प्रत्येक बीमारियों के लिए होती है खरीदी बिक्री?
मुख्य द्वार में ही है मौजूद अस्पताल का दलाल?
देवेन्द्र बघेल की कलम से
दुर्ग (देवेन्द्र बघेल)। जिला अस्पताल दुर्ग का संचालन पिछले कई दशकों से किया जा रहा है जहां एक साधारण सा व्यक्ति अपना ईलाज कराने के लिए इसलिए जाता है कि उसका इलाज सरकारी सेवाओं के तहत मुफ्त में हो सके और वह अपनी जान सकुशल बचा कर ईलाज का फायदा उठाकर अपना जीवन यापन सुचारू रूप से कर सके। परन्तु दुर्ग जिला अस्पताल शुरूआती दिनों से ही दलालों के चंगुल में फंस चुका है जहां एक बड़ा डॉक्टर भी किसी गंभीर बीमारी के ईलाज के लिए मरीजों और उनके परिजनों से नगद पैसों की मांग करते है तो वही उनकी बातों को स्वीकार न किए जाने पर हिलहवाला कर देते है। मरीज एैसे सरकारी संस्था में भी जहां मुफ्त में ईलाज करने का ढिंढोरा पीटा जाता है वहीं डॉक्टरों के दलाल रूपी रवैय्ये के कारण मरीज और उनके परिजन परेशान हो चुके है। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार जब सत्ता में आई तो अपने साथ -साथ जिला अस्पताल के व्यवस्थाओं को सुधारते हुए पुरे ओपीडी को नए स्वरूप के साथ सौगात के रूप में लेकर आई। जबकि एक बीमार बालिका को देखने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिला अस्पताल पहुंचे थे हालांकि उन्होंने अस्पतालों की व्यवस्था को सुधारने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मरीजों को जैसे भी हो उसका फायदा पहुंच सके एैसी उन्होंने व्यवस्था बनाकर रख दी है। परन्तु कुत्ते की दुम की तरह टेढ़ी अस्पताल की व्यवस्था आज तक सीधी नहीं हो पाई है। मसलन अस्पताल के कर्मचारी और कुछ बड़े डॉक्टर बीमारियों के इलाज के नाम पर मरीजों से सीधे पैसों की मांग कर रहें है। हालांकि निजी अस्पतालों की अपेक्षा सरकारी कर्मियों की मांग आधी होती है परन्तु एक गरीब परिवार के लिए मांगी गई दलाली भी काफी महंगी होती है? क्योंकि छोटे-बड़े सभी लोगों के लिए एैसे अस्पतालों में मुफ्त ईलाज की घोषणा सरकार द्वारा की जाती है। पिछले दिनों जजकी वार्ड में एक एैसा मामला या कारोबार देखने को मिला जहां की साधारण कर्मचारी नर्स से लेकर आया और वार्ड बॉय तक मरीजों से जजकी कराने के पश्चात सीधे परिजनों से नगद दो हजार रूपए की मांग करते है। न देने पर मरीजों के साथ दुव्र्यवहार और दवाईयों व अन्य व्यवस्थाओं में कटौती कर दी जाती है। संगठित इन कर्मचारियों के द्वारा परिजनों से यह कहकर पैसों की मांग की जाती है कि आप तो दादी बन गए है आपके घर पोता आया है कुछ खर्चा करो। मां और बाप को यह कहकर लूटा जाता है कि आपके घर बेटा हुआ है। एैसे कई प्रलोभन भरे बातों को मरीजों के सामने परोसकर लुटा जाता है कि न चाहते हुए भी परिजन मजबूर होकर नर्स, वार्ड बॉय और दाई को न्यौछावर भेंट करना ही पड़ता है। जिला अस्पताल में मरीजों के साथ एैसी लूटपाट और दलाली सिर्फ जजकी वार्ड तक सीमित नहीं है। इस अस्पताल के मुख्य द्वार में ही एक 25-30 वर्षीय गोरा-चिट्टा नाटा सा युवक पुरे डॉक्टरों के नाम पर दलाली करता है। इसका कारोबार किसी भी प्रकार कोई गोपनीय रूप से संचालित नहीं हो रहा है। बकायदा वह नगर सैनिकों के साथ बैठक अपने दलाली के गैर कानूनी कार्यो को खुलेआम संचालित कर रहा है। इस गैरकानूनी कार्य की जानकारी यहां के प्रमुख डॉक्टरों और प्रबंधक को भी नहीं है। इस बात इनकार नहीं किया जा सकता। मसलन इस युवक की दलाली के कारोबार की जानकारी सभी को है। इसके बावजूद युवक के गैर काूननी कार्यो को रोकने की हिमाकत आज तक किसी ने भी नहीं दिखाई। हालांकि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था नगर सैनिकों के हाथों में है इसके बावजूद कई नगर सैनिक कथित दलाल युवक के साथ मिलकर अपनी दलाली खाने में जरा भी नहीं हिचकते। गर्भवतियों से जहां अब तक दो से तीन हजार रूपए लेने की बात सामने आ चुकी है वहीं अन्य बीमारियों के लिए डॉक्टरों के साथ भी दलाली की बातें सामने स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। अस्पताल के ऊपर ओपीडी को एक नया सवरूप तो दे दिया गया है परन्तु डॉक्टरों और वार्ड बॉय, चपरासी की मनमानी खुलेआम देखने को मिलती है। एक तरफ जहां डॉक्टर अपने निर्धारित समय से दो घंटा लेट आते है। वहीं पैथॉलॉजी विभाग तो भगवान भरोसे है। जहां एक ही काउंटर में सभी बीमारियों के टेस्ट किए जाते है और टेस्ट रिपोर्ट भी इसी एक काउंटर से आधा -अधूरा मिलता है। महीनों पूर्व कुछ काउंटरों को अलग-अलग किया गया था लेकिन वर्तमान व्यवस्था एक ही काउंटर की है जहां शुगर के मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पदस्थ डॉक्टरों को सुबह आठ बजे आने की हिदायत दी गई है। शुगर का मरीज टेस्ट करवाने खाली पेट आठ बजे ओपीडी पहुंच जाता है परन्तु डॉक्टर निर्धारित समय से डेड़-दो घंटा बाद आते है जहां एैसी परिस्थिति में शुगर के मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं खुन जांच करवाने के लिए घंटा डेड़ घंटा की लंबी लाइन का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट भी तत्काल मिल जाए एैसी व्यवस्था जिला अस्पताल में नहीं है। मसलन रिपोर्ट दूसरे तीसरे दिन मिलती है। एैसी व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए अब स्वयं भूपेश सरकार को अपने दमखम के साथ आना होगा जहां व्यवस्था को सुधारने के साथ-साथ संचालित हो रही दलाली की गैर कानूनी कार्य को भी बंद करना होगा। तभी गरीबों को अच्छी सुविधाओं के साथ मुफ्त इलाज मिल पाएगा।