Raipur. जालसाजी (forgery) करने वाले रोज नए तरीके इजाद कर लेते है। डिजिटल दुनिया (digital world) में लोग ऑनलाइन होने वाले काम के आदी हो चुके हैं और इसका ठग बखूबी फायदा भी उठा रहे हैं। जालसाजों ने अब गूगल को भी नहीं छोड़ा है। गूगल कस्टमर केयर (google customer care) के नाम पर लोगों से ठगी की जा रही है। राजधानी रायपुर में ऐसे चार अलग अलग मामले सामने आए जिसमें ठगों ने 19 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी की। पुलिस के पास पहुंच रही लगातार शिकायतों के बाद रायपुर पुलिस ने इस मामले में जामताड़ा के पांच बदमाशों को गिरफ्तार किया है।
दरअसल रायपुर के अलग अलग थानों में पुलिस को गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करने के बाद ठगी की शिकायतें मिल रही थी। सुदर्शन जैन नाम के शख्स ने बैंक में अपना रजिस्टर नंबर बदलने के लिए कस्टमर केयर का नंबर सर्च किया। इसके बाद जो नंबर मिला उस पर कॉल करने पर कॉलर ने पे पे सपोर्ट नाम का ऐप डाउनलोड करने कहा। एप डाउनलोड करने के बाद इनके खाते से 14 लाख निकाल लिए गए। इसी प्रकार पंडरी के कारोबारी सुभाष जैन के खाते से भी इसी प्रकार कस्टमर केयर नंबर सर्च करने पर 1 लाख 42 हजार निकाल लिए गए। वहीं संध्या काबरा नाम की महिला के से भी इसी तरह 2 लाख 12 हजार निकाल लिए गए। एक अन्य मामले में रायपुर के केदार प्रधान से भी ठगी हुई। इन चार मामलों में ठगों ने 19 लाख 54 हजार रुपए की ठगी की थी।


पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में बैठकर कर रहे थे ठगी
लगातार ठगी की शिकायतों के बाद रायपुर पुलिस (Raipur Police) एक्टिव हुई और फोन नंबर व जिन खातों में रुपए ट्रांसफर हुए उसकी जानकारी लेने पर पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर (Durgapur) का लोकेशन मिला। इसके बाद रायपुर पुलिस की एक टीम दुर्गापुर पहुंची। यहां पर एक कमरे से पुलिस ने पांच बदमाशों को पकड़ा। गिरफ्तार किए गए युवकों में एमडी आलम, दिनेश राय, प्रकाश राज, महेंद्र सिंह और रोहित कुमार यादव शामिल हैं और सभी झारखंड के जामताड़ा से ताल्लूक रखते हैं। इनके पास से अलग अलग कंपनियों के 151 सिम कार्ड, 11 एटीएम व 16 मोबाइल फोन बरामद किए गए। लंबे समय से यह लोग इस प्रकार की ठगी का काम कर रहे हैं।

ठगी का तरीका भी हैरान करने वाला
ठगी के लिए इन लोगों ने गुगल पर बड़ी कंपनियों के कस्मर केयर नंबर की जगह अपने नंबर डाल रखे थे। जिस किसी शख्स को अपने खातों से संबंधित शिकायत के लिए कस्टमर केयर की नंबर जरूरतर होती तो वे गूगल पर नंबर सर्च करते। यहां पर वे इन ठगों के नंबर पर कॉल करते। ठग पहले से ताक में रहते हैं। कॉल मिलते ही किसी न किसी प्रकार से कोई एप डाउनलोड कराते हैं विश्वास में लेकर एटीएम पिन से लेकर ओटीपी तक पूछ लेते हैं। इस प्रकार आम आदमी को पता भी नहीं चल पाता कि उसके साथ कैसे ठगी हो गई। बाद में पता चलता है कि उसके खाते से रुपए कट गए हैं।