-दीपक रंजन दास
कॉलेज में मेरे क्लास की टॉपर आज हाउसवाइफ है। क्लास का सबसे बदमाश बच्चा बैंक में प्रबंधक है। स्कूल का सबसे शरारती बच्चा सेना में अतिविशिष्ट सेवा मेडल धारी अफसर है। क्लास का सबसे शांत बच्चा शहर का नामचीन चिकित्सक है। सभी ने अपने-अपने जीवन के साथ कुछ न कुछ किया है। सभी अपनी-अपनी तरह से सफल हैं। 2009 बैच के आईएएस अफसर अवनीश शरण ने 44 फीसद अंकों के साथ 10वीं कक्षा पास की थी। उन्होंने बेझिझक अपनी अंकसूची सोशल मीडिया पर शेयर की है। उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि अंकसूची के प्राप्तांक आपकी जिन्दगी या सफलता का प्रतिशत तय नहीं करते। इधर पढ़ाई लिखाई के नाम पर बच्चे तो बच्चे, उनके माता पिता भी 99 के फेर में पड़े हुए हैं। 99 फीसद अंक पाने वालों का भी रो-रोकर बुरा हाल है क्योंकि जिससे कम्पिटीशन था, उसका 99.5 फीसद आया है। दरअसल, यह शिक्षा का बाजारवाद है। यह एक गहरा षडयंत्र है जिसमें परीक्षक भाषा जैसे विषयों में भी 100 फीसद अंक देता है। 99 के फेर में पड़े माता-पिता बच्चों को स्कूल के छह-सात घंटों के अलावा 4-5 घंटे ट्यूशन और कोचिंग में पेरते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसा कि गन्ने का रस निकालने वाला करता है। गन्ने को मीठे पानी में डुबोकर रखता है और तब तक मशीन में पेरता है जब तक कि गन्ना रेशा-रेशा होकर हाथ न जोड़ ले। कभी होशियार से होशियार बच्चा 75 से 85 फीसद अंक पाता था। आज इतने अंक पाना थर्ड डिवीजन जैसा लगता है। इन बच्चों को भरमाया जाता है कि अधिक से अधिक अंक लाने पर ही उनका कुछ हो सकता है वरना वे जीवन की दौड़ में पीछे रह जाएंगे। हकीकत यह है कि किसी भी स्तरीय उच्च शिक्षा संस्थान में प्रवेश पाने के लिए एक अलग प्रतियोगी परीक्षा को पास करना होता है। इसकी तैयारी अलग से होती है, इसका भी दुकानें खुली हुई हैं। इधर भी दशमलव प्रतिशत का चक्कर है। अपना पूरा अस्तित्व दांव पर लगाने के बाद बच्चा इसमें सफलता अर्जित करता है। पिछले दो वर्षों में देश की 23 आईआईटी को 2400 बच्चों ने अलविदा कह दिया। वे कड़ी मशक्कत के बाद इन शीर्ष तकनीकी संस्थानों में भर्ती हुए थे। जाहिर है कि कोचिंग से दाखिला सुनिश्चित हो सकता है, सफलता नहीं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आईआईटी की पढ़ाई बीच में छोडऩे वालों में डॉ एम दामोदरन, शाश्वत नकरानी, नारायण मूर्ति, प्रशांत भूषण, मुकेश अंबानी जैसी शख्सियतें भी शामिल हैं। ये कभी नर्वस 90 का शिकार नहीं हुए। इन सभी ने अपना शतक पूरा किया है और दोहरे-तिहरे शतक की ओर अग्रसर हैं।
गुस्ताखी माफ: 99 का चक्कर और इमोशनल ब्लैकमेल
