-दीपक रंजन दास
वर्षों पहले एक फिल्म आई थी “हाथी मेरे साथी”. इस फिल्म के एक गीत ने पूछा था- ‘जब जानवर कोई इंसान को मारे, कहते हैं दुनिया में, वहशी उसे सारे. एक जानवर की जान आज इंसानों ने ली है, चुप क्यों है संसार?’सवाल आज भी वहीं है. गाय ही क्या किसी भी प्राणी को इस तरह दी गई मौत वीभत्स है. इसे माफ नहीं किया जा सकता. देश में पशु क्रूरता रोकने का कानून है. सर्कस से लेकर चिडिय़ाघर तक पर प्रतिबंध लगा हुआ है. वन्य प्राणियों को पालना मना है. सिनेमा शुरू होने से पहले भी अस्वीकरण आता है – “इस फिल्म की शूटिंग के दौरान किसी पशु पक्षी को हानि नहीं पहुंचाई गई है.” पर पालतू पशुओं को कौन बचाए? दुधारू पशु और श्वान सदियों से इंसानों के साथ रह रहे हैं, उनकी सेवा कर रहे हैं. पर जब बात इन पशुओं की सेवा की आती है तो मतलबी इंसान भयंकर कोताही करता है. ताजा घटना मुंगेली जिले के पथरिया स्थित एक बाड़े की है. इसके संचालक छेदी उर्फ नरेश ने गायों को बाड़े में बंद कर दिया और स्वयं अपने रिश्तेदार के यहां चला गया. यहां न चारा था न पानी. गांव वालों को जब तक इसकी भनक लगती, 17 गायें दम तोड़ चुकी थीं. सात और गायों ने प्रशासन के सामने एक-एक कर दम तोड़ दिया. छेदी फरार है. स्थानीय पार्षद के मुताबिक छेदी गौ-तस्कर है. वह इस मामले में जेल भी जा चुका है. इधर भाजपा को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया. भाजपा विधायक धर्मलाल कौशिक ने सरकार पर हमला किया है कि गौ-तस्करों के हौसले बढ़े हुए हैं. विधायक को पता होना चाहिए कि गायों के भूख-प्यास से मरने की यह कोई पहली घटना नहीं है. भाजपा शासनकाल में 200 गायों ने भूख-प्यास से तड़पकर प्राण त्याग दिये थे. राजपुर गौशाला का संचालन भाजपा नेता हरीश, सरकारी मदद से करता था. वह जामुल नगर पालिका का उपाध्यक्ष भी था. गायों की मौत के बाद भी उसका पद नहीं छिना. दरअसल, स्वार्थी मनुष्य को सिर्फ दूध, दही, घी और पनीर से मतलब है. गाय कैसे जियेगी, कहां रहेगी, क्या खाएगी, इसकी चिंता करने की उसे फुर्सत नहीं है. चारागाहों पर मनुष्य का कब्जा है. सड़कों पर उसकी गाडिय़ां फर्राटे भरती हैं. गौमाता पर वह केवल जुबानी जमा खर्च करता है. स्वतंत्र भारत में पहली बार छत्तीसगढ़ सरकार ने एक नई पहल की. उसने गोठान खोले. समूचे गौवंश की सुरक्षा के लिए गौमूत्र और गोबर खरीदना शुरू किया. इसमें समाज के सहयोग की जरूरत थी. पर देश की राजनीति अजब है. यहां विरोध केवल विरोध करने के लिए होता है. विपक्ष का एकमात्र धर्म सरकार की अच्छी बुरी सभी योजनाओं को पलीता लगाना है. विपक्ष अपने गिरहबान में झांकना भी जरूरी नहीं समझता. वरना उसे राजपुर, मयूरी और फूलचंद गौशाला की घटनाएं याद होतीं जिनका संचालन भाजपा नेता द्वारा किया जा रहा था.