-दीपक रंजन दास
छत्तीसगढ़ के इस वनग्राम का स्कूल चोरी चला गया है। समय-समय पर कुआं चोरी, नहर चोरी, आदि की घटनाएं प्रकाश में आती रही हैं पर यह मामला गंभीर है। कुआं और नहर तो कभी बने ही नहीं थे पर यहां स्कूल था, उसमें 100 बच्चे पढ़ते भी थे पर अब स्कूल नहीं है। 10 साल पहले स्कूल को चोर उठाकर 10 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की तलहटी में ले गए। गांव वालों ने थाने में तहरीर देकर स्कूल को ढूंढकर वापस लाने की मांग की है। यह बेहद दिलचस्प मामला है गरियाबंद जिले का। तहसील मुख्यालय मैनपुर से 22 किलोमीटर दूर बीहड़ जंगल के बड़ेगोबरा गांव में कमार जाति के वनवासियों के लिए 1989 में आश्रम स्कूल की स्थापना की गई थी। स्कूल में पर्याप्त संख्या में बच्चे भी थे। 2012-13 में स्कूल को विस्तार देने की घोषणा की गई। लाखों रुपए की स्वीकृति मिली। फिर एक दिन रातों रात स्कूल का सारा साजो-सामान उठ गया। ग्रामीणों ने पता लगाया तो एक नया स्कूल भाठीगढ़ की पहाड़ी के पास मिला। गांव वालों को शक है कि यह उनके गांव का ही स्कूल है। गांव वालों ने इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी, विधायक और सांसदों से भी गुहार लगाई पर कहीं से कोई जवाब नहीं मिला। थक हारकर उन्होंने स्कूल चोरी जाने की लिखित शिकायत मैनपुर थाने में की है। शिकायत दर्ज करवाने पूरा गांव आया हुआ था। दरअसल इस तरह की पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवाने के पीछे सरपंच का मीडिया ज्ञान है। वे भली-भांति जानते थे कि लोगों की वनवासियों की समस्या से, उनके बच्चों की शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है। जब विधायक,सांसद यहां तक कि मंत्री को इन वनवासी बच्चों की नहीं पड़ी तो लोग क्यों इसमें रुचि लेंगे भला। पर यदि मामले को रोचक मोड़ दे दिया जाए तो यह नेशनल मीडिया पर जा सकता है। स्कूल का सामान रातों रात उठाया गया था ताकि कोई विरोध न कर सके। ग्रामीणों को इसकी भनक बाद में लगी। इसलिए स्कूल शिफ्ट करने की घटना को चोरी का रूप दे दिया गया। बस फिर क्या था, थाने से आवेदन की फोटो चलकर मीडिया के पास पहुंच गई। राष्ट्रीय अखबारों ने इसे हाथों हाथ लिया और हंगामा खड़ा हो गया। खबर आने के बाद राजधानी रायपुर के पत्रकार भी विधायक को घेरने लगे हैं। जवाब देना मुश्किल हो रहा है। इसके साथ ही यह भी साफ हो गया है कि सरकारें किस हद तक झूठ बोलती हैं। पिछली सरकार से जुड़े संगठन के लोग दावा करते थे कि उनकी पार्टी जंगलों में काफी काम कर रही है और आदिवासी उनके साथ हैं। पर जब पिछले विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया तो उन्हें सांप सूंघ गया। घटना बता रही है कि हालात अब भी नहीं बदले हैं। आम आदमी और वनवासियों की किसी को नहीं पड़ी।