दुर्ग। छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देश पर देश की प्रथम राज्य स्तरीय वृहद जेल लोक अदालत का आयोजन शनिवार को हुआ। इसी कड़ी में केन्द्रीय जेल दुर्ग में भी वृहद जेल लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में के जस्टिस गौतम भादुड़ी विशेष रूप से पहुंचे। इस मौके पर कलेक्टर पुष्पेन्द्र मीणा, एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव, जेल अधीक्षक योगेश क्षत्री सहित बड़ी संख्या में बंदी उपस्थित रहे। जेल लोक अदालत में आज कुल 17 प्रकरण निराकृत हुए।
इस मौके पर जस्टिस गौतम भादुड़ी कहा कि छोटे-छोटे अपराध में जो बंदी निरूद्ध है तथा जो विचाराधीन बंदी के रूप में निरूद्ध हैं तथा आधी सजा भुगत चुका है एवं जिसका आचरण व्यवहार अच्छा है उनके लिये वृहद जेल लोक अदालत के माध्यम से उनके प्रकरणों का निराकरण आज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जेल लोक अदालत, लोक अदालत का ही एक भाग है। बंदी ये न समझे कि जेल में रहना ही उनका भविष्य है। बंदी अपने को सुधारने की प्रक्रिया में ले, अपने दिमाग में सकारात्मक सोंच रखें। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जन्म से ही अपराधी नहीं होता, कुछ परिस्थितियां आक्रोशवश अपराध की श्रेणी में ले आती है। केन्द्रीय जेल में उस अपराध का प्रायश्चित करते हुए अपने जीवन को और बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास करते हुए अपने शरीर में उर्जा का संचार कर सकता है। उन्होंने कहा यह अवसर सुधार करने का है।

कार्यक्रम में मौजूद जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार जायसवाल ने कहा कि छत्तीसगढ राज्य के लिए यह गर्व का विषय है कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में जेल में निरूद्ध विचाराधीन बंदियों के संबंधित प्रकरणों में प्ली-बारगेनिंग एवं शमनीय प्रकृति के मामलों में समझौते के माध्यम से छोटे अपराधों में जेल में निरूद्ध बंदियों के प्रकरणों को निराकृत किया जा रहा है। जेल लोक अदालत के माध्यम से जो बंदी रिहा होंगे वे अपने परिवारजनों के साथ त्यौहार मना सकेंगें।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के सदस्य सचिव आनंद प्रकाश वारियाल ने कहा कि बंदी अपनी अंर्तआत्मा की आवाज सुने और यह निर्णय लें कि जो अपराध वे कर रहें हैं वे सही है या नहीं, बंदी जो अपराध करता है उसका खामियाजा उसके परिवारजन भी भुगतते हैं अकारण परेशान रहते हैं साथ ही प्रियजन की रिहाई के लिये अधिवक्ताओं व न्यायालय के चक्कर लगाते फिरते हैं साथ ही साथ अपराधी जेल में आने के बाद अपनी रिहाई के बारे में चिंतित रहता है। बंदियों को जागरूक किये जाने के लिए पुलिस अधीक्षक डॉ.अभिषेक पल्लव द्वारा जेल में निरूद्ध बंदियों के मनोबल को बढाते हुए उन्हें अपराध की पुनरावृत्ति न करने की सलाह दी।