कीव (एजेंसी)। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले छह महीने से जंग जारी है। इन छह महीनों में कई बार ऐसे मौके आए जब लगा कि यूक्रेनी सैनिक शक्तिशाली रूस के सामने घुटने टेक देंगे, लेकिन राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के हौसले और सैनिकों के साहस ने यूक्रेन को जंग में बनाए रखा।
अब खबर है कि यूक्रेनी सैनिकों ने रूस को करारा झटका दिया है। दरअसल, यूक्रेनी सैनिक रूस के मजबूत कब्जे वाले खारकीव प्रांत के इजियम शहर में दाखिल हो गए हैं। इस बीच रूसी रक्षा मंत्रालय ने खारकीव से अस्थाई तौर पर अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। भले ही रूस के इस मामले में अपने अलग तर्क हों, लेकिन उसका यह फैसला जंग का निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। रूस के लिए मार्च में कीव गंवाने के बाद इसे दूसरा सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
बदल सकता है रुख
यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूसी सैनिकों ने एक सप्ताह के भीतर ही खारकीव के इजियम शहर पर कब्जा जमा लिया था। इजियम रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रसद मार्ग है। रूसी सैनिकों के यहां से पीछे हटने के ठीक बाद यूक्रेन ने यहां के कुपियांस्क रेलवे जंक्शन पर भी कब्जा जमा लिया। इससे रूस के लिए दोनाबास में रसद पहुंचाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया। इसके अलावा रूसी सैनिक बड़ी संख्या में यहां गोला-बारूद के भंडार और उपकरणों को भी छोड़कर वापस लौट गए। यह भी रूस के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।
2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा
यूक्रेनी सैनिकों ने इस महीने की शुरुआत से ही रूसी सैनिकों पर हमले तेज कर दिए हैं और वे तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, जवाबी कार्रवाई शुरू होने के बाद से लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर (770 वर्ग मील) क्षेत्र को मुक्त करा लिया गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रात में दिए संबोधन में कहा, हमारी सेना ने खारकीव में 30 से ज्यादा मोर्चों को फिर से कब्जे में ले लिया है। अब आगे बढऩे का सिलसिला जारी रहेगा। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक द इस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वार के अध्ययन के मुताबिक, इस हफ्ते शुरू हुए अभियान के तहत अब तक रूस को 2500 वर्ग किलोमीटर इलाके से खदेड़ा जा चुका है।
खारकीव से फिलहाल वापस बुलाई सेना: रूस
रूस के रक्षा मंत्रालय की ओर से शनिवार को कहा गया है कि रूसी सेना को फिलहाल खारकीव क्षेत्र से अस्थायी तौर पर छोडऩे को कहा गया है। यहां बीते कुछ हफ्तों में यूक्रेनी सेना ने काफी आक्रामक ढंग से हमले किए हैं, जिनकी वजह से रूसी सेना को पीछे हटने का फैसला करना पड़ा है।