वॉशिंगटन (एजेंसी)। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरे में भारत और अमेरिका के बीच कई अहम मुद्दों पर सहमति बन सकती है। खबर है कि अमेरिका, भारत को लड़ाकू विमानों के इंजन की अहम तकनीक देने पर विचार कर रहा है। दोनों देश जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के इंजनों का संयुक्त उत्पादन कर सकते हैं। क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज के तहत ये अहम तकनीक भारत को मिल सकती है। माना जा रहा है कि चीन की बढ़ती चुनौती से निपटने और भारत की रूसी हथियारों पर निर्भरता को कम करने के लिए यह बड़ा कदम साबित हो सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुल्लिवन ने कहा कि क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज का फ्रेमवर्क सिर्फ मॉस्को या बीजिंग की वजह से भौगोलिक राजनीति में बढ़ रही चुनौती पर आधारित नहीं है बल्कि यह चीन के सैन्य उकसावे और उसकी आर्थिक गतिविधियों के भारत और अन्य देशों पर असर पर भी आधारित है। बता दें कि अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के इंजन लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल किए जाते हैं और भविष्य में इनका भारत में उत्पादन हो सकता है।

अमेरिका, जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है और जल्द ही भारतीय लड़ाकू विमानों में इन इंजनों को इस्तेमाल करने की मंजूरी दे सकता है। हालांकि अभी तक यह तय नहीं है कि इसकी मंजूरी कब तक मिल सकेगी।

बता दें कि अगर अमेरिकी सरकार जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के प्रस्ताव को मंजूर कर लेती है तो यह भारत की रूस के हथियारों पर निर्भरता कम करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगा। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही अमेरिका कूटनीतिक तौर पर रूस को अलग-थलग करने में जुटा है। फिलहाल भारतीय लड़ाकू विमान, रूस, यूरोप और भारत की खुद की मिश्रित तकनीक से बनाए जाते हैं।
लड़ाकू विमानों के इंजन के संयुक्त उत्पादन के साथ ही अमेरिका भारत के साथ आर्टिलरी सिस्टम, आर्मर्ड इंफेंट्री व्हीकल, सेमीकंडक्टर, क्वाटंम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ ही मेरीटाइम सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग कर सकता है।