भिलाई। दुर्ग कोतवाली थाना क्षेत्र में जिला न्यायालय दुर्ग की एक महिला अधिवक्ता डिजीटल अरेस्ट की शिकार हो गई। महिला अधिवक्ता को दिल्ली पुलिस का आईपीएस अधिकारी बताकर फर्जी अकाउंट 8 करोड़ से ज्यादा की रमक जमा होने का डर दिखाया गया। यही नहीं जांच में सहयोज नहीं करने पर गिरफ्तारी का डर दिखा और 41 लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफरा करा लिए। महिला अधिवक्ता को जब अहसास हुआ कि उसके खिलाफ बड़ी साजिश हुई है। महिला की शिकायत के बाद कोतवाली पुलिस ने अज्ञात ठगों के खिलाफ बीएनएस की धारा 3(5 , 318(4) के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार दुर्ग जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाली अधिवक्ता फरीहा अमीन कुरैशी डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गई। महिला अधिवक्ता ने दुर्ग कोतवाली थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराते हुए पूरी जानकारी दी। उसने बताया कि दिल्ली के रहने वाले दीपक और सुनिल कुमार गौतम का उसके फोन में वीडियो कॉल आया था। उन्होंने खुद को दिल्ली पुलिस से होना बताया। सुनिल कुमार गौतम ने खुद को आईपीएस अधिकारी बताया। उनके द्वारा मुझे यह बताया गया था कि सीबीआई पुलिस दिल्ली द्वारा संदीप कुमार के विरूद्ध मनीलॉन्ड्रींग केस ड्रग ट्रेफिकिंग आईडेन्टिटी थेफ्ट केश में जांच की जा रही। जिसमें उन्हे संदीप कुमार के कब्जे से 180 बैंक खाते प्राप्त हुए है जिसमें एक खाता फरीहा अमीन कुरैशी के नाम पर भी है।
8.7 करोड़ रुपए जमा होने का दिखाया डर
दिल्ली पुलिस के नाम पर जो कॉल आया उसमें बताया गया कि महिला अधिवक्ता के नाम पर 18.12.2024 को खाता खुलवाया गया है। जिसमें लगभग 8.7 करोड़ रूपये जमा है और संदीप कुमार ने पूछताछ के दौरान यह बताया गया है कि सभी खाता धारकों ने संदीप कुमार से 10 प्रतिशत लेकर उक्त खाते खुलवाये हैं। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने महिला अधिवक्ता का व्यक्तिगत विवरण मांगा। साथ ही दिल्ली बयान के लिए बुलाया गया और गिरफ्तारी का डर भी दिखाया गया। दिल्ली आने में असमर्थता दिखाने पर ऑनलाइन बयान देने की व्यवस्था बनाई गई। दिल्ली पुलिस अधिकारी ने ऑनलाइन सुनील कुमार गौतम आईपीएस दिल्ली पुलिस से मेरा परिचय करया गया था जिनके द्वारा बयान लिया और चल अचल संपत्ति का विवरण लिया।
बार बार फोन कर दिखाते थे गिरफ्तारी का भय
पुलिस अधिकारी आईपीएस सुनील कुमार गौतम ने कहा की आरोपी संदीप कुमार बहुत ही बड़ा अपराधी है। यह प्रकरण बहुत बड़ा कॉनफिडेनशियल केस है इसलिये इसकी गोपनीयता बनाये रखना जरूरी है। किसी भी एक्टिविटीज से गोपनीयता भंग होने पर वह तत्काल सीबीआई माध्यम से गिरफ्तार कर लेंगे और फिर सीबीआई अपने स्तर पर जांच करेगी। यह पुलिस अधिकारी मुझे बार-बार सस्पेक्ट होने का भी ध्यान दिलाते थे और यह भी कहते थे कि इस कॉन्फिडेनशियल जांच में हमे मदद नहीं करने पर हम तत्काल अरेस्ट करेंगे और आप वकील है और आपको यह पता है कि सीबीआई कैसी प्रताडना देती है।
आरबीआई के खाते में जमा कराए 41 लाख रुपए
महिला वकील को ठगों ने इस तरह डिजिटल अरेस्ट किया था कि वो हर दिन सुबह 9.30 – 10.30 बजे तक महिला से बात करता था। गौतम ने महिला को बताया कि महिला इतनी डर गई थी कि जैसा गौत उसे बोलता वो वैसा ही कर रही थी। इसके बाद उसने महिला से उसकी सभी बैंक जमा पूंजी को आरबीआई के अकाउंट में डालने बोला तो महिला ने पूरे 41 लाख रुपए उसमें डाल दिए। उसके बाद उस महिला को कोई फोन नहीं आया। महिला ने बताया कि उसकी बात जिस सुनील कुमार गौतम से हुई उसने खुद को आईपीएस और दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताया था। उसने जो दस्तावेज भेजे और दिखाए उस पर भारत सरकार का तीन शेर वाला यानि अशोक स्तंभ का निशान था। नीली स्याही में सील लगी थी। इससे उसे विश्वास हो गया था कि वो लोग दिल्ली पुलिस और सीबीआई से ही हैं।
अचानक संपर्क टूटा, तब हुआ साजिश का अहसास
रोज फोन पर बात करने वाले दिल्ली पुलिस के आईपीएस सुनील कुमार से 4 फरवरी .2025 को सुबह 9.08 मिनट के बाद कोई संपर्क नही हो रहा है। मेरे नजदिकी पुलिस थाना कोतवाली में मेरे विरूद्ध की गयी जांच का एनओसी भी नही आया है और एसबीआई गंजपारा दुर्ग से मेरे द्वारा आरबीआई को ट्रांसफर की गयी राशि 41 लाख रुपा वापस खाते में मुझे प्राप्त नहीं हुई है। महिला वकील को अब यह आशंका हुई कि उसके विरूद्ध कोई साजिश की गयी है और मेरे साथ घोखा हुआ है। फिलहाल इस मामले में कोतवाली पुलिस ने अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।