-दीपक रंजन दास
राजनीति और बकैती, एक दूसरे के पर्यायवाची हो गए हैं. जानकारी जुटाने से ज्यादा लोग इन बकैतियों में ही रस ढूंढ रहे हैं. उधर टीवी पर कुछ बकैत दिन भर चीख रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस तरह झूठ को सच बनाया जा सकता है. कभी-कभी तो लगता है उड़कर कान के नीचे एक तमाचा दे आएं. पर ऐसे बकैतों की फैन-फालोइंग देखकर डर भी लगता है. कुछ लोगों के घर तो दिन भर बकैती चैनल ही चलता रहता है. इसलिए बच्चे अब या घर में घुसते ही नहीं और घुसते भी हैं तो कान में ईयर फोन ठूंस लेते हैं. कौन दिमाग का दही करवाएगा. महिलाएं भी टीवी रूम से दूर ही रहती हैं. छत्तीसगढ़ में भी भाजपा के ट्रोल काउंटर खुल रहे हैं. पर इस बार पाला छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री से पड़ा है. जिन्हें छत्तीसगढिय़ा शब्द का सही-सही अंदाजा नहीं है, वो एक बार गांव घूम आएं. निपट देहाती महिलाएं भी हंसते-हंसाते ऐसा खाल खींचेंगी कि भागने में ही भलाई लगने लगेगी. दरअसल, दिल्ली की रैली में राहुल गांधी की जुबान फिसल गई. उन्होंने तत्काल अपनी गलती सुधार भी ली. पर ऐसे ही मौकों की तलाश में बैठी भाजपा को नया काम मिल गया. छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम ने भी इस मुद्दे पर राहुल को ट्रोल किया. इधर लौटते ही छत्तीसगढिय़ा सीएम ने सबका पानी एक साथ उतार दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी विदेश में जाकर कहते हैं कि छह करोड़ लोगों ने मतदान किया. देश की आबादी 135 करोड़ है जिसमें 90 करोड़ मतदाता हैं. गृहमंत्री अमित शाह यूपी चुनाव में कहते हैं, “मैट्रिक के बाद जो 10वीं में एडमिशन लेगा…”. ऐसा कौन करता है? इधर छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पहले ही प्रधानमंत्री मोदी को श्रद्धांजलि देकर बैठे हैं. इसके बाद संजीदगी का परिचय देते हुए वे यह भी कहते हैं कि कभी-कभी जुबान फिसल जाती है, पर यह कोई मुद्दा नहीं है. राहुल ने तो अपनी गलती सुधार भी ली थी पर भाजपा में तो इतना भी साहस नहीं है. जब विपक्ष कोई गंभीर बात करता है, तो सत्ता को उसका जवाब देने की कोशिश करनी चाहिए. केन्द्र बताए कि महंगाई को कम करने के लिए वह क्या कर रही है. अब सबकी बोलती बंद है.
