-दीपक रंजन दास
देश में बलात्कार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इनमें बालिग और नाबालिग दोनों शामिल हैं। नेशनल क्राइम रिकाड्र्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में बलात्कार के कुल 31677 मामले दर्ज किये गये। 2020 में बलात्कार के 28,046 मामले, जबकि 2019 में 32,033 मामले दर्ज किए गए थे। अधिकांश मामलों में आरोपी जान-पहचान वाले या परिवार के लोग हैं। दुष्कर्म के सर्वाधिक मामले क्रमश: राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में दर्ज किये गये। 2021 में भारत में हर दिन औसतन 86 अर्थात हर 2 मिनट में रेप की 3 घटनाएं दर्ज की गईं। मामलों की बढ़ी हुई संख्या दर्शाती है कि लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और अब वे लोकलाज के डर से ऐसे मामलों को छिपा नहीं रहे हैं। वैसे इनमें से कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए तो शेष मामले इश्क, झांसा और टेक्नीकल बलात्कार के हैं। टेक्नीकल बलात्कार अलग किस्म का होता है। यहां कोई जोर-जबरदस्ती नहीं होती। इसमें कोई हिंसा नहीं होती। इसमें आपसी सहमति से संबंध बनाए जाते हैं। नाबालिगों के पास सहमति देने की योग्यता नहीं होती, इसलिए ये मामले तकनीकी रूप से बलात्कार के माने जा सकते हैं। बालिगों में सहमति देने की योग्यता तो होती है पर अगर यह सहमति झूठ बोलकर, झांसा देकर या नशे के प्रभाव में हासिल की गई हो तो उसे सहमति नहीं माना जाता। सहमति बिना किसी दबाव या प्रलोभन के होना चाहिए। कांकेर में एक बैंक कर्मी युवती की शिकायत पर एक दूसरे बैंक के सहायक प्रबंधक को गिरफ्तार कर लिया गया है। दोनों काफी समय तक रिलेशनशिप में थे। युवती का आरोप है कि विवाह का झांसा देकर उसका दैहिक शोषण किया गया। बाद में ब्रेकअप हो गया। महीना भर पहले राजनांदगांव की एक बैंक कर्मी की शिकायत पर उसके एक सहकर्मी को गिरफ्तार किया गया। आरोप हैं कि एक बार जब दोनों साथ-साथ कहीं गए थे तब सहकर्मी ने उससे संबंध बनाए और अब बार-बार संबंध बनाने की मांग कर रहा है। दंतेवाड़ा में एक प्रेमी युगल में शारीरिक संबंध बने। बाद में ब्रेकअप हो गया। युवती ने रेप की शिकायत दर्ज कराई तो युवक गिरफ्तार हो गया। विवाह का आश्वासन देकर युवक जेल से बाहर आया। दोनों में फिर से संबंध बन गए। युवती गर्भवती हो गई तो दोबारा थाने पहुंच गई। युवक फिर जेल में है। दरअसल, हम दो संस्कृतियों के बीच फंस गए हैं। एक तरफ जहां पश्चिमी सभ्यता की उन्मुक्तता है वहीं दूसरी तरफ भारतीय मान्यताओं की बेडिय़ां। पश्चिम में रिलेशनशिप, सेक्स और ब्रेकअप जीवन की सामान्य घटनाएं हैं जबकि भारत इस तरह के दैहिक संबंधों को व्यभिचार मानता है। यहां ऐसे संबंध युवती के भावी जीवन और विवाह की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। कठोर कानून से इश्क पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती। तय हमें ही करना होगा कि रिश्तों में लक्ष्मणरेखा कहां खींचनी है।
Gustakhi Maaf: इश्क, झांसा और टेक्नीकल बलात्कार
