रायपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में भी अब कवच प्रणाली से ट्रेनों की निगरानी होगी। इसके लिए सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग द्वारा चीफ सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर एसके सोलंकी ने 20 अधिकारी व 50 कर्मचारियों की उपस्थिति में कवच (ट्रेन कुलीजन एवोइडेंस सिस्टम) की जानकारी दी। इस दौरान कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा एटीपी प्रणाली पर एक प्रेजेंटेशन भी दिया गया जिसके माध्यम से बताया गया कि यह प्रणाली कैसे काम करती है। यह प्रणाली रेलवे यात्रीयों की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
बता दें भारतीय रेलवे ने चलती हुई ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कवच नामक एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली विकसित की है । यह पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक है और ट्रेनों के संचालन की हर पल निगरानी करती है। यह प्रणाली सिग्नल एवं स्पीड से संबन्धित दुर्घटनाओं को रोकने में पूर्णतया सक्षम है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 2164 किमी के लिए कवच प्रणाली को रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है और सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग द्वारा पहले चरण में नागपुर से झारसुगुड़ा (615 किमी.) खण्ड में सर्वे का कार्य आरंभ किया जा चुका है। इस प्रणाली को पूरी तरह से स्थापित करने में करीब 3 वर्ष लगेंगे।
अभी स्टेशन मास्टर व लोको पायलट करते हैं संचालन
विधित है कि ट्रेनों का संचालन मुख्यतया स्टेशन मास्टर एवं ट्रेन ड्राइवरों द्वारा किया जाता है । अतः ट्रेनों की सुरक्षा की सर्वाधिक ज़िम्मेदारी स्टेशन मास्टर एवं ट्रेन ड्राइवरों पर है । स्टेशन मास्टर से ट्रेनों के परिचालन में कोई गलती न हो यह सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग द्वारा सिस्टम की इंटरलोकिंग द्वारा सुनिश्चित किया जाता है । किन्तु ट्रेन ड्राइवरों के पास अब तक कोई ऐसी विश्वसनीय मदद नहीं थी।
कवच से कंट्रोल होंगे ट्रेन
कवच (ट्रेन कुलीजन एवोइडेंस सिस्टम ) प्रणाली ट्रेन ड्राइवरों की मदद के लिए एक विश्वसनीय साथी है। ड्राइवर कहीं स्पीड कंट्रोल करना या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो कवच प्रणाली ब्रेक इंटरफेस यूनिट द्वारा ट्रेन को स्वचालित रूप से कंट्रोल कर लेती है । यह प्रणाली ड्राइवर के केबिन में लाइन-साइड सिग्नल के आस्पेक्ट को दोहराती है । जिससे घने कोहरे, बरसात जैसे कठोर मौसम के दौरान भी ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित होगी। यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है, तो भी यह प्रणाली स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह प्रणाली संचालन प्राधिकरण (मूविंग ओथोरिटी) के सिद्धांत पर काम करती है और लोको को सीधे टकराव से बचने में, लोको में स्थित संचार माध्यम द्वारा, सक्षम बनाती है।
समपार फाटकों पर ऑटो सीटी बजाना और विष्म परिस्थितियों में अन्य ट्रेनों को नियंत्रित एवं सावधान करने के लिए ऑटो मेनुअल एसओएस प्रणाली को तुरंत सक्रिय करना इसकी विशेषता है। इससे आसपास के क्षेत्र में सभी ट्रेनों का संचालन तुरंत रुक जाता है। इस प्रणाली में पूरे सेक्शन में विश्वसनीय वायरलेस कम्यूनिकेशन स्थापित किया जाता है तथा सभी स्टेशनों व सभी इंजनों में डिवाइस लगाई जाती है जिससे ट्रेन का इंजन सम्पूर्ण ट्रैक में लगे हुए रेडियो फ्रिक्वेन्सी टैग द्वारा ट्रैक व सिग्नल से संबन्धित विवरण प्राप्त करता है। इंजन में स्थित डिवाइस (लोको यूनिट) स्टेशन के इंटर्लोकिंग सिस्टम, सिगनल के निर्देश और समपार फाटकों से विवरण लेती है और कंप्यूटरीक्रत प्रणाली के निर्देशानुसार ट्रेन का संचालन सुरक्षित गति में करती है।