नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत और चीन के बीच में तनाव चरम पर पहुंच गया है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनीसैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। उस कोशिश को भारतीय सैनिकों ने विफल तो कर दिया लेकिन जमीन पर स्थिति चिंताजनक बन गई। अब इस पूरे विवाद पर अमेरिका ने पहली प्रतिक्रिया दी है। कहा गया है कि ये राहत की बात है कि दोनों ही सेनाएं पीछे हट गईं।
अमेरिका ने भारत-चीन पर क्या बोला?
अमेरिका ने इस बात पर खुशी जाहिर की है कि समय रहते दोनों ही देशों की सेनाओं ने डिसइनगेजमेंट किया और स्थिति को नियंत्रण में रखा। जारी बयान में कहा गया कि इस बात की खुशी है कि दोनों ही सेनाएं समय रहते पीछे हट गईं। हम स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। हम दोनों भारत और चीन को बातचीत करने के लिए प्रेरित करते हैं, सीमाओं को लेकर जो भी विवाद है, बातचीत के जरिए समाधान किया जाए। इससे पहले चीन ने भी 9 दिसंबर की घटना पर अपना बयान जारी किया था। आक्रमक होने के बजाय चीन ने तब सिर्फ इतना कहा था कि भारतीय सीमा पर स्थिति ‘स्थिरÓ है।

9 दिसंबर को हुआ क्या था?
9 दिसंबर की बात करें तो तवांग में भारतीय पोस्ट को हटवाने के लिए चीनी सैनिक आए थे। भारतीय जवानों ने देखा तो तुरंत मोर्चा संभाला और भिड़ गए। भारतीय जवानों को भारी पड़ता देख चीनी सैनिक पीछे हटे। इस हिंसक घटना में 6 भारतीय जवान घायल हुए हैं, चीन की तरफ से कोई आंकड़ा जारी नहीं हुआ है लेकिन बड़ी संख्या में उसके जवान जख्मी हैं। बताया जा रहा है कि भारत को पहले से ही भनक थी कि चीन तवांग की ओर बढ़ रहा है और वहां पर भारतीय पोस्ट पर कब्जा जमा सकता है। इस वजह से चीन की बड़ी सेना के सामने भारत की तरफ से भी बड़ी संख्या में जवान वहां तैनात कर दिए गए थे। नतीजा ये हुआ कि चीनी सैनिकों को मौके से खदेड़ दिया गया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या जानकारी दी?
अभी के लिए जमीन पर स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सदन में साफ कर दिया है कि भारतीय सैनिकों की बहादुरी की वजह से चीनी सैनिकों पीछे खदेड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि 09 दिसंबर 2022 को पीएलए सैनिकों ने अरुणाचल के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास किया. चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया. इस दौरान दोनों पक्ष आमने सामने आ गए. हाथापाई भी हुई. इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं. लेकिन मैं सदन को बताना चाहता हूं कि झड़प में हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ.