दंतेवाड़ा. इन दिनों पूरे देश में नवरात्रि की धूम है। आज हम छत्तीसगढ़ के एक ऐसे शक्तिपीठ से आपको रूबरू करा रहे हैं जो देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है। धर्म ग्रंथो में आदिशक्ति के 52 शक्तिपीठों के बारे में भी बताया गया है। इन्ही शक्तिपीठों में से एक माता दंतेश्वरी का मंदिर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित है। माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती के दांत गिरे थे, यही कारण है कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान केवल बस्तर संभाग से नहीं बल्कि देशभर से बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वहीं यह शक्तिपीठ तंत्र साधना का भी मुख्य केंद्र है। ऐसा बताया जाता है कि सालभर तांत्रिक यहां के जंगलों में रहकर मां की गुप्त साधन करते हैं। कई बार तांत्रिकों को मंदिर परिसर में भी देखा जाता है।
सैकड़ों साल पुराना मंदिर
माता दंतेश्वरी को बस्तर राज परिवार अपनी कुल देवी मानता है, लेकिन वह पूरे बस्तरवासियों की रक्षक हैं। माना जाता है कि माता सती का एक दांत दंतेवाड़ा में गिरा था, इस वजह से इस इलाके को दंतेवाड़ा कहा गया। दंतेवाड़ा माता के स्वरूप को भी दंतेश्वरी माई के नाम से ही जाना जाता है। दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर के अतिरिक्त बस्तर के जगदलपुर शहर में स्थित दंतेश्वरी मंदिर, गिरौला गांव में मौजूद हिंगलाजिन माता मंदिर, बारसूर में स्थित मावली माता मंदिर, शीतला माता मंदिर में भी देवीभक्तों की सालभर भीड़ लगी रहती है।
लोक कथाओं में ऐसे प्रकट हुई थी माता
दंतेश्वरी माता के प्रकट होने की एक लोककथा के मुताबिक प्राचीन भारत के राज्य वारंगल के राजा प्रताप रुद्रदेव थे। जब उनके छोटे भाई अन्नमदेव को वारंगल राज से निर्वासित कर दिया गया, एक बार वह दु:खी मन से गोदावरी नदी को पार कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें नदी में माता दंतेश्वरी की प्रतिमा मिली। अन्नमदेव ने उस प्रतिमा को उठाकर नदी के किनारे लाया और उसकी पूजा करने लगे, तभी माता दंतेश्वरी ने साक्षात प्रकट होकर अन्नमदेव से कहा कि अपने रास्ते पर आगे बढ़ते जाओ, मैं भी तुम्हारे पीछे-पीछे चलूंगी। कहते है कि माता दंतेश्वरी के आशीर्वाद से अन्नमदेव ने अपने रास्ते पर चलते हुए कई राज्य जीते। दंतेवाड़ा में जिस जगह वह जाकर रुके वहां माता स्थापित हो गईं। इस प्रकार उन्होंने बस्तर साम्राज्य की स्थापना भी की। इतिहास में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि बारसुर के युद्ध में राजा अन्नमदेव ने हरिशचंद्र देव को मारकर बस्तर में अपने राज्य की स्थापना की थी ।