राष्ट्रसंत बापू चिन्मयानंद ने कथा के पहले दिन बताया जीवन में रामायण का महत्व
भिलाई। रामायण समाज की विचारधारा को शुद्ध करती है।और समाज को आईना भी दिखाती है। रामायण सुनने से तो भवसागर को पार किया जा सकता है, लेकिन रामायण जी के दर्शन मात्र से भी हमारा जीवन धन्य हो जाता है। इसलिए रामकथा जहां भी हो सुनने का समय न भी हो तो दर्शन करने जरूर जाएं। रामायण के पात्र हमारे जीवन से जुड़े हैं। हमें रामायण के पात्रों के शिक्षा लेनी चाहिए कि हम पिता, पति, बेटे, पत्नी, बेटी के रूप में हम अपने कर्तव्य किस तरह निभा रहे हैं। हमें विचार करना चाहिए कि हम अपने धर्म को सही तरीके से निभा रहे हैं। भगवान श्री राम अपने आप में पूर्ण चरित्र है। वे बेटे, पति, भाई, शिष्य, मित्र और यहां तक कि दुश्मन के रूप में भी आदर्श है। खुर्सीपार स्थित श्रीराम चौक के दशहरा मैदान में शुरू हुई श्रीरामकथा के पहले दिन राष्ट्रसंत बापू चिन्मायनंद ने रामायण के महत्व और उनके चरित्र के बारे में बताया। उन्होंने रामायण के हर चरित्र से शिक्षा लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि रामकथा में शामिल होने श्रद्धा और विश्वास होनों का होना जरूरी है, क्योंकि आप रामकथा सुनने में श्रद्धा रखते हैं, लेकिन जब आपको रामायण की चौपाई में विश्वास भी करना होगा। कथा के पहले दिन ही रामभक्तों की पंडाल में भीड़ उमड़ पड़ी। इससे पहले राम स्तुति से बापू ने कथा की शुरुआत की। इस मौके पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडेय ने व्यासपीठ की आरती की। इस मौके पर श्रीरामजन्म उत्सव के जिलाध्यक्ष युवा प्रभाग मनीष पांडेय, जीवन आनंद के फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद सिंह, तेज बहादूर सिहं, पियुष मिश्रा, बुधन ठाकुर, जोगिंदर शर्मा, बंटी पांडेय, रमेश माने, अजय पाठक, राजेश त्रिपाठी, उमेश मिश्रा, अजीत सिंह, प्रकाश यादव, टोपा, श्रीनु, नील मानिकपुरी, शंकर केडिया, पवन भारद्वाज, सोनू शर्मा, आदि मौजूद थे।

रामायण आईना है
बापू चिन्मयानंद ने कहा कि रामायण समाज का आईना है। जिस तरह आइना झूठ नहीं बोलता उसी तरह रामायण के हर चरित्र समाज की हकीकत को बयां करते हैं। उन्होंने कहा कि 9 दिनों की कथा में भक्तों को पता चलेगा कि आप किस चरित्र के हैं। क्योंकि जिस भाव से आप रामायण को सुनेंगे आपको अपना पात्र उसमें मिल जाएंगा। उन्होंने कहा कि नौ दिनों में भगवान राम के चरित्र से अपने जीवन के चरित्र का दर्शन कर सकते हैं और रामकथा सुनकर हमें पता चल जाएगा कि हमारे में क्या दोष है। चरित्र में यदि हमें कमी दिखाई देती है तो सुधार कर लेना चाहिए। यही मनुष्यता है।


कल्पवृक्ष के समान
बापू ने कहा कि रामायण कल्पवृक्ष के समान है। जिस तरह कल्पवृक्ष के नीचे बैठने से हर मनोकामना पूरी होती है। उसी तरह रामायण जी के सानिध्य में आने से मनोकामना पूरी होती है। उन्होंने कहा कि 9 दिनों तक आप किस भाव से कथा श्रवण करते हैं आपकी मनोकामना भी उसी भाव से पूरी होगी। क्योंकि कथा किस विधि से सुनी गई है यह महत्वपूर्ण होती है। इसलिए श्रवण के भेद से फल में भी भेद हो जाते हैं।


पहले दिन बालकांड की कथा
रामकथा में पहले दिन प्रवचन की श्रृंख्ला में बालकांड की कथा सुनाई गई। बापू ने कहा कि रामायण को समझना है तो मानव बनकर आना होगा, क्योंकि रामायण वर्ण और मानव के बीच की कथा है। उन्होंने कहा कि संतों के इशारे को समझना जरूरी है। बाबा तुलसी ने इशारा किया है कि रामायण को सुनने आना है तो वर्ण के अहंकार को छोड़कर आना होगा। आज समाज में वर्ण व्यवस्था बिगड़ गई है। वर्ण को व्यवस्था न बनाकर विकार बना दिया। आज समाज में सच्चे मानव दिखाई नहीं देते। उन्होंने कहा कि मनुष्य का तन पाकर मनुष्य नहीं बना जा सकता। मानव रूप में पशु घूम रहे हैं। मानवीय गुणों से ही व्यक्ति मानव बनता है। इसलिए रामायण ही ऐसी कथा है जो मनुष्य को सच्चा मानव बनाती है।

सुबह से लक्ष्मीनारायण यज्ञ
कथा स्थल पर सुबह से श्रीलक्ष्मीनारायण यज्ञ शुरू हुआ। यहां सुबह 7 बजे से 1 बजे तक यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। पंडित संदीप तिवारी ने बताया कि 9 दिनों तक 3 लाख आहूतियां दी जाएगी।