नई दिल्ली (एजेंसी)। उत्तर भारत समेत समूचा एनसीआर पिछले तीन सालों के मुकाबले इस बार ज्यादा वायु प्रदूषण की मार को झेलेगा। 2017 और 2019 के बीच मिली सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि 2020 में पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुई हैं।
बीते तीन सालों में सबसे अधिक पराली जलने की घटनाएं
अक्तूबर के पहले सप्ताह में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फसल अवशेष जलाने के मामलों लगभग में पांच गुना की बढ़ोतरी हुई है। तीनों राज्यों पंजाब में 1013, हरियाणा में 241 और उत्तर प्रदेश में 88 मामले पराली जलाने के सामने आए हैं। अकेले 7 अक्तूबर को ही तीनों राज्यों में एक दिन में 255 घटनाएं हुईं। किसानों का कहना है लॉकडाउन से उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है, ऐसे में वह पराली के लिए और पैसा खर्च करने की स्थिति में नहीं है।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, पंजाब के अमृतसर, तरनतारन, पटियाला, गुरदासपुर, फिरोजपुर, लुधियाना, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में पराली जलाने की सबसे अधिक घटनाएं हुई हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और फतेहाबाद, जबकि उत्तर प्रदेश के सीतापुर, मेरठ, अलीगढ़, बरेली, गाजीपुर, संभल, शामली और सहारनपुर में पराली जलाने की सबसे अधिक घटनाएं सामने आईं।

दिल्ली एनसीआर पर पड़ेगा असर
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने कहा, आने वाले दिनों में इसका असर दिल्ली पर पडऩा शुरू हो जाएगा। हवा की दिशाएं बदलकर उत्तर-पश्चिमी हो गई हैं और इससे दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढऩा तय माना जाना चाहिए। बीते वर्ष पंजाब ने लगभग 2 करोड़ टन धान के अवशेष का उत्पादन किया था, जिसमें से 98 लाख टन जला दिया गया। वहीं, हरियाणा में 70 लाख टन पराली निकली थी, जिसमें से 13 लाख जला दी गई।
