श्रीकंचनपथ डेस्क। देश में चितों की वापसी हो गई है। शनिवार को नामिबिया से चीतों का कुनबा मध्यप्रदेश पहुंच चुका है। आज सुबह 7:30 बजे नामिबिया से 8 चीतों को लेकर विशेष विमान ग्वालियर पहुंचा। यहां से इन चीतों का कुनो नेशनल पार्क के लिए रवाना किया गया। अभी एक सवाल सभी जेहन में है कि आखिर चीतों को रखने के लिए मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क का ही चयन क्यों किया गया। क्या देश में कोई अभयारण्य ऐसा नहीं है जहां इन चीतों का रखा जाए।
आपको जानकर हैरानी होगी की देश में चीतों को रखने के लिए मध्यप्रदेश से पहले छत्तीसगढ़ का भी सर्वे किया गया था। बता दें छत्तीसगढ़ में ही देश के आखिरी चीते देखे गए थे। इसके बाद ही इनका कुनबा खत्म हो गया था। छत्तीसगढ़ के अभयारण्य में भी चीतों के लिए अनुकूल माहौल है। इसके अलावा चीतों को रखने राजस्थान, गुजरात व उत्तरप्रदेश के जंगलों का भी सर्वे किया गया लेकिन अंत में मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर नेशनल पार्क को चुना गया।
मध्य प्रदेश के विशाल वन मंडल के 748 वर्ग किलोमीटर में फैला कूनो पालपुर नेशनल पार्क भारत पहुंचे 8 वीतों का नया घर होगा। कूनो नेशनल पार्क का क्षेत्र छत्तीसगढ़ के कोरिया के साल जंगलों से मिलता जुलता है। इन्हीं जंगलों में 70 साल पहले मूल एशियाई चीता आखिरी बार देखा गया था। यह क्षेत्र चीतों के लिए उपयुक्त माना जाता है और यही वजह है कि इससे मिलता जुलता कूनो नेशनल पार्क इनके लिए चुना गया है।
मैदानी इलाका माना जाता है उपयुक्त
चीतों के रहने व विचरण करने के लिए मैदानी इलाका उपयुक्त माना जाता है। मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों का सर्वे करने के बाद मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में बना कूनो राष्ट्रीय उद्यान को ही चीतों के लिए सबसे सही और सुरक्षित जगह माना गया। इसलिए इस स्थल का चयन किया गया। कूनो पार्क में चीता के साथ-साथ बाघ, शेर और तेंदुए के लिए भी रहने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है। इस जंगल में तेंदुओं की आबादी काफी है, यहां प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में लगभग नौ तेंदुए पाए जाते हैं।
कूनो नेशनल पार्क में एक भी इंसानी बस्ती नहीं
कूनो नेशनल पार्क में एक भी इंसानी बस्ती नहीं है। यहां के 748 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पूरी तरह से सरंक्षित कर दिया गया है। कूनो नेशनल पार्क में चीतल की संख्या काफी ज्यादा है इसलिए चीतों को यहां शिकार करने में भी आनंद आएगा। चीते तेज व फूर्तिले होते हैं और यह इंसानों व बड़े जानवरों पर कम ही हमला करते हैं। इनके शिकार छोटे जानवर ज्यादा बनते हैं। चीतल व हिरण की प्रजाति चीता, बाघ और शेरों के लिए बेस्ट माना जाता है।