नई दिल्ली/लखनऊ. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ लखनऊ में यूपी पुलिस के व्यवहार पर रविवार को रॉबर्ट वाड्रा ने नाराजगी जताई। प्रियंका के पति वाड्रा ने कहा कि महिला पुलिसकर्मी की बदसलूकी से काफी दुखी हूं। जरूरतमंद लोगों से मिलना कोई अपराध नहीं है। प्रियंका शनिवार शाम को रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी के परिवार से मिलने जा रही थीं। इस दौरान पुलिस ने उन्हें जगह-जगह रोका था। उन्होंने पुलिसकर्मी पर धक्का देकर गिराने और गला दबाने के आरोप लगाए थे। पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ फेसबुक पोस्ट लिखने पर दारापुरी को गिरफ्तार किया है।
वाड्रा ने कहा, ”दारापुरी के परिवार से मिलने जाने के दौरान पुलिस ने प्रियंका को काफी परेशान किया। एक महिला पुलिसकर्मी ने उनका गला दबाया, जबकि दूसरी ने धक्का दिया, जिससे वह नीचे गिर गई थीं। लेकिन प्रियंका ने हिम्मत नहीं हारी और स्कूटी से दारापुरी के परिवार से मिलने पहुंचीं। प्रियंका मुझे आप पर गर्व है। आपने जो किया वह सही था।
पुलिस ने बिना कारण बताए मेरी गाड़ी रोक दी: प्रियंका
प्रियंका ने आरोप लगाया है कि अचानक पुलिस मेरी गाड़ी के सामने आ गई और मुझे रोक दिया। मैं 70 साल के सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी दारापुरी के परिवार से मिलने गई थी। उन्हें पुलिस ने सिर्फ एक फेसबुक पोस्ट लिखने के लिए घर से उठा लिया। वे 19 दिसंबर से पुलिस हिरासत में हैं, उनके परिवार के सदस्य परेशान हैं। मुझे उनसे मिलना था, इसलिए मैं पुलिस के रोके जाने के बाद भी स्कूटी से आगे बढ़ी, लेकिन पुलिस ने उसे भी रोका। महिला पुलिसकर्मी ने धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया था।
पुलिस ने कहा- धक्का-मुक्की और गला दबाने की खबर झूठी
इस मामले में कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा कि हम प्रियंका गांधी के साथ धक्का-मुक्की की निंदा करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए। उधर, लखनऊ के एसपी कलानिधि नैथिनी ने कहा कि हमें सुबह रिपोर्ट मिली थी कि प्रियंका गांधी की कार शेड्यूल रूट के इतर घूम रही है। प्रियंका के साथ धक्का-मुक्की और उनका गला घोंटने जैसी खबरें सोशल मीडिया में फैलाई जा रही हैं, जो गलत हैं।
‘मेरठ एसपी का बयान निंदनीय’
उधर, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। मेरठ में जुमे की नमाज के बाद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध को 20 दिसंबर (शुक्रवार) को बवाल हुआ था। इस दौरान मेरठ सिटी एसपी अखिलेश नारायण सिंह ने यहां प्रदर्शनकारियों से पाकिस्तान चले जाने की बात कही थी। बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा- उत्तर प्रदेश समेत देश में रहने वाले मुसलमान भारतीय हैं, पाकिस्तानी नहीं। सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मेरठ के एसपी की टिप्पणी बेहद निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है।
मेरठ एडीजी ने पुलिस का बचाव किया
हालांकि मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार ने पुलिस का बचाव किया। उन्होंने कहा कि पुलिस वहां हिंसक स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे। क्योंकि, प्रदर्शनकारी पड़ोसी देश के खिलाफ नारे लगा रहे थे। इस वीडियो से स्पष्ट है कि प्रदर्शनस्थल पर पत्थरबाजी की जा रही थी। और भारत विरोधी नारे लगाए जा रहे थे। अफसर उन्हें पत्थरबाजी करने से मना कर रहे थे और उन्होंने बस यहीं कहा कि अगर ने पाकिस्तान जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं।