रायपुर (एजेंसी)। छत्तीसगढ़ से शनिवार को एक बड़ी खबर आई। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने पंचायती विभाग छोड़ दिया है। सूत्रों के मुताबिक, टीएस सिंह ने एपीओ की कार्रवाई से नाराज होकर यह कदम उठाया है। हालांकि, वे स्वास्थ्य मंत्री के पद पर बने रहेंगे। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेज दिया है। सिंहदेव स्वास्थ्य और वाणिज्यिक कर विभाग में मंत्री की जिम्मेदारी पर बने रहेंगे। सिंहदेव के इस फैसले से सरकार के अंदर चल रही कलह एक बार फिर उजागर हो गई है।
पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ यह कहते हुए खलबली मचा दी है कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। पारिवारिक पृष्टभूमि कांग्रेस की है और फिलहाल वे कांग्रेस में ही रहेंगे, लेकिन जीवन में कई निर्णय लेने पड़ते हैं। इस्तीफे के एक दिन पूर्व शुक्रवार को उन्होंने संभाग के कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी। टीएस सिंहदेव के इस निर्णय ने भूपेश बघेल कैबिनेट में भूचाल ला दिया है। सिंहदेव अगर सख्त रूख अपनाते हैं तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

बताया जा रहा है कि सिंहदेव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। काफी लंबे समय से दोनों के बीच तनातनी के कयास लगाए जा रहे थे। ऐसे में चार पन्ने के इस्तीफे के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें सरकार में दरकिनार किया जा रहा है, हालांकि वह अन्य चार मंत्रालयों का पदभार संभालते रहेंगे।

सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को सौंपे चार पन्नों के इस्तीफे में विभाग और सरकार के कामकाज पर असंतोष जाहिर किया है। सिंहदेव ने कहा कि मैं पिछले तीन साल से अधिक समय से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भारसाधक मंत्री के रूप में काम कर रहा हूं। इस दौरान कुछ ऐसी परिस्थितियां बनीं, जिनसे मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवास विहीन लोगों को मकान बनाकर दिया जाना था, जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटित करने का अनुरोध किया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस कारण राज्य के करीब आठ लाख लोगों के लिए मकान नहीं बन सके। मुझे दु:ख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका।
सिंहदेव ने कहा कि किसी भी विभाग में योजनाओं के तहत काम की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का अधिकार होता है, लेकिन मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के तहत कार्यों की अंतिम स्वीकृति के लिए रूल्स ऑफ बिजनेस के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गई। कार्यों की स्वीकृति के लिए मंत्री के अनुमोदन उपरांत अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिए जाने की प्रक्रिया बनाई गई जो प्रोटोकॉल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है।
सिंहदेव ने अपने इस्तीफा में पेसा कानून को लेकर बनाए गए नियमों में बदलाव पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इसमें भारसाधक मंत्री को विश्वास में नहीं लिया गया है। जन घोषणा-पत्र में किए गए वादों में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू करना शामिल था। इसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा की, विभागीय पहल भी की, लेकिन इस पर अभी तक कोई सहमति या सकारात्मक पहल नहीं हो पाई है।