-दीपक रंजन दास
समाज है तो अपराध भी होगा ही. दूसरों का माल हड़पने के लिए तो अपराध होते ही हैं, कभी-कभी अपनी बात मनवाने के लिए भी हिंसा की जाती है. अपराध बाहर वालों के खिलाफ भी हो सकता है और परिवार वालों के खिलाफ भी. घर की चाहरदीवारी के भीतर होने वाले अपराध पहले दिखाई नहीं देते थे. पर अब वक्त बदल गया है. लोकलाज के भय से मामला छिपाने के दिन लद चुके हैं. बल्कि कई बार तो दबाव बनाने के लिए झूठे मामले भी दर्ज कराए जाते हैं. कभी कभी मामला इतना मसालेदार होता है कि देखते-ही-देखते वह वायरल हो जाता है. पोर्टल की ट्रैफिक बढ़ जाती है. टैग और क्रांस लिंकिंग की सुविधा होने के कारण ऐसी सभी नई-पुरानी खबरों को एक ही पोर्टल पर, एक के बाद एक पढ़ा जा सकता है. एक खबर आई कि बीवी नॉनवेज खाती थी, गुटखा खाकर बेडरूम में ही थूक देती थी, शराब पीती थी. आत्महत्या करने की कोशिश करती थी और ससुराल वालों को फंसा देने की धमकी देती थी. फैमिली कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर पति हाईकोर्ट की शरण में गया. वहां मामला सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है. इसी तरह तमाम पंडिताई के बाद हुई एक उद्योगपति की शादी भी नहीं चली. थोड़े ही दिन में पति शराब पीकर घर लौटने लगा. पत्नी अब मायके में रहती है. उसने पति पर अपनी ही 9 साल की बेटी पर बुरी नजर रखने और उसका यौनशोषण करने का आरोप लगाया है. पति फिलहाल फरार चल रहा है. किसी को ब्लैकमेलर परेशान करते हैं तो किसी के यहां डाका पड़ जाता है. संपत्ति की लड़ाई तो त्रेता और द्वापर काल से चली जा रही है. पर जब अपराधों की संख्या बढऩे लगे तो समाज चिंतित होता है. पुलिस प्रथम दृष्टया झूठे या अहस्तक्षेप योग्य अपराधों के एफआईआर दर्ज न करे तो जनता नाराज और दर्ज करे तो अपराध का बढ़ता ग्राफ, विषय बन जाता है. फिलहाल छत्तीसगढ़ में अपराधों का ग्राफ बढ़ रहा है. जब से यूपी में पुलिस सख्त हुई है, अपराधी सीधे-सादे लोगों के राज्य छत्तीसगढ़ का रुख करने लगे हैं. इन सबसे परे छत्तीसगढ़ में अपराध अब राजनीति का विषय हो गया है. भाजपा बढ़ते अपराधों को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है तो कांग्रेस अपराधियों के भाजपा से संबंध पर चुटकियां ले रही है. कांग्रेस ने नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के हवाले से यह भी कहा है कि भाजपा शासन के मुकाबले कांग्रेस शासन में सभी प्रकार के अपराधों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है. अब पुलिस एक काम और कर सकती है – अपराध दर्ज करते समय आरोपी का नाम, वल्दीयत, उम्र, लिंग, पता के साथ ही उसकी पार्टी का नाम भी दर्ज करे. बिना बहस मुबाहसे के लोगों को पता चल जाएगा कि किस पार्टी के पास कितने अपराधी हैं. कांव-कांव से कुछ तो निजात मिलेगी.