रायपुर. एनेस्थेसिया का पंजीयन कराए बिना सर्जरी करना दो डॉक्टरों को भारी पड़ गया। बेहोशी में मरीज की मौत के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल ने दोनों डॉक्टरों का लाइसेंस कैंसिल कर दिया है। मामला बालोद जिले का है। यहां मरीज की मौत के बाद परिजनों ने मामले की शिकायत छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में की थी। काउंसिल के डॉक्टरों ने बैठक के बाद यह निर्णय लिया है। दल्लीराजहरा के शहीद अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज की मौत मामले में डॉक्टर शैबाल कुमार जाना और डॉक्टर सेनगुप्ता दीपांकर के लाइसेंस को 3 महीने के लिए निरस्त किया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री से की थी जांच की मांग
परिजनों ने शहीद अस्पताल के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। मृतक के पिता शिरोमणि माथुर ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को भी पत्र लिखकर जांच की मांग की थी। बालोद जिले के कुछ निजी अस्पतालों के खिलाफ और भी शिकायतें हुई हैं, जिस पर छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल संज्ञान ले सकती है।
इसलिए हुई कार्रवाई
आरोपी डॉ. सेनगुप्ता दीपांकर और डॉ. शैबाल जाना के पास एमबीबीएस की डिग्री तो है, लेकिन एनेस्थेसिया का पंजीयन नहीं होने के बावजूद वे इसके जरिए इलाज कर रहे थे। इसलिए दोनों का लाइसेंस 3 महीने के लिए कैंसिल हुआ है। दोनों डॉक्टर दल्लीराजहरा के शहीद अस्पताल में पदस्थ हैं। डॉक्टर शैबाल जाना शहीद अस्पताल के प्रमुख हैं। अब दोनों डॉक्टर 11 अक्टूबर से 10 जनवरी 2023 तक इलाज नहीं कर सकेंगे। यह आदेश छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसलिंग रायपुर के अध्यक्ष भीम सिंह ने जारी किया है।