भिलाई. सरगुजा रेंज आईजी रतन लाल डांगी ने एक बार फिर सोशल मीडिया में युवाओं के नाम संदेश लिखते हुए उन्हें जैसी संगत वैसी रंगत से अवगत कराया है। सीनियर आईपीएस ने युवाओं के लिए एक स्टोरी शेयर करते हुए अनोखे अंदाज में उन्हें संगत और दोस्ती का मतलब समझाया। पढि़ए सोशल मीडिया में शेयर आईजी डांगी की पोस्ट…

हम बचपन से ही पढ़ते और सुनते आ रहे हैं कि एक बार एक सेब बेचने वाला एक पेटी सेब लेकर आया उसमे एक सेब गंदा था। जब उसने 2 दिन के बाद पेटी खोली तो देखता है कि सारे सेब खराब हो चुके थे। जिस तरह एक खराब सेब से सारे ही सेब खराब हो गए इसी प्रकार एक भी गलत व्यक्ति की संगति करने से सही व्यक्ति भी गलत दिशा की ओर अग्रसर हो जाता है।
संगति का प्रभाव तो अवश्य ही पड़ता है तो क्यों न अच्छी संगति में बैठे । अच्छे आचरण वाले व्यक्तियों की संगति से हम अवश्य ही अच्छे गुण ग्रहण करेंगे, जो जीवन भर हमारे साथ रहेंगे, समय-समय पर हमारे काम आएंगे ।
अच्छे गुणों, अच्छे संस्कारों, अच्छे मित्रों से ही जीवन को सही दिशा मिलती है । यह सब हमारे हाथ में है कि हम स्वयं को किस दिशा में लेकर जाते हैं । हम सभी चाहते हैं कि हमारा वर्तमान और भविष्य सुंदर, सुखद हो और हम यह भी मानते हैं कि मानव सहज ही वैसा हो जाता है जैसा वातावरण का उस पर प्रभाव होता है । इसीलिए हमें अच्छे बुरे की पहचान होना आवश्यक है। यदि हम चाहते हैं कि समाज में हमें सम्मान की दृष्टि से देखा जाए, हर कोई हमारे से मिलना चाहे, तो हमें स्वयं को इस के योग्य बनाना होगा और यह तभी संभव होगा जब हमारी संगति सही होगी।
यदि अच्छे लोगों के पास बैठेंगे तो कुछ न कुछ सीखने को ही मिलेगा और यदि हम कुसंगति में पड़ जाए तो विनाश अनिवार्य है। धीरे-धीरे हमारे अंदर ऐसे अवगुण आ जाएंगे जिनके कारण हम खुद से और दूसरों से दूर होते चले जाएंगे और जीवन में एक ऐसा अकेलापन आ जाएगा जिसे हम चाह कर भी दूर नहीं कर पाएंगे। मानव एक सामाजिक प्राणी है और समाज के बिना नहीं रह सकता, मानव नहीं बन सकता इससे यह सिद्ध होता है कि यदि व्यक्ति सुधर जाए तो समाज सुधर सकता है ।
यह तभी हो सकता है जब हम गुमराह करने वालों का संग छोड़ उन लोगों से मेल मिलाप बढ़ाएं जो हमेशा ही दिशा में ले जाएं क्योंकि हमें विकास चाहिए विनाश नहीं।
संग का रंग तो चढ़ते चढ़ते चढ़ ही जाता है । एक बार एक व्यक्ति का पर्स गुम हो गया जिसमें उसका बहुत सा धन था। वह उसकी रिपोर्ट लिखवाने पुलिस थाने पहुंचा वहीं पर वह व्यक्ति भी मौजूद था जिसे उसका पर्स मिला था। वह व्यक्ति जिसके पास पर्स था वह उसे लौटाने के लिए ही वहां पहुंचा था। जिसका पर्स गुम हुआ था यह देखकर वह बहुत प्रसन्न हुआ दूसरे व्यक्ति की ईमानदारी पर कि आज भी अच्छे लोग इस संसार में है। उसने उस ईमानदार व्यक्ति को इनाम के रूप में एक अच्छे होटल में खाने का निमंत्रण दिया और सोचा कि ऐसे ईमानदार व्यक्ति के विषय में कुछ और जानकारी ली जाए।
अगले दिन भी दोनों निश्चित समय पर होटल में पहुंच गए। भोजन करते हुए आपस में बातचीत भी करते रहे। भोजन के उपरांत जब वह व्यक्ति बिल अदा करने लगा तो उसके बिल में खाने के अतिरिक्त चांदी की चम्मच की कीमत भी जोड़ दी गई ।
उसने हैरान होकर मैनेजर से पूछा तो मैनेजर ने उसे बताया कि तुम्हारे साथ वाले व्यक्ति ने चांदी का एक चमक चुराया है इसीलिए हमने इसकी कीमत इस बिल में जोड़ दी है। वह व्यक्ति बहुत परेशान हो गया क्योंकि उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतना ईमानदार व्यक्ति जो इतना पैसा लौटा सकता है, वह एक चमच्च कैसे चुरा सकता है। उसने न चाहते हुए भी उस व्यक्ति से पूछा कि जब आप मेरा पैसा वापस कर सकते हो जिसमें हजारों रुपए थे फिर तुम चमच्च कैसे चुरा सकते हो ?
वह व्यक्ति बोला,” हां , मैंने चमच्च चुराया है। जिस दिन मैंने तुम्हारा पर्स वापस किया था उस दिन में सत्संग से लौट रहा था। वहां पर सदाचार की अच्छी-अच्छी बातें बताई गई थी। वह प्रभाव मुझ पर बना हुआ था इसलिए मैंने आपका पर्स वापस कर दिया। परंतु अब मैं आधे घंटे से आपके साथ हूं। आपके साथ बैठकर आपका खाना खाया। आपकी बातें सुन रहा हूं। जिसका प्रभाव होना स्वाभाविक है। यही कारण है कि मैंने यह गलत कार्य किया है। इस बात से हम समझ सकते हैं कि संगति का कितना प्रभाव होता है । वास्तव में समझते तो हम सभी है। मुश्किल होता है इस पर चलना । यदि हम मुश्किलें सहते हुए भी इस पर चल पड़े तो फिर जीवन के रास्ते आसान बन सकते हैं।
यदि जीवन में कुछ पाना है, सफल होना है तो अपने दोस्तों, जान पहचान का दायरा सोच समझकर बनाना होगा। मित्रता केवल अपने ही जैसे लोगों से करनी चाहिए। मित्रता के लिए आवश्यक है कि समान विचार वाला, समान कल्पना वाला, समान आर्थिक स्थिति का व्यक्ति हो तो ही मित्रता चलती है। मनुष्य जैसे भी लोगों के साथ रहेगा उसका प्रभाव से उसके स्वभाव पर पड़ेगा। जैसे बीज का असर पैदा होने वाली फसल पर अवश्य पड़ता है। इसलिए यदि आपका संग अच्छा है तो आप अवश्य ही अच्छे इंसान होंगे।
कहते है कि आकाश छूना है तो बाज के साथ उड़ों, मुर्गियों के साथ तो केवल रेंग ही पाओगे।
जय हिन्द
रतन लाल डांगी, आईजी
बिलासपुर रेंज, छत्तीसगढ़