल व पानी का कोई असर नहीं होता है और इन्हें लंबे समय तक इस्तेमाल भी किया जा सकता है। डीआरडीओ काफी लंबे समय से इस सिस्टम को बनाने की तैारी कर रहा था। पिछले करीब पांच सालों से हैवी ड्रॉप सिस्टम का परीक्षण जारी है।
