गौठान के लिए पैरा दान करने का आव्हान
बेमेतरा। कलेक्टर श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी ने किसानों से फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन कर खेतों और पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को जलाना नहीं जाना चाहिए। उन्होंने किसानों से गौठान हेतु पैरा दान करने का आव्हान किया है। कलेक्टर ने अपने अपील में कहा है कि वर्तमान में खरीफ फसलों की कटाई एवं रबी फसलों की बुआई का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। खेतों को जल्दी तैयार करने के लिये किसानों द्वारा फसलों के अवशेषों को जला दिया जाता हैए जिससे भारी मात्रा में नुकसानदायक गैस का उत्सर्जन होता है। यह गैस पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ ही मानव स्वास्थ्य जैसे.श्वास एवं फेफड़ों की बीमारी के कारण बनते हैं। मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक संरचना को खराब करने के लिये भी यह जिम्मेदार होती है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक टन पराली जलाने से 5.50 किलोग्राम नाइट्रोजनत्र 2.3 किग्रा फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटाश तथा 1.2 किलोग्राम सल्फर जलकर नष्ट हो जाता हैै। साथ ही खेतों में आग लगाने से भूमि का तापमान भी तेजी से बढ़ता हैए जिससे खेती में सहायता करने वाले सूक्ष्म जीव जंतु एवं लाभदायक कीट जल कर नष्ट हो जाते हैं। इससे न केवल जैव विविधता पर प्रभाव पड़ता है साथ ही मिट्टी की उर्वरता में भी कमी आती है।
माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एनजीटी द्वारा खेतों में फसल अवशेषों को जलाने पर पर्यावरण को होने वाले नुकसान को संज्ञान के लेते हुए आदेश पारित किया है कि यदि कोई किसान अपने खेतों में फसल अवशेष जलाते हुए पाये जाते हैंए तो 2 एकड़ रकबा वाले कृषकों से 2500 रूपए, 2 से 5 एकड़ वाले किसानों से 5000 रूपए एवं 5 एकड़ से अधिक रकबा वाले किसानों 15 हजार रूपए दण्ड वसूलने का प्रावधान किया गया है। फसल अवशेष जलाना एक सामाजिक अपराध हैए जिसके अंतर्गत खेतों में फसल अवशेष को जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
फसल अवशेष प्रबंधन के उपाय
गांवों में निर्मित आदर्श गौठानों में पैरा दान कर पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो सकती है। धान के पुआल का यूरिया से उपचार करके पशु चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। वेस्ट डिकम्पोजर के 200 लीटर प्रति एकड़ घोल को फसल कटाई उपरांत खेतों में पड़े अवशेषों के ऊपर छिड़काव कर अपघटित करना चाहिए, इससे खेतों में ही पोषक तत्व प्रबंधन किया जा सकता है। फसल कटाई उपरांत खेत में फसल अवशेष पड़े रहने के बाद भी बिना जलाये बीजों की बोनी के लिए जीरो सीडड्रिल इत्यादि से बोनी करने पर अवशेष खेत में नमी संरक्षण के साथ खरपतवार नियंत्रण एवं बीज के सही अंकुरण के लिये मल्चिंग के रूप में कार्य करेगा।