हाईकमान को भूपेश ने दिया सभी 90 सीटों का फीडबैक, सरकार बनाने दिखाई आश्वस्ती
भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। मंगलवार को दिल्ली दौरे पर निकले सीएम भूपेश बघेल ने बुधवार को पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं से मुलाकात की। पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिले और उसके बाद राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा गांधी और अंत में सोनिया गांधी से लम्बी चर्चा की। यह सब ऐसे समय में हुआ, जबकि छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है। एक ओर जहां उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, सीएम पद के लिए दावा ठोंक चुके हैं तो दूसरी ओर पार्टी नेतृत्व भावी सीएम पर चुप्पी साधे हुए हैं। राज्य में सीएम पद को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। भूपेश बघेल के दिल्ली दौरे को इसी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है।
खबर है कि सीएम भूपेश बघेल के दिल्ली दौरे के दौरान इस बात पर प्रमुखता से चर्चा हुई है कि इस बार छत्तीसगढ़ का सीएम कौन होगा। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष समेत कई विधायक खुलकर कह चुके हैं कि भूपेश बघेल ही अगले सीएम होंगे। खुद भूपेश बघेल भी दोहरा चुके हैं कि क्योंकि चुनाव उनके नेतृत्व में हुआ, इसलिए किसी को संशय में नहीं रहना चाहिए। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में दावों और अनुमानों की एक अलग तरह की हवा चल रही है, जो खासतौर पर टीएस बाबा पर फोकस है। उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने राजनीतिक हलकों में उस समय सनसनी फैला दी थी जब उन्होंने इस चुनाव को अपना अंतिम चुनाव बताते हुए स्वयं को सीएम पद का प्रमुख दावेदार बताया था। दरअसल, छत्तीसगढ़ में सारा विवाद उस समय शुरू हुआ था, जब टीएस बाबा ने ढाई-ढाई साल वाले सीएम फार्मूले का रहस्योद्घाटन किया था। दावा किया गया कि 2018 में पूर्ण बहुमत आने के बाद हाईकमान के बीच यह चर्चा हुई थी कि ढाई साल तक भूपेश बघेल और अगले ढाई साल तक टीएस बाबा सीएम रहेंगे। जब टीएस बाबा ने यह मसला उठाया तो छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी राजनीति में तूफान मच गया था। दर्जनों विधायक भूपेश बघेल के समर्थन में दिल्ली कूच कर गए।
इन विधायकों ने कई दिनों तक पार्टी के शीर्ष नेताओं पर दबाव बनाए रखा, जिसके बाद माना जाता है कि अंतत: भूपेश बघेल को सीएम पद पर अभयदान मिल गया। लेकिन यह विवाद एक बार फिर टीएस बाबा के बयान से उठ खड़ा हुआ। कई राजनीतिक विश्लेषक यह दावा तक करने लगे कि इस बार सीएम पद के सबसे प्रमुख दावेदार टीएस सिंहदेव ही हैं। इन तमाम परिस्थितियों के बीच मंगलवार को भूपेश बघेल का अचानक दिल्ली पहुंचना बहुत सारे संकेत और संदेश दे रहा है। माना जा रहा है कि सीएम पद पर अपनी अगली पारी को पुख्ता और मुकम्मल करने के लिए ही सीएम भूपेश बघेल दिल्ली दौरे पर गए। दावा यह भी किया जा रहा है कि वे अपने इस दौरे से पूरी तरह सफल और संतुष्ट होकर लौटे हैं।

…क्योंकि टीएस असंतुष्ट हैं
भले ही कांग्रेस में सतही तौर पर सब कुछ ठीक-ठाक दिख रहा हो, लेकिन पार्टी के अंदरखाने काफी हलचल है। राजनीति के जानकार, टीएस बाबा का वह बयान याद दिला रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं सिर्फ विधायक बनने के लिए चुनाव नहीं लड़ रहा हूँ। ढाई साला विवाद के बाद हाईकमान की दखल पर टीएस बाबा को उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया था, लेकिन समय-समय पर वे इस पद के औचित्य पर ही सवाल उठाते रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि टीएस सिंहदेव संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में उनकी असंतुष्टि के कई मायने निकाले जा रहे हैं। यहां तक कि उन्हें एमपी के ज्योतिर्रादित्य सिंधिया से भी जोड़ा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 2018 के चुनाव में जब कांग्रेस को बहुमत मिला और एमपी में उसने सरकार बनाई थी तब पार्टी के फैसलों से नाखुश सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा प्रवेश कर लिया था। इसके चलते कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। मुख्य बात है कि छत्तीसगढ़ में भी टीएस असंतुष्ट हैं।
पकड़ मजबूत करने की कोशिश
छत्तीसगढ़ समेत सभी 5 राज्यों के चुनाव नतीजे आने में अब महज 2 दिन शेष है। राज्य में हुए 2 चरणों के मतदान के बाद कांग्रेस एक बार फिर सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त है। ऐसे में टीएस बाबा द्वारा छोड़े गए कथित शिगूफे को भूपेश बघेल जैसे सुलझे हुए और पाखड़ नेता हल्के में कैसे ले सकते हैं? श्री बघेल ने छत्तीसगढ़ को कांग्रेसमय बनाने के लिए पूरे 5 वर्ष तक मेहनत की। ऐसे में कोई भी राजनेता अपने हाथों की कमान दूसरे के पास जाते नहीं देख सकता। शायद यही वजह है कि मतगणना से ऐन पहले सीएम भूपेश बघेल ने हाईकमान तक अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश की है। संभवत: श्री बघेल यह हालात पैदा ही नहीं होने देना चाहते कि बहुमत के बाद सीएम पद के लिए किसी और नाम की चर्चा हो। हालांकि यह कहा जा रहा है कि दिल्ली दौरे के दौरान मतदान की तैयारियों से लेकर सभी 90 सीटों का फीडबैक देने का प्रयास भूपेश बघेल ने किया है। लेकिन अपुष्ट खबरें बताती है कि इस दौरान सीएम पद को लेकर भी बातचीत हुई है।