रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। लोकसभा चुनाव में मिली हार के कारण जानने छत्तीसगढ़ आई कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी 4 दिनों तक खाक छानने के बाद वापस लौट गई। लेकिन कमेटी के इस 4 दिवसीय दौरे में कांग्रेस की आंतरिक कलई बुरी तरह से खुलकर सामने आई। आपसी सामंजस्य का अभाव, गुटबाजी, भितरघात और मनमाने टिकट वितरण को खासतौर पर हार की वजह बताया गया। इस बीच सोशल मीडिया में आए एक गुमनाम पत्र ने भी काफी हलचल मचाई। इस पत्र में प्रदेश के बड़े नेताओं को निशाने पर लिया गया है। हालांकि कमेटी के सदस्य हरीश चौधरी ने इस पत्र से पल्ला झाड़ लिया, पर पार्टी के ही भीतर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इधर, एक बार फिर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि प्रदेश संगठन में बदलाव हो सकता है।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली की अगुवाई में एआईसीसी ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी को छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के कारण तलाशने थे। मोइली के साथ हरीश चौधरी को भी कमेटी में शामिल किया गया। दोनों नेताओं के साथ ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी सचिन पायलट ने पूरे 4 दिनों तक हार के कारण जानने कई बैठकें की। राजधानी रायपुर में ही उच्चस्तरीय दो बैठकें हुई। वहीं कांकेर और बिलासपुर में भी बैठकें रखी गई। मोइली समेत तमाम नेताओं के समक्ष इस दौरान कार्यकर्ताओं की खासी नाराजगी सामने आई। वरिष्ठ नेताओं से यहां तक कह दिया गया कि हार के कारण तलाशने हैं तो जेल में बंद घोटाले के आरोपियों से पूछा जाए। साफ तौर पर हार के पीछे घोटालों को प्रमुख वजह बताया गया। कमेटी ने स्थानीय संगठन के नेताओं, विधायकों, छाया विधायकों समेत तमाम लोगों से खुलकर चर्चा की। अपना मिशन पूरा करने के बाद फैक्ट फाइंडिंग कमेटी वापस लौट गई है, जहां हार के कारणों की रिपोर्ट बनाकर एआईसीसी को सौंपी जाएगी।
इधर, सोमवार को अंतिम बैठक के बाद रायपुर में कमेटी के सदस्य हरीश चौधरी ने कहा कि कमेटी ने सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं की बातों को सुना है। लोकसभा प्रत्याशियों के साथ ही विधायकों के साथ भी चर्चा की गई है। जांच के नतीजों की रिपोर्ट जल्द ही तैयार कर एआईसीसी को सौंप दी जाएगी। दूसरी ओर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने सत्ता व संगठन के बीच तालमेल के अभाव को नकार दिया, जबकि कार्यकर्ताओं ने हार के कारणों में इसे भी गिनाया था। बैज ने यह जरूर स्वीकार किया कि कुछ कमियां रह गई, जिसकी वजह से लोकसभा चुनाव में सफलता नहीं मिल पाई। उन्होंने कहा कि सभी वरिष्ठ नेताओं ने कमेटी को अपने सुझाव दिए हैं। सबने अपना-अपना पक्ष भी रखा है। आने वाले समय में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव मजबूती के साथ लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद जिला स्तर पर हार की समीक्षा की गई थी। अब आगे नई रणनीति के साथ मैदान में उतरेंगे।
बड़े नेता हार के जिम्मेदार
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार के लिए कार्यकर्ताओं ने बड़े नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। बिलासपुर की बैठक में टीम के प्रभारी वीरप्पा मोइली के सामने यहां तक कह दिया गया कि कांग्रेस की हार की वजह को समझना है तो जेल में बंद घोटाले के आरोपियों से जाकर पूछा जाए। वे ही बेहतर बताएंगे। मतलब कि कांग्रेस की हार में घोटाले भी प्रमुख वजह रहे। कहा गया कि जो जेल में बंद हैं, उनके इशारों पर सरकार चलती थी। प्रदेश में 28 जून से लेकर एक जुलाई तक फैक्ट फाइडिंग कमेटी ने दौरा किया। बैठकों के आधार पर कमेटी एआइसीसी को रिपोर्ट सौंपेगी। दौरे के अंतिम दिन कमेटी ने राजनांदगांव व दुर्ग में समीक्षा की। राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो दुर्ग संसदीय क्षेत्र से उनके करीबी राजेन्द्र साहू को टिकट दी गई थी। दोनों को पराजय का सामना करना पड़ा। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, सरगुजा व बस्तर में हार के लिए प्रदेश के नामचीन नेता निशाने पर रहे। हालांकि कमेटी ने इन तमाम बड़े नेताओं से भी चर्चा कर पराजय के कारण पूछे।
निशाने पर संगठन, होगा बदलाव?
समीक्षा के दौरान संगठन के कई नेता निशाने पर रहे। पीसीसी बिल्डिंग में पिछले कुछ विवादों की भी चर्चा रही। वहीं प्रदेश अध्यक्ष पर भी उंगलियां उठी। इसके चलते संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी हाईकमान संगठन में परिवर्तन कर सकता है। इससे पहले उन आरोप-प्रत्यारोपों पर भी गौर किया जाएगा, जो कि प्रदेश के बड़े नेताओं पर लगाए गए हैं। एआइसीसी को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में उन सभी बातों का जिक्र होगा, जो कि दौरे के दौरान पदाधिकारियों ने कमेटी के सामने रखी। जिन नेताओं पर उंगलियां उठाई गई, कमेटी ने उनसे भी जवाब लिया है। पीसीसी चीफ दीपक बैज पिछले कार्यकाल में बस्तर से सांसद थे। इस बार पार्टी ने उनकी जगह विधायक कवासी लखमा को टिकट दिया था। लखमा ने अपनी पराजय के लिए जो कारण गिनवाए वे भी कम चौंकाने वाले नहीं थे। इसलिए माना जा रहा है कि पीसीसी चीफ के रूप में दीपक बैज पर भी तलवार लटक रही है, क्योंकि उन्हीं की अगुवाई में चुनाव हुए थे।
गुमनाम पत्र पर बवाल
पार्टी की पराजय को लेकर वरिष्ठ नेताओं पर उठ रही उंगलियों के बीच एक गुमनाम पत्र सोशल मीडिया में छाया हुआ है। इस पत्र को लेकर कांग्रेस में बवाल मचा हुआ है। पत्र में किसी का नाम तो नहीं है, लेकिन कांग्रेस की आंतरिक कलई इसमें पूरी तरह से खोलकर रख दी गई है। गुमनाम पत्र में लिखा गया है कि बड़े नेताओं के अहंकार की वजह से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार हुई। पत्र में कहा गया है कि चुनाव परिणामों पर समीक्षा करने आज नेता दिल्ली से रायपुर पहुंचे और विधानसभा, लोकसभा में हार के कारणों पर चर्चा की, जबकि आप स्वयं राहुल गांधी, कुमारी सैलजा, चन्दन यादव समेत प्रदेश का हर शख्स जानता है कि हार के मात्र दो कारण हैं। पत्र में हार का पहला कारण एक वरिष्ठ नेता की रणनीति को बताया है। जबकि दूसरा कारण कई प्रशासनिक अधिकारी, नेताओं के साथ ही सट्टा, शराब, कोयला, डीएमएफ, जीएसटी, पीएससी जैसे घोटाले हैं। पत्र में कहा गया है कि लोकसभा में हारे हुए पुराने चेहरों को टिकट दिया गया। दुर्ग से पांच मंत्री थे। सब हारे थे, फिर भी दुर्ग से चार लोगों को दूसरे क्षेत्रों से टिकट दे दिया गया। परिणाम ये हुआ कि सब हार गए। ज्योत्सना महंत जीतीं तो उसमें चरणदास या कांग्रेस का कोई रोल नहीं है। पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि हालांकि मैंने वायरल चि_ी को नहीं देखा है, लेकिन सुनने में जो आया है, उसके अनुसार उसमें शिकायतकर्ता का नाम नहीं है। इसलिए यह पत्र निराधार है। कांग्रेस के बड़े नेताओं को बदनाम करने की साजिश है। पत्र को लेकर कमेटी के सदस्य हरीश चौधरी ने कहा कि जिसने पत्र लिखा है वह कांग्रेसी नहीं हो सकता है। कांग्रेस का सदस्य होता तो परिवार में बात रखता। अपने पत्र को सार्वजनिक नहीं करता।