दुर्ग. दिलीप वासनीकर संभागायुक्त, दुर्ग संभाग दुर्ग के द्वारा 25 साल पुराने प्रकरण में फैसला सुनाते हुए आदिवासी को जमीन वापस दिलाने का आदेष पारित किया है। यह मामला ग्राम चिखलाकसा, राजस्व निगम मंडल खुज्जी जिला राजनांदगांव का है। जहां पर एवं आदिवासी की जमीन पर गैर आदिवासी ने कब्जा कर रखा था।
उल्लेखनीय है कि न्यायालय आयुक्त दुर्ग संभाग दुर्ग में प्रकरण क्रमांक 603 अ-23 वर्ष 2013-14 प्रचलित रहा जिसमें दिनांक 09.01.202 को आयुक्त दुर्ग संभाग दुर्ग के द्वारा आदेष पारित किया गया। उक्त रेवेन्यु केस हिस्ट्री के अनुसार प्रकरण का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजनांदगांव के समक्ष् पटवारी हल्का नंबर 97/71 रा.नि.मं. खुज्जी के द्वारा संहिता की धारा-170 (ख) के तहत् प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया कि ग्राम चिखलाकसा स्थित भूमि 1/2 रकबा 3.44 एकड़ को आदिवासी धिराजी आत्मज राय सिह की भूमि थी जिसे गैर आदिवासी बंषीलाल आत्मज रामषरण ने अंतरण किया है एवं भूमि पर उसका कब्जा है। मूल आदिवासी विक्रेता धिराजी आत्मज राजय सिंह ने आदिवासी फूल सिंह आत्मज कपिल के पास विक्रय किया है परंतु उस पर बंषीलाल का कब्जा है। हल्का पटवारी के प्रतिवेदन होने पर अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा प्रकरण पंजीबद्ध कर कार्यवाही प्रारंभ की गई। प्रकरण में उभयपक्षकारों को सुनवाई उपरांत दिनांक 29.03.1996 को आदेष पारित कर उपरोक्त भूमि काो मूल आदिवासी विक्रेता राय सिंह के वैद्य उत्तराधिकारी धिराजी पिता राय सिंह के नाम निहित किए जाने का आदेष पारित किया। उक्त आदेष के विरूद्ध फूलसिंह आत्मज कपिल के द्वारा न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर राजनांदगांव के द्वारा दिनांक 21.04.1997 को आदेष परित कर अनुविभागीय अधिकारी के आदेष दिनांक 29.03.1996 को निरस्त कर प्रकरण प्रत्यावर्तित कर उभयपक्षों को तथा मृतक गैर आदिवासी के वारिसों को सुनवाई का अवसर देकर प्रकरण का गुण-दोष पर निराकरण करने के निर्देष दिए गए इसके पश्चात् अनुविभागीय अधिकारी राजनांदगांव ने उभयपक्षकार को पुनः सुनवाई का अवसर प्रदान कर दिनांक 27.09.2002 को पारित आदेष से व्यथित होकर फूल सिंह आत्मज कपिल ने न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर राजनांदगांव के समक्ष् अपील प्रकरण क्रमांक 31 अ-23 (ब) वर्ष 2002-03 पंजीबद्ध कर प्रकरण में उभयक्षकारों को सुनवाई उपरांत दिनांक 30.07.2003 को आदेष पारित कर प्रष्नाधीन भूमि के कथित अंतरण, विधिक अंतरण नहीं होने से अपीलार्थी को वादग्रस्त भूमि पर विधिक अधिकार प्राप्त नहीं होना मान कर अनुविभागीय अधिकारी का आदेष को यथावत् रखते हुए फूलसिंह के द्वारा प्रस्तुत अपील अस्वीकार किया। उक्त आदेष के विरूद्ध अपीलार्थी पक्ष के द्वारा न्यायालय आयुक्त दुर्ग संभाग दुर्ग में पुनरीक्षण प्रकरण क्रमांक प्र.क्र. 603 अ-23 वर्ष 2013-14 प्रस्तुत किया जिसमें आयुक्त दुर्ग संभाग दुर्ग के द्वारा प्रकरण का पूर्ण विवेचना करते हुए दिनांक 09.01.़2020 को आदेष पारित करते हुए प्रष्नधीन भूमि के कथित अंतरण विधिक अंतरण नहीं होने से अपीलार्थी को वाद ग्रस्त भूमि पर विधिक प्राप्त नहीं होना माना और प्रष्नाधीन भूमि के वास्तविक भूमिस्वामी आदिवासी धिराजी आ. रायसिंह निवासी-ग्राम चिखलाकसा, तहसील व जिला-राजनांददगांव के पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही श्री दिलीप वासनीकर, आयुक्त दुर्ग संभाग दुर्ग द्वारा कलेक्टर राजनांदगांव को उक्त आदेष का पालन एक माह के भीतर सुनिष्चित करते हुए मूल भूमिस्वामी आदिवासी को कब्जा दिलवाया जाकर सूचित करने निर्देषित किया गया है।



