नई दिल्ली. देश में हो रहे छात्रों के विरोध, नागरिकता कानून, एनआरसी और मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा के लिए विपक्षी पार्टियों की बैठक संसद के एनेक्सी में शुरू हो गई है। इसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बसपा प्रमुख मायावती शामिल नहीं हुईं। आम आदमी पार्टी ने भी मीटिंग में शामिल न होने का ऐलान किया। वहीं, महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार में सहयोगी शिवसेना ने कहा कि उसे बैठक की जानकारी नहीं है। सपा और डीएमके भी बैठक में शामिल नहीं हो सके।
विपक्ष की बैठक में कुल 15 पार्टी शामिल हुई। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में हो रही बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राकंपा प्रमुख शरद पवार, सीपीआई नेता सीताराम येचूरी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई अन्य नेता शामिल हुए।
‘सीएए-एनआरसी के नाम पर वामपंथी-कांग्रेस आंदोलन नहीं, बर्बरता कर रहे’
ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते ट्रेड यूनियन की स्ट्राइक के दौरान वामदलों और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़पों की वजह से घोषणा की थी कि वह विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होंगी। उन्होंने कहा था- मैंने ही विपक्ष को बैठक का विचार दिया। राज्य में जो हुआ, इसकी वजह से मेरे लिए अब बैठक में शामिल होना संभव नहीं है। एनआरसी-सीएए के खिलाफ सबसे पहले मैंने आंदोलन शुरू किया। सीएए-एनआरसी के नाम पर वामपंथी और कांग्रेस जो कर रहे हैं, वह आंदोलन नहीं, बल्कि बर्बरता है।
मायावती ने प्रियंका की पीड़ितों से मुलाकात को ड्रामा बताया था
मायावती ने भी हाल ही में राजस्थान में कोटा के एक अस्पताल में बच्चों की मौत के आंकड़ों को लेकर सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस महासचिव बच्चों को खोने वाली माताओं से मिलने के लिए कोटा नहीं जाएंगी, तो उत्तर प्रदेश में पीड़ित परिवारों के साथ उनकी मुलाकात को राजनीतिक हित और ड्रामा ही माना जाएगा।
शिवसेना और आप ने कहा- हमें बैठक की जानकारी नहीं
शिवसेना और आम आदमी पार्टी ने कहा कि उसे दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्ष की बैठक की जानकारी नहीं थी। लोकसभा में शिवसेना संसदीय दल के नेता विनायक राउत ने न्यूज एजेंसी से कहा- हमें ऐसी किसी बैठक की जानकारी नहीं है। हमें ऐसी किसी बैठक में नहीं बुलाया गया, इसलिए अब तक हमने इसमें शामिल होने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया। मुंबई में शिवसेना के तमाम नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखी और कहा कि लोकसभा में पार्टी के नेता ही इस बारे में बयान देंगे। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा- हमारी पार्टी को इस बैठक के बारे में जानकारी नहीं दी गई। ऐसे में बैठक में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता।
सोनिया ने सीएए को विभाजनकारी कानून बताया था
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने शनिवार को नागरिकता कानून को एक भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून करार दिया था, जिसका उद्देश्य लोगों को धार्मिक आधार पर बांटना है। पार्टी ने सीएए को तत्काल वापस लेने और एनपीआर की प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी।
कई मुख्यमंत्रियों ने कहा- वे सीएए-एनआरसी लागू नहीं करेंगे
पिछले महीने सीएए को लेकर विरोध कर रहे दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस ने कार्रवाई की थी। इसके बाद देशभर के यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसमें राजनीतिक दल भी शामिल हो गए थे। भाजपा ने सीएए को लेकर कांग्रेस पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। ममता बनर्जी और कांग्रेस शासित राज्यों में कई मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे अपने राज्यों में सीएए या एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे। उधर, केरल के विधानसभा में सीएए को राज्य में पारित नहीं किए जाने संबंधी प्रस्ताव भी पास किया गया था।