भिलाई। कांग्रेस के सत्ता और संगठन में पिछले तीन-चार दिनों में जो फैसले हुए उससे छत्तीसगढ़ का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। चार महीने बाद विधानसभा के चुनाव है और जो फेरबदल हुए हैं, उसे इसी की तैयारियों का पुख्ता रूप कहा जा सकता है। असंतुष्टों को साधने से लेकर मंत्रिमंडल और विभागों में बदलाव बेहद सुलझी और परिपक्व राजनीति को दर्शाता है। भाजपा जब चुनावी मोड में आई तो दावा किया जा रहा था कि जल्द ही कई बड़े विस्फोट हो सकते हैं। इधर, कांग्रेस की ओर से इन विस्फोटों का तोड़ निकालने के दावे हो रहे थे। हालांकि अब तक न तो भाजपा ने कोई बड़ा खुलासा किया है, न ही कांग्रेस की ओर से ही कुछ हुआ है। फिर भी अब तक के हालातों में यही कहा जा सकता है कि इन तीन-चार दिनों में सीएम भूपेश पूरी महफिल लूट ले गए। कुछ छोटे प्रयासों से उन्होंने राज्य के हालातों को पूरी तरह से अपने अनुकूल कर लिया।

भूपेश केबिनेट में शिक्षामंत्री के रूप में काम कर रहे प्रेमसाय सिंह टेकाम को अचानक ही मंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा गया। टेकाम ने इस्तीफा तो दे दिया लेकिन उनके चेहरे पर साफ तौर पर निराशा भी दिखी। मीडिया से चर्चा में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कह भी दिया कि उन्होंने इस्तीफा दिया नहीं है, अपितु उनसे इस्तीफा लिया गया है। टेकाम सरगुजा क्षेत्र से आते हैं और उन्हें उन टीएस सिंहदेव का समर्थक माना जाता है, जिन्हें हाल ही में राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। सिंहदेव, राज्य के राजनीतिक हालातों से कुछ महीनों से नाराज चल रहे थे। उनकी यह नाराजगी गाहे-बगाहे सामने आती रही। हालांकि स्पष्ट रूप से उन्होंने कभी भी कुछ नहीं कहा, किन्तु जिस तरह से उन्होंने पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दिया और सत्ता के केन्द्र से हाशिए की ओर चले गए, उससे स्थितियां काफी कुछ कहती दिखी।
हाईकमान की पहल के बाद अभी हाल ही में उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया। शुक्रवार को कुछ मंत्रियों के विभागों को इधर-उधर किया गया तो सिंहदेव को भी स्वास्थ्य के साथ नए सिरे से ऊर्जा विभाग का दायित्व मिला। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह विभाग स्वयं सीएम भूपेश बघेल संभाले हुए थे। अपने हिस्से का एक महत्वपूर्ण विभाग टीएस बाबा को देना सीएम भूपेश की ओर से की गई सकारात्मक पहल थी, और बाबा का कद बढ़ाने का संकेत भी। हालांकि उन्हें एक महत्वपूर्ण विभाग देना कुछ हद तक मजबूरी भी थी। इधर, सिंहदेव के समर्थक मंत्री से इस्तीफा लेने के बाद यह चर्चाएं शुरू हो गई थी कि सिंहदेव को सत्ता में फिर से कमजोर तो नहीं किया जा रहा? इसका भी तोड़ मुख्यमंत्री ने निकाल लिया। उन्होंने केबिनेटमंत्री पद से इस्तीफा लेने के बाद प्रेमसाय सिंह टेकाम को योजना आयोग का डायरेक्टर बनाकर केबिनेटमंत्री का दर्जा दे दिया गया। यह बेहतरीन तरीके से चीजों को अपने हिसाब से चलाने की रणनीति थी। इससे हुआ यह कि सिंहदेव से लेकर उनके खास समर्थक प्रेमसाय सिंह को भी संतुष्टि मिली। सरकार में क्षेत्रीय संतुलन भी कायम रहा और सीएम भूपेश पूरे सिस्टम को अपने हिसाब से संतुलित करने में भी कामयाब हो गए।
जब मरकाम को आया आया राहुल का फोन
प्रदेश में संगठन के मुखिया के रूप में काम कर रहे मोहन मरकाम सत्ता से समीकरण बिठाने में कामयाब नहीं हो पा रहे थे। हालांकि दो कार्यकाल वे सिस्टम के हिसाब से पूरा करने में सफल रहे, लेकिन फिर अचानक ही सरकार से उनकी दूरियां बढऩे लगी। राज्य में जिस दल की सरकार होती है, उसका संगठन काफी हद तक निर्जीव हो जाता है। ऐसे में संगठन को सत्ता के फैसलों के हिसाब से चलना होता है। मरकाम पर संगठन को बखूबी चलाने के अलावा सरकार के निर्णयों को जनता तक पहुंचाने का अहम् दारोमदार था। उन्हें सत्ता को भरोसे में लेकर संगठन के भी फैसले करने थे, लेकिन इसकी बजाए उन्होंने अपने स्तर पर कई नियुक्तियां की और संगठन से कई लोगों को बाहर कर कर दिया। इसके प्रतिक्रियास्वरूप आलाकमान ने बतौर प्रदेश अध्यक्ष की गई उनकी नियुक्तियों को न केवल रद्द किया, अपितु पुराने पदाधिकारियों को भी बहाल कर दिया। इसी के बाद से यह तय माना जा रहा था कि मोहन मरकाम की अब प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई तय है। लेकिन यह आसान भी नहीं था। लम्बे समय तक संगठन के मुखिया के रूप में काम करने की वजह से कार्यकर्ताओं में कहीं न कहीं नाराजगी फैलने का डर था। ऐन चुनाव से पहले पार्टी आलाकमान और प्रदेश की सरकार ऐसा कोई रिस्म नहीं ले सकते थे। इन हालातों में मरकाम के पास अचानक ही दिल्ली से राहुल गांधी को फोन आता है। राहुल गांधी फोन पर न केवल इस्तीफा देने को कहते हैं बल्कि यह भी बताते हैं कि उन्हें जल्द ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। राहुल गांधी से चर्चा के बाद मोहन मरकाम ने प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ दिया, लेकिन किसी भी तरह की कोई बयानबाजी नहीं की। सिर्फ इतना ही कहा कि कार्यकाल पूरा होने की वजह से वे पद छोड़ दे रहे हैं। बस्तर के कोंडागांव क्षेत्र से 2018 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए मरकाम को 2019 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
इस तरह बदलता गया परिदृश्य
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का राजनीतिक परिदृश्य अचानक ही बदल गया। सब कुछ इतनी तेजी से होता गया कि लोग सोचते रह गए। बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को हटाकर उनकी जगह दीपक बैज को संगठन की कमान सौंप दी गई। उसके अगले दिन गुरूवार को स्कूल शिक्षामंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम से इस्तीफा लिया गया। शुक्रवार को मोहन मरकाम को उनकी जगह केबिनेट में मंत्री बनाया गया। इसी दिन टेकाम को भी योजना आयोग का डायरेक्टर बनाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। रात तक कई मंत्रियों के विभाग भी बदले गए। सारी कवायद वर्षांत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर की गई।