रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। छत्तीसगढ़ में तेज होती लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच कयासों के घोड़े दौडऩे लगे है। सबके अपने दावे-प्रतिदावे है। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा जहां सभी 11 सीटें जीतने की जुगत लगा रही है तो वहीं कांग्रेस भी भाजपा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रही है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण है कि दुर्ग संभाग में इन दोनों दलों की स्थिति कैसी है? दुर्ग संभाग में विधानसभा की कुल 20 सीटें हैं। संभाग के अंतर्गत करीब ढाई लोकसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें दुर्ग और राजनांदगांव के अलावा कांकेर लोकसभा का कुछ हिस्सा शामिल है। भले ही लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से ढाई सीटें ज्यादा न हो, लेकिन जिस तरह से राजनीतिक दल एक-एक सीट के लिए मशक्कत कर रहे हैं, उसके मद्देनजर इन ढाई सीटों का मूल्यांकन भी जरूरी है। दरअसल, विधानसभा की इन 20 सीटों पर इस बार कांग्रेस और भाजपा को बराबर का जनादेश मिला है। यानी दोनों दलों के खाते में 10-10 सीटें आई है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस को इन सीटों में अपने लिए संभावनाएं नजर आ रही है। वहीं भाजपा को एक बार फिर मोदी-मैजिक पर भरोसा है।
2019 के लोकसभा नतीजों को देखें तो दुर्ग संभाग की सभी सीटें भाजपा के पाले में गिरी थी। दुर्ग क्षेत्र से विजय बघेल विजयी रहे तो राजनांदगांव से संतोष पांडे ने जीत हासिल की। कांकेर क्षेत्र में भी भाजपा का प्रत्याशी बदलने का दाँव कामयाब रहा और मोहन मंडावी कांकेर का गढ़ बचाने में सफल रहे। यह सब तब हुआ था, जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और सरकार में ज्यादातर प्रतिनिधित्व भी इसी संभाग से था। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दुर्ग संभाग से ही थे। कांग्रेस इस उम्मीद में थी कि इस बार वह राज्य का इतिहास बदल देगी। लेकिन लोकसभा के नतीजे आए तो उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। उसे कोरबा और बस्तर के रूप में महज 2 सीटें ही नसीब हुई थी, जबकि भाजपा ने प्रदेश में 9 सीटें फतह करने में कामयाबी पाई। बहरहाल, दुर्ग संभाग की चर्चा करें तो कांग्रेस इस बार राजनांदगांव और कांकेर की सीटों को अपने पक्ष में मान रही है। इसकी सबसे प्रमुख वजह यह है कि राजनांदगांव जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर उसे हालिया सम्पन्न चुनाव में जीत मिली है। इकलौती राजनांदगांव सीट पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जीतने में सफल रहे, जो कि वर्तमान में विधानसभा के अध्यक्ष हैं। वहीं दुर्ग संभाग की 3 सीटें कांकेर लोकसभा क्षेत्र में आती है। इन तीनों सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है।
बालोद कांग्रेस तो बेमेतरा में भाजपा
2018 के विधानसभा चुनाव में बालोद और बेमेतरा जिलों की सभी सीटें जीतने में कांग्रेस को सफलता मिली थी। इन दोनों जिलों में 3-3 सीटें हैं। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग है। इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बालोद की तीनों सीटें जीतने में कामयाबी जरूर मिली, लेकिन बेमेतरा की तीनों विधानसभा सीटें भाजपा के खाते में गई। बालोद जिले की संजारी बालोद से संगीता सिन्हा और गुंडरदेही से कुंवर सिंह निषाद जीतने तो अजजा आरक्षित डौंडीलोहारा की सीट पर अनिला भेडिय़ा ने सफलता हासिल की। ये तीनों सीटें कांकेर लोकसभा का हिस्सा है। वहीं बेमेतरा जिले की तीनों सीटों साजा से ईश्वरलाल साहू, बेमेतरा से दीपेश साहू व अजा आरक्षित नवागढ़ से दयालदास बघेल ने विजय पताका फहराई। बेमेतरा के यह तीनों सीटें दुर्ग संसदीय सीट में आतीं हैं। इसके अलावा कवर्धा की दोनों सीटें कवर्धा व पंडरिया में भाजपा ने जीत हासिल की। ये दोनों सीटें राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं।
नए चेहरों से हारे कद्दावर नेता
हालिया सम्पन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा के नए चेहरों ने भाजपा के कद्दावर नेताओं को पटखनी दी। इनमें सर्वाधिक चर्चित सीटें साजा और कवर्धा की रही। साजा क्षेत्र में भाजपा ने साम्प्रदायिकता की भेंट चढ़े एक युवक के अराजनीतिक पिता को उम्मीदवार बनाया था। साजा को कांग्रेस के कद्दावर नेता रविन्द्र चौबे का गढ़ माना जाता है। चौबे को भाजपा के ईश्वर साहू ने आसानी से मात दी। वहीं कवर्धा में भी कद्दावर कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर को युवा नेता विजय शर्मा के हाथों पराजय का मुंह देखना पड़ा। ये दोनों सीटें छत्तीसगढ़ में साम्प्रदायिकता की आंच के चलते सुर्खियों में रही थी। इसी तरह दुर्ग जिले की दुर्ग ग्रामीण सीट से भाजपा के युवा नेता ललित चंद्राकर ने कद्दावर कांग्रेसी और गृहमंत्री रहे ताम्रध्वज साहू को हराकर सनसनी फैला दी थी। वोरा परिवार का गढ़ रही दुर्ग शहर सीट में भी पहली बार चुनाव लड़ रहे गजेन्द्र यादव ने कांग्रेस के अरुण वोरा को बुरी तरह से हराया।
संभाग से 2 मंत्री, 1 विधानसभाध्यक्ष
दुर्ग संभाग से प्रदेश सरकार में प्रतिनिधित्व की बात करें तो कुल 2 मंत्रियों को स्थान दिया गया है। वहीं विधानसभा अध्यक्ष भी इसी संभाग से है। कवर्धा से कद्दावर नेता और प्रदेश में कांग्रेस का अल्पसंख्यक चेहरा रहे मोहम्मद अकबर को पहली ही बार में हराने वाले विजय शर्मा प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण गृह मंत्रालय संभाल रहे हैं। वहीं आरक्षित सीट बेमेतरा के नवागढ़ से जीते दयालदास बघेल को भी खाद्य व नागरिक आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए गए हैं। राज्य में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे राजनांदगांव के विधायक डॉ. रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है। लोकसभा चुनाव में इन नेताओं पर भाजपा की अपेक्षाओं का काफी वजन होगा। खासतौर पर राजनांदगांव में भाजपा को इस बार काफी चुनौती मिलने की संभावना है, क्योंकि इस जिले में भाजपा सिर्फ एक सीट ही जीत पाई है। बाकी जगहों पर भाजपा के विधायकों पर पार्टी को चुनाव जितवाने का दायित्व होगा।
कांकेर लोकसभा में 16 लाख वोटर
कांकेर लोकसभा क्षेत्र में करीब 16 लाख मतदाता हैं। इनमें से बालोद जिले की 3 सीटों पर ही करीब 6 लाख 67 हजार मतदाता हैं। हाल ही में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया गया तो यह आंकड़े सामने आए। 1967 में जब यह संसदीय सीट अस्तित्व में आई तब कुल करीब 4 लाख मतदाता थे। 57 साल में मतदाताओं की संख्या 4 गुना बढ़कर 16 लाख तक पहुंच गई है। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो इस बार यहां कुल करीब 17 लाख मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। विधानसभा चुनाव के वक्त राजनांदगांव जिले की छह विधानसभा सीटों में 11 लाख 17 हजार 398 मतदाता थे। इसी तरह कवर्धा की दो विधानसभा सीटों में मतदाताओं की संख्या 5 लाख 71 हजार 281 थी। इस तरह पूरे संसदीय क्षेत्र की बात करें तो संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा सीटों में मतदाताओं की संख्या 16 लाख 88 हजार 679 थी। वहीं दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में 20 लाख 72 हजार से ज्यादा मतदाता अपना सांसद चुनेंगे। 2019 में यहां कुल करीब 16 लाख वोटर थे।