बैंगलुरु। कर्नाटक सरकार के बैंगलुरु महानगरपालिका के सीएमओ ने अपने शहर में निवासरत एक सेवानिवृत्त फौजी अफसर को पानी के एक एक बूंद के लिए तरसाया है। होम क्वारेटीन अवधि में उक्त फौजी के परिवार को 24 घंटे बाद किसी समाजसेवी ने पीने का पानी उपलब्ध कराया। फौजी के बार बार आग्रह के बाद भी बैंगलोर महानगरपालिका के गैरजिम्मेदार सीएमओ ने पानी पहुंचाया ही नहीं।
जानकारी के अनुसार सेवानिवृत्त फौजी अफसर उदय शर्मा बैंगलोर में निवासरत हैं। श्री शर्मा के पिता भी फौज में थे और बेटे को भी उन्होंने फौज में भेजा है। इस तरह तीन पीढिय़ों से उनका परिवार देश की सेवा में जुटा है। परिवार के साथ वे मार्च महीने में अपने वृध्द पिता से मिलने मुजफ्परपुर गए और लाकलाडाउन में वहीं फंसे रह गए। लाक खुलने के बाद पिछले 10 जून को वे मुजफ्फरपुर से बैंगलुरु लौटे तो प्रशासन ने उन्हें वहां भी 21 जून तक के लिए क्वारंटीन कर दिया। उन्होंने अच्छे नागरिक की तरह खुद को परिवार के साथ घर में क्वारंटीन कर लिया।
इसबीच 16 जून को बिजली चली गई और 17 जून को लौटी। बिजली नहीं होने के कारण उन्हें अपने निवास के बोरवेल से निस्तारी और पीने के लिए पानी नहीं मिला। उन्होंने महानगरपालिका को पीने के पानी के लिए फोन किया और कहा कि वे फौजी अफसर हैं और बिजली चले जाने से पानी की किल्लत है। अत: कम से कम पीने का पानी उपलब्ध करा दें, पानी के एवज में वे नियत राशि का भुगतान भी कर देंगे। उन्हें जवाब आया कि 108508068171156 पर बिजेन्द्र बिलागुली से बात करें। कोशिशों के बाद बिजेन्द्र बिलागुली से बात हुई, उन्होंने शर्मा के घर का लोकेशन पूछा और सम्पर्क खत्म कर दिया। श्री शर्मा का परिवार पानी के लिए घंटों इंतजार करते रहा लेकिन पानी आना नहीं था सो नहीं आया। इस बीच परेशान होकर श्री शर्मा ने अपनी परेशानी फेसबुक पर साझा की तो उनके एक समाजसेवी दोस्त ने दो कार्टून पानी की बोतलें उनके निवास पर भिजवाया।
इस लाकडाउन के दौर में क्वारंटीन अवधि में देश के एक जिम्मेदार रिटायर्ड फौजी को महानगरापलिका ने चौबीस घंटे पीने के पानी के लिए तरसा दिया। सोचिए कि उन्हें और उनके परिवार को ऐसे समय में जब लाकडाउन है, उन्हें जरूरत के सामान के लिए घर के बाहर कोई नहीं मिलता है, सभी अपने घरों में कैद हैं। फौजी और उनका परिवार खुद क्वारेंटीन है। ऐसे में महानगरपालिका का रवैया क्या है? यदि फौजी के मित्र उन्हें समय पर पानी नहीं पहुंचाते, तब क्या होता?