बालोद। पूरा देश चंद्रमा के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए चंद्रयान- 3 के लॉन्च के साथ ही जश्न मना रहा है। यह हर भारतीय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इस अवसर पर हमें उन हीरोज को जानना जरूरी है जो परदे के पीछे दिन-रात मेहनत करते हैं, तब जाकर हम ऐसे मिशनों को सफल होते देखते हैं। हम बात कर रहे हैं बालोद जिले के गुरुर ब्लॉक के ग्राम भानपुरी निवासी मिथलेश साहू की जोकि इसरो में आईटी सेक्टर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए चंद्रयान-3 का मिशन का हिस्सा बने। पिछली बार चंद्रयान-2 मिशन में भी इनकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रही और देश के प्रधानमंत्री ने भी इनसे मिलकर इनका उत्साहवर्धन किया था।
भाई अभी बेहद व्यस्त हूं
इसरो के आईटी सेक्टर में काम करने वाले मिथलेश साहू के भाई लीलाधर साहू से जब उनके भाई से बात की गई तो उन्होंने बताया कि भाई अभी बेहद व्यस्त हूं कुछ दिनों से उनसे बात नहीं हो पाई है। अब चूंकि चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च हो गया है तो हो सकता है, उनसे बात हो पाए। जब अंतिम बार उनसे बात हुई थी तो मिथलेश ने बताया था कि हमारा पूरा फोकस चंद्रयान-3 मिशन में है। हम सब पूरी टीम दिन रात जाग कर मेहनत कर रही है, इसके बाद मैं शायद परिवार को समय दे पाऊं।
त्योहार में भी घर नहीं आ पाते, देश के लिए समर्पित
करहीभदर में कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र चलाने वाले मिथलेश के बड़े भाई लीलाधर ने बताया कि शुरू से छोटे भाई में आगे बढऩे की ललक थी। पहली से 12वीं तक उसने रमतरा, भानपुरी और कन्नेवाड़ा के सरकारी स्कूल में ही पढ़ाई की। वो त्योहारों पर भी घर नहीं आ पाते हैं। देश के लिए समर्पित हैं और इसरो ऐसी जगह है, जहां नित नए-नए प्रोजेक्ट बनते हैं और उसे गति दी जाती है।

पिता हैं प्रेरणा श्रोत
मिथलेश 2017 से इसरो में काम कर रहे हैं। वह अपने पिता शिक्षक ललित कुमार साहू को प्रेरणास्रोत मानते हैं। जो गांव भानपुरी के ही प्राथमिक शाला में प्रधान पाठक थे। कंप्यूटर साइंस में इंजीनियर होने के कारण इसरो ने उन्हें आईटी डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी दी है। इस मिशन में भी वे कंप्यूटर वर्क के जरिए चंद्रयान-3 पर काम कर रहे हैं। 2016 नवंबर में शादी हुई, इसके बाद ही इसरो में इंटरव्यू के लिए कॉल आया। इसके बाद 2017 में इसरो ज्वाइन कर लिया।