भिलाई. बीएसएफ ने छत्तीसगढ़ में अपना स्थापना दिवस मनाया। रिसाली के सीमांत मुख्यालय में हुए 13 वीं वर्षगाठ के मौके पर आईजी इंद्रराज ने बल के अधिकारियों और सदस्यों को बधाई दी और कहा कि बीएसएफ जहां भी तैनात होती है, वहां लोगों का भरोसा जीतने में कामयाब होती है। छत्तीसगढ़ के माओवादी क्षेत्र में पिछले 13 साल से बीएसएफ ने न सिर्फ ग्रामीणों का भरोसा जीता, बलि्क आदिवासी अंचल में विकास भी हुए। बीएसएफ के सुरक्षा साए में कई गांव में आजादी के इतने वर्ष बाद पुल, पुलिया और सड़क जैसी सुविधा मिली।

बदली लोगों की जिंदगी

2009 में छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या से लोहा लेने सीमा सुरक्षा बल को कांकेर जिला में तैनात किया गया। कांकेर के अति संवेदनशील बीहड़ो एवं दूरस्थ ग्रामीण एवं जंगली इलाके में सीमा सुरक्षा बल की टुकडियाँ कठिनाईयों से लड़ते हुए तैनात हुई। अपने अथक प्रयासों से सीमा सुरक्षा बल धीरे-धीरे गांव वालों का भरोसा जीतने में कामयाब हुई जिससे गांव वालों के दिल में सुरक्षा की भावना पैदा हुई है। 1 सितम्बर 2010 में सीमांत मुख्यालय छत्तीसगढ़ के अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल की बटालियन कांकेर जिले में नक्सल उन्मुलन के लिए लगाया गया है, सीमा सुरक्षा बल अपने तैनाती के बाद अंदरूनी इलाके में कैम्प स्थापित कर नक्सलियों को पीछे धकेला और आदिवासियों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया।


105 का आत्मसमर्पण
अब तक सीमा सुरक्षा बल ने छत्तीसगढ़ में अपने प्रयासो से कांकेर जिले में सक्रिय 105 हार्डकोर नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराकर देश की मुख्यधारा में जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। 9 नक्सलियों को मार गिराया और 542 से अधिक आईईडी (जिन्दा बम्ब) की बरामदगी कर सुरक्षा बलों एवं आम जनता को भारी नुकसान होने से भी बचाया है। बीएसएफ बार्डर ड्यूटी के अलावा देश के अन्दर होने वाले प्राकृतिक आपदाओं, नक्सल समस्या, देश एवं विभिन्न राज्यों मे होने वाले चुनावों के दौरान गई हर जिम्मेदारी को दृढ संकल्प के साथ निभाते हुए हर कदम पर अपनी वीरता का परिचय दिया है। सीमा सुरक्षा बल न सिर्फ देश के बाहरी दुश्मनों से लोहा लेती है बल्कि जरूरत पड़ने पर देश के भीतर घुसे देशद्रोहियों को कुचलने में अपनी जान की परवाह नही करती है।
निभाई सामाजिक जिम्मेदारी
जहाँ सीमा सुरक्षा बल के जवान अपनी जान की बाजी लगाकर देश को नक्सल मुक्त बनाने में लगे है वही दूसरी ओर समाज एवं प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं जिनमें कांकेर के दूरदराज फैले गांव में गरीबों एवं स्कूल बच्चो को जरूरत की चीजे मुहैंया कराना, मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना, बेरोजगार युवाओं को स्किल डेवलपमेन्ट प्रोग्राम के तहत रोजगार प्रशिक्षण देना, ट्राइबल यूथ प्रोग्राम के तहत आदिवासी बच्चों को भारत भ्रमण में ले जाना और प्रदेश की संस्कृति को देश के समक्ष रखना आदि कार्य शामिल है।