महीनों गंदा पानी पीकर बीमार होता रहा टाउनशिप और चैन की नींद सोया रहा भाजपा संगठन
भिलाई। टाउनशिप में महीनों की मशक्कत के बाद पानी तो साफ आ गया, किन्तु कई धड़ों में बँटी भाजपा पर कई सवाल खड़े कर गया। एक ओर जहां कांग्रेस पूरी तरह से पानी प्रभावित लोगों के साथ खड़ी नजर आई तो दूसरी ओर भाजपा के नेता अपने घरों में चैन की नींद सोते रहे। जाहिर है कि आने वाले दिनों में इसका खामियाजा भी इसी पार्टी को उठाना पड़ेगा।
पार्टी का आंतरिक जूतमपैजार आमजन को कितना ज्यादा प्रभावित कर सकता है, इसका सीधा और सरल उदाहरण जिला भाजपा में देखा जा सकता है। कहने को तो यहां पार्टी संगठन चाक-चौबंद है, किन्तु अंदरखाने गुटबाजी और क्लेश पार्टी को जनता से दूर ले गए है। टाउनशिप के लोग महीनों गंदा पानी पीकर बीमार होते रहे, किन्तु जिला भाजपा ने इसकी सुध लेना भी मुनासिब नहीं समझा। तीन गुटों में बँटी भाजपा का आमजन के प्रति ऐसा रवैय्या आगामी चुनावों के लिहाज से सही नहीं माना जा सकता। भले ही जिला भाजपाध्यक्ष वीरेन्द्र साहू दावा करें कि उन्होंने अपने स्तर पर ‘प्रयासÓ किया, किन्तु हकीकत यह है कि टाउनशिप के वाशिंदों को साफ पानी पिलाने का माद्दा भाजपा नेताओं में नजर नहीं आया।

उल्लेखनीय है कि विगत करीब 6 महीनों से संयंत्र प्रबंधन, फिल्टर प्लांट में आई तकनीकी गड़बडिय़ों की वजह से टाउनशिप के लोगों को स्वच्छ पानी देने में नाकाम रहा था। गंदे पानी की आपूर्ति के चलते लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने आमजन की इस दिक्कत को शिद्दत से महसूस किया और लगातार न केवल संयंत्र प्रबंधन से चर्चाएं कीं, अपितु धरना-प्रदर्शन, आंदोलन के जरिए प्रबंधन के कान उमेठते रहे। युवक कांग्रेस के नेताओं ने तो अपने स्तर पर घर-घर स्वच्छ पानी पहुंचाने जैसा महत्ती और सराहनीय प्रयास भी किया। श्रीराम जन्मोत्सव समिति के युवा नेता मनीष पाण्डेय ने भी आमजन की चिंता को प्रशासन तक पहुंचाने की भरसक चेष्टा की, किन्तु भाजपा संगठन और उसके नेता ठंडे रहे।

यहां यह उल्लेख करना भी लाजिमी है कि जिला भाजपा में वर्तमान में तीन गुट काम कर रहे हैं। इनमें पार्टी के दोनों सांसदों विजय बघेल और सुश्री सरोज पाण्डेय के अलावा पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय का गुट शामिल है। वर्तमान जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र साहू, सुश्री पाण्डेय के समर्थक हैं और उनकी संगठन प्रमुख के रूप में ता•ापोशी भी उन्हीं की देन है। जिलाध्यक्ष बनने के बाद से न केवल पार्टीजनों अपितु आमजन के प्रति श्री साहू की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहे हैं। वर्तमान हालात ऐसे हैं, मानों जिला भाजपा संगठन नेतृत्वविहीन हो।
प्रबंधन का ध्यान आकर्षण कराते रहे
टाउनशिप को साफ पानी मिले, इसके लिए हमने भले ही कोई आंदोलन-प्रदर्शन नहीं किया, किन्तु प्रबंधन का ध्यान इस समस्या की ओर आकृष्ट कराते रहे। इसके लिए प्रबंधन के साथ 3 से 4 बार बैठकें भी की।
वीरेन्द्र साहू, जिला भाजपाध्यक्ष