नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत सरकार ने मॉरीशस में हुए तेल रिसाव में मदद करने के लिए भारतीय वायुसेना के विमान के जरिए मॉरीशस के लिए 30 टन से अधिक तकनीकी उपकरण और सामग्री भेजी है। मॉरीशस की सरकार ने भारत से इस पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए सहायता मांगी थी। बता दें कि देश के दक्षिण-पूर्वी तट पर तेल रिसाव हो गया है। इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि विशेष उपकरण जिसमें ओशन बूम, रिवर बूम, डिस्क स्किमर्स, हेली स्किमर्स, पावर पैक, ब्लोअर्स, साल्वेज बार्ज और ऑयल एब्जॉर्बेंट ग्राफीन पैड्स और अन्य सामान शामिल हैं जिन्हें विशेष रूप से ऑइल स्लीक, पानी से युक्त स्किम ऑइल को हटाने में प्रयोग किया जाता है और ये सफाई और बचाव कार्यों में सहायता करते हैं।
मंत्रालय ने कहा कि 10-सदस्यीय तकनीकी रिस्पांस टीम में भारतीय तटरक्षक बल के कर्मी शामिल हैं। ये टीम विशेष रूप से तेल रिसाव रोकथाम उपायों से निपटने के लिए प्रशिक्षित है। इन्हें मॉरीशस में तैनात किया गया है ताकि साइट पर आवश्यक तकनीकी और परिचालन सहायता का विस्तार किया जा सके।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सहायता हिंद महासागर क्षेत्र में अपने पड़ोसियों के लिए मानवीय सहायता और आपदा राहत का विस्तार करने की नीति के अनुरूप है, जो कि सागर (प्रधानमंत्री की सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए विकास) द्वारा निर्देशित है। तत्काल सहायता भारत और मॉरीशस के बीच दोस्ती के करीबी और भारत की मॉरीशस के लोगों की सहायता करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बता दें कि जापान के एक स्वामित्व वाले जहाज से कई टन तेल का रिसाव हो गया। यह विशाल जहाज 25 जुलाई को मॉरीशस के मूंगा-चट्टान से जा टकराया और इसका ढांचा तेज लहरों के साथ टूटना शुरू हुआ, जिसके बाद जहाज से तेल रिसाव शुरू हो गया।
छह अगस्त को करीब 1,000 टन तेल का रिसाव हो गया, जिससे संरक्षित समुद्री पार्क में मैंग्रोव वनों और विलुप्तप्राय प्रजातियों के लिए खतरा पैदा हो गया। रविवार के दिन सोशल मीडिया पर आधिकारिक तौर पर इस जहाज को फोटो साझा की गई, जिसमें दिखाया जा रहा है कि एमवी वाकाशियो दो टुकड़ों में बंट गया था।
मॉरीशस तेल रिसाव: मदद को आगे आया भारत, वायुसेना के जरिए भेजी तकनीकी सहायता




